कैसे धरा गया आंख मारने वाला बीएसएफ कॉन्स्टेबल?

Webdunia
गुरुवार, 15 मार्च 2018 (15:36 IST)
-प्रज्ञा मानव
'मैं दफ्तर जाने के लिए दोपहर 2 बजे बस में चढ़ी। हमेशा की तरह 711 नंबर की बस ली। शुक्र है बैठने की जगह मिल गई थी', 23 साल की नविका (बदला हुआ नाम) बता रही हैं कि सोमवार को उनके साथ दिल्ली की एक बस में क्या हुआ।
 
'ढाई बजे के करीब मैंने नोटिस किया कि मेरे सामने खड़ा हुआ आदमी मुझे बहुत अजीब-सी नजरों से घूर रहा है। उसका पूरा चेहरा सफेद अंगोछे से ढका हुआ था, बस आंखें नजर आ रही थीं। उसके देखने का तरीका ऐसा था कि मुझे घिन आने लगी। मैंने उसे वापस घूरकर देखा। सोचा, डर जाएगा। लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि अब उसने मुझे आंख मारी।
 
बस पूरी भरी हुई थी फिर भी मैंने चिल्लाकर कहा- तुम्हें तमीज नहीं है। क्या लगता है कि लड़की है तो कुछ नहीं बोलेगी? इसके बाद मैंने 100 नंबर डॉयल कर दिया। उसने जैसे ही मुझे पुलिस से बात करते सुना, बोला- बहन माफ कर दो, गलती हो गई।
 
तब मुझे अंदाजा हुआ कि वो नशे में है। अंगोछा भी शायद गर्मी से बचने के लिए नहीं, मुंह से आ रही शराब की बदबू रोकने के लिए लपेट रखा था। इसके बाद उसने बस के ड्राइवर से कहा कि उसको उतार दे, लेकिन पुलिस कंट्रोल रूम मुझे बता चुका था कि वो आ रहे हैं। मैंने ड्राइवर से कहा कि उसको न जाने दे। ड्राइवर समझदार था। उसने बस रोक दी लेकिन दरवाजे नहीं खोले।
 
नविका आगे कहती हैं, 'बहुत ट्रैफिक था तो पुलिस को आने में तकरीबन 10 मिनट लगे।' इस बीच बस में मौजूद बाकी लोग शोर मचाने लगे तो ड्राइवर ने जाने वालों के लिए पिछला दरवाजा खोल दिया। मुझे लगा वो आदमी बस से उतर न जाए तो मैं पिछले दरवाजे के पास जाकर खड़ी हो गई। लेकिन उसने भागने की कोई कोशिश नहीं की।
 
पीसीआर वैन के आने पर वो खुद ही बाहर आ गया। इसके बाद पुलिस हमें साउथ कैम्पस थाने ले गई। उस वक्त तकरीबन 3 बज रहे थे। वहां जाकर पता लगा कि वो 28 साल का है और बीएसएफ में कॉन्स्टेबल है। मैंने अपनी शिकायत लिखित में दे दी जिसमें वहां के एसएचओ ने मेरी पूरी मदद की। हालांकि एक महिला कॉन्स्टेबल ने मुझे समझाने के अंदाज में बताया कि उस आदमी के पारिवारिक हालात ठीक नहीं हैं इसके लिए मुझे उसे माफ कर देना चाहिए।
 
तकरीबन 4.30 बजे पुलिस उस आदमी को जांच कराने के लिए एम्स लेकर गई। दिल्ली पुलिस नविका के महिला कॉन्स्टेबल पर लगाए गए आरोप को खारिज करती है लेकिन उसकी हिम्मत की दाद भी देती है। साउथ वेस्ट के डीसीपी मिलिंद महादेव डम्बरे ने कहा कि 'अगर लड़की बिना देर किए घटनास्थल से ही शिकायत करे तो हमारे लिए मदद करना और अभियुक्त को पकड़ना आसान हो जाता है।'
 
वसंत विहार के एसीपी राजेन्द्र भाटिया ने बताया कि पीसीआर को नविका का फोन 2.45 पर आया और हमने तुरंत मदद भेज दी। आमतौर पर भी पीसीआर को 8-10 मिनट ही लगते हैं। नविका इस दौरान डटकर खड़ी रही, इसी वजह से हम डायरेक्ट एविडेंस का मामला बना सके। पुलिस के मुताबिक, अभियुक्त का नाम चरण सिंह है और वो अलवर का रहने वाला है। पुलिस जांच में उसके घटना के वक्त नशे में होने की पुष्टि हुई है।
 
एसीपी राजेन्द्र भाटिया ने बताया कि पुलिस ने आईपीसी की धारा 509 के तहत मामला दर्ज किया है, 'हमने चरण सिंह को सीआरपीसी-41 के तहत नोटिस दे दिया है और उसे बता दिया है कि उसे कार्रवाई के लिए अदालत में पेश होना होगा।' 
 
नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित जगह है। लेकिन घटना के महज आधे घंटे के अंदर अभियुक्त को पकड़वाने वाली नविका का मानना है कि अगर महिलाएं हिम्मत दिखाएं और तुरंत विरोध करें तो छेड़छाड़ की घटनाओं पर बड़ी हद तक काबू पाया जा सकता है।
 
वे कहती हैं कि 'मुझे ये देखकर इतनी हैरानी हुई कि जब पुलिस उसे ले जा रही थी तब बस की एक-दो औरतें बोलीं कि वो उन्हें भी इधर-उधर छू रहा था, तब पहले किसी ने कुछ क्यों नहीं बोला?'
 

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