जप संख्या- 9,000 (9 हजार)।
(कलियुग में 4 गुना जाप एवं दशांश हवन का विधान है।)
दान सामग्री- हरा वस्त्र, मूंग, हरे फल, स्वर्ण, कांस्य पात्र, गजदंत, घी।
(उक्त सामग्री को हरे वस्त्र में बांधकर उसकी पोटली बनाएं तत्पश्चात उसे मंदिर में अर्पण करें अथवा बहते जल में प्रवाहित करें।)
औषधि स्नान- अक्षत, गोरोचन, विधारा की जड़, शहद, जायफल मिश्रित जल से।
अशुभ प्रभाव कम करने हेतु अन्य उपयोगी उपाय।
* बुधवार को किन्नरों को चूड़ियां दान करें।
* तोते को पिंजरे से मुक्त करें।
* किसी बटुक को शास्त्र पुस्तक दान करें।
* 27 मूंग के दाने और कांसे का टुकड़ा बुधवार को बहते जल में प्रवाहित करें
* छेद वाला तांबे का सिक्का बहते जल में प्रवाहित करें।
* बुध यंत्र को स्वर्ण अथवा पीतल के पत्र पर उत्कीर्ण कर नित्य पूजा करें।
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