चीन के लिए ताओ कियांगलोंग (72वें और 75वें मिनट) ने दो गोल दागे जबकि गियाओ तियानयी (17वें मिनट), डेई वेइजुन (51वें मिनट) और हाओ फेंग (90 प्लस दो मिनट) ने एक-एक गोल किया।
थकी हुई और तैयारी के बिना उतरी भारतीय टीम के लिए एकमात्र गोल राहुल केपी (45 प्लस एक मिनट) ने किया जो संभवत: मैच का सर्वश्रेष्ठ गोल रहा।
भारत की तीसरी दर्जे की टीम ने हालांकि शुरुआती 45 मिनट में खिताब के दावेदार चीन को कड़ी टक्कर दी। भारतीय गोलकीपर गुरमीत सिंह चहल ने इस दौरान काबिलेतारीफ प्रदर्शन करते हुए विरोधी कप्तान झू चेनजी की पेनल्टी किक को भी रोका।
दूसरे दौर में जगह बनाने के लिए भारत को अब अपने बाकी बचे दो मैचों में बांग्लादेश और म्यांमार को हराना होगा। इसी ग्रुप के एक अन्य मैच में म्यांमार ने बांग्लादेश को 4-2 से हराया।
भारतीय टीम सोमवार देर शाम खेल गांव पहुंची थी। टीम के पास चार विशेषज्ञ डिफेंडर भी नहीं हैं और रक्षा पंक्ति के बीच समन्वय की कमी भी नजर आई। टीम थकी हुई भी दिखी और उनसे करिश्मे की उम्मीद करना बेमानी था।
दोनों टीम के बीच बड़ा अंतर देखने को मिला। उमस और ट्रेनिंग की कमी के कारण अंतिम आधे घंटे में भारतीय टीम काफी थकी हुई लगी और उसके पास चीन के खिलाड़ियों का कोई जवाब नहीं था। संदेश झिंगन की गलती से दूसरा गोल होने के बाद चीन को तीन और गोल करने में अधिक परेशानी नहीं हुई।
झिंगन ने अपने पेनल्टी बॉक्स में इसके बाद एक और गलती की जिसका फायदा उठाकर चीन ने गोल किया।
कप्तान सुनील छेत्री 85 मिनट तक मैदान पर रहे लेकिन साथी खिलाड़ियों की उम्दा मूव बनाने में नाकामी के कारण उन्हें अधिक मौके नहीं मिले।
भारत के लिए राहुल केपी का प्रदर्शन सकारात्मक पक्ष रहा। अंडर-17 विश्व कप में खेल चुके राहुल दाएं छोर से अब्दुल रबीह के पास पर मिली गेंद को लेकर आगे बड़े और चीन के डिफेंडर और गोलकीपर को छकाकर गोल करने में सफल रहे।
इससे पहले गियाओ ने 17वें मिनट में ही चीन को बढ़त दिला दी थी।
मध्यांतर पर स्कोर 1-1 से बराबर था।
दूसरे हाफ में भारतीय खिलाड़ी थके हुए नजर आए। अधिकांश खिलाड़ी अपने इंडियन सुपर लीग क्लब के पहली पसंद के स्थानापन्न खिलाड़ी भी नहीं थे और साफ दिखा कि मैच फिटनेस बड़ा मुद्दा रही।
स्तरीय खिलाड़ियों की कमी के लिए फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) भी जिम्मेदार है जिसने फीफा के नियम दिखाकर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के इस प्रतिष्ठित महाद्वीपीय प्रतियोगिता के लिए सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी उतारने के प्रयासों को नाकाम किया।