वास्तव में सत्य ही नारायण हैं। सत्य को साक्षात भगवान मानकर सत्यव्रत को जीवन में उतारना ही सत्यनारायण की कथा का मूल उद्देश्य है।
सत्यनारायण की कथा के माध्यम से मनुष्य सत्यव्रत ग्रहण करके वास्तविक सुख-समृद्धि का अधिकारी बन सकता है।
इस कथा से एक संदेश स्पष्ट रूप से उभरता है कि यदि मनुष्य अपने जीवन में सत्यनिष्ठा का व्रत अपना ले तो उसे इहलोक और परलोक दोनों में सच्चे सुख की प्राप्ति होती है।
इसके विपरीत यदि मनुष्य सत्यनिष्ठा के व्रत का त्याग कर दे तो उसे अपने जीवन में और मृत्यु के उपरांत भी अनेक कष्टों को भोगना पड़ता है। अपने जीवन में सत्यव्रत को अपनाने वाला मनुष्य परमात्मा की कृपा से धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है।
यह कथा घर में अन्न, धन, लक्ष्मी का आशीष लाती है। एक मालवी लोकगीत है ... आज म्हारा घर सत्यनारायण आया, सत्यनारायण आया वे तो अन्न, धन, लक्ष्मी लाया...
इस कथा से वंशजों को सुख, समृद्धि, संतान, यश, कीर्ति, वैभव, पराक्रम, संपत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य और शुभता का वरदान मिलता है।
यह कथा घर में कराने से पूर्वजों को भी शांति और मुक्ति मिलती है। वे प्रसन्न होकर आशीष देते हैं।