कोरोना को दे दी मात, लेकिन ध्यान रहे ये बात

Webdunia
बुधवार, 12 मई 2021 (07:53 IST)
सरोज सिंह, बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
"अब आराम है या अब भी तकलीफ है? रिपोर्ट नेगेटिव आई?" आप में से कितने ही लोगों ने बीते दिनों में किसी अपने से ये सवाल पूछा होगा। या शायद इन सवालों का जवाब दिया होगा।
 
अपनों की चिंता में आपकी भावनाएँ शायद ही किसी सरकारी आँकड़े में कभी गिनी जा सकें। फिर भी अगर गिनना ही है तो भारत में क़रीब दो करोड़ लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं। इन आँकड़ों में शायद आपके कुछ अपने भी होंगे, जो कोरोना को हरा चुके होंगे। ये कहानी आपके उन्हीं अपनों के लिए है। क्योंकि कोरोना हारा भले ही है, लेकिन भागा अब तक नहीं है।
 
कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई लोग अब दूसरी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। कुछ को छोटे काम के बाद थकान होती है, तो कुछ को साँस लेने की शिकायत। कुछ को दिल का नया रोग लग गया है, तो कुछ में और दूसरी परेशानियाँ देखने और सुनने को मिल रही है।
 
इस वजह से डॉक्टरों की मानें, तो पोस्ट कोविड केयर भी उतना ही ज़रूरी है, जितना कोविड केयर। आपने जितना ख़्याल कोविड19 में अपना रखा, बीमारी से ठीक होने के बाद भी कुछ हफ़्तों या महीनों तक अपना उतनी ही सतर्कता से ख़्याल रखें। नहीं तो ऐसा ना हो हो कि छोटी सी लापरवाही आप पर भारी पड़े।
 
कोविड19 का शरीर पर असर
इसके लिए ये जानना ज़रूरी है कि कोविड19 में शरीर के वो कौन से हिस्से या अंग हैं, जो प्रभावित हो सकते है।
अब भी ज़्यादातर लोग इसे सर्दी जुकाम वाली बीमारी मानते हैं। आम लोगों को लगता है कि कोविड19 में केवल फेंफड़ों पर ही असर होता है। लेकिन ऐसा नहीं है।
 
चूंकि बीमारी नई है, इस वजह से धीरे-धीरे ही शरीर के दूसरे अंगों पर इसके असर के बारे में पता चल पा रहा है।
अब इस बात के सबूत हैं कि कोविड19 बीमारी में दिल, दिमाग, मांसपेशियाँ, धमनियाँ और नसों, खून, आँखें जैसे शरीर के कई दूसरे अंग पर भी असर पड़ता है।
 
यही वजह है कि हार्ट अटैक, डिप्रेशन, थकान, बदन दर्द, ब्लड क्लॉटिंग और ब्लैक फंगस जैसी दिक़्क़तों का सामना लोग कर रहे हैं।

डॉक्टर इस वजह से सलाह देते हैं कि कोविड19 से ठीक होने के बाद भी शरीर के दूसरे अंगों में होने वाले बदलाव को आप हल्के में नज़रअंदाज़ ना करें, बल्कि ज़्यादा वक़्त तक बदलाव बने रहने पर डॉक्टरों की सलाह ज़रूर लें।

हल्के लक्षण वाले कोविड 19 से ठीक होने के बाद क्या करें?
भारत सरकार का मानना है कि 90 फीसदी से ज़्यादा कोविड19 के मरीज़ घर पर रह कर ही ठीक हो जाते हैं।
ये वो लोग होते हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। लेकिन घर पर रह कर ठीक हुए लोगों के लिए पोस्ट कोविड 19 केयर ज़रूरी है।
 
इसके बारे में विस्तार से बताते हुए सर गंगाराम अस्पताल में मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. एसपी बायोत्रा कहते हैं, "हल्के लक्षण वाले मरीज़ो को भी पूरी तरह ठीक होने में 2-8 हफ्तों का समय लग सकता है। ये समय हर व्यक्ति के लिए अलग होता है।
 
कमज़ोरी, एक साथ ज़्यादा काम करने पर थकान, भूख ना लगना, नींद बहुत आना, या बिल्कुल ना आना, शरीर में दर्द, शरीर का हल्का गरम रहना, घबराहट - ये कुछ ऐसे लक्षण है जो माइल्ड मरीज़ों में आम तौर पर ठीक होने के बाद भी देखने को मिलते हैं।"

डॉक्टर बायत्रो भी कोरोना के मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं। अपने ठीक हुए हल्के लक्षण वाले मरीज़ों के लिए उनकी सलाह है -
• अगर आप ख़ुद ही स्वस्थ महसूस कर रहे हैं, तो नेगेटिव रिपोर्ट के लिए ज़रूरत ना हो तो टेस्ट ना कराएँ। 14 दिन बाद आइसोलेशन ख़त्म कर सकते हैं। भारत सरकार ने भी इस बारे में दिशा निर्देश जारी किए हैं।
• रिकवरी के दौरान खाने-पीने का विशेष ख्याल रखें। प्रोटीन और हरी सब्जियां ज़्यादा मात्रा में ले। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीमारी में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है।
• खाने का मन ना हो तो थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर खाएँ और पानी सही मात्रा में पीएँ।
• नियमित योग और प्रणायाम करें। ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ करें और एक साथ बहुत सारा काम ना करें।
• ठीक होने के कुछ दिन बाद तक (15-30 दिन) ऑक्सीजन, बुखार, ब्लड प्रेशर, शुगर मॉनिटर ज़रूर करें।
• गरम या गुनगुना पानी ही पीएं, दिन में दो बार भाप ज़रूर लें।8-10 घंटे की नींद ज़रूर लें और आराम करें।
• 7 दिन बाद डॉक्टर के साथ फॉलो-अप चेक-अप ज़रूर करें।
 
डॉक्टर बायोत्रा की मानें, तो कोविड19 के माइल्ड मरीज़ों में ठीक होने के 10 -15 दिन के भीतर काम पर लौट सकते हैं। धीरे-धीरे पुरानी दिनचर्या में लौटा जा सकता है। डॉक्टरों ने अगर कुछ दवाइयाँ कुछ हफ़्तों तक खाने की सलाह दी है तो वैसा ही करे। दवा बंद करने के पहले डॉक्टर से ज़रूरी सलाह लें। अगर आप को-मॉर्बिड हैं तो डॉक्टरों ने ठीक होने के बाद भी जो दवाइयां बताई हैं उन्हें खाना जारी रखें। ऐसे मरीज़ों को विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत होती है।

इसी तरह का एक प्रोटोकॉल भारत सरकार ने पिछले साल सितंबर में जारी किया था। उसमें भी इन बातों का ही ख्याल रखने की सलाह दी गई है। इसके अलावा ये भी कहा गया है कि कोविड19 से ठीक हुए मरीज़ों को ध्रूमपान और शराब से परहेज़ रखना चाहिए।

डॉक्टर बायोत्रा की मानें, तो घर पर रह कर ठीक होने वाले मरीज़ों को अपने शरीर में होने वाले बदलावों पर बारीकी से नज़र रखना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में उस बदलाव की वजह समझ ना आए तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

कम गंभीर और ज़्यादा गंभीर लक्षण वाले मरीज़ क्या करें?
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर देश दीपक भी इन दिनों कोविड19 के मरीज़ों के उपचार में लगे हैं।

बीबीसी से फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा, "गंभीर मरीज़ जो कोविड19 से ठीक हो कर घर लौटें हैं, उनके सबके लिए एक गाइडलाइन नहीं हो सकती। इसे मरीज़ के इम्यून रेस्पांस और केस-टू-केस बेसिस पर ही देखा जाना चाहिए।"

उनके हिसाब से शरीर में पानी की मात्रा सही रखने के लिए भरपूर तरल पदार्थ का सेवन, अच्छा खाना, एक साथ बहुत सारा काम नहीं करना जिससे थकान होने लगे - इन बातों का ख्याल तो गंभीर कोविड संक्रमण से ठीक हुए मरीज़ों को रखना ही होता है।

अपने पिछले साल के अनुभव के आधार पर उन्होंने बताया कि गंभीर लक्षण वाले मरीज़ को पूरी तरह से ठीक होने में तीन महीने तक का वक़्त लग सकता है। जो ज़्यादा दिन अस्पताल में रह कर लौटे हैं, उनकी रिकवरी औरों के मुक़ाबले थोड़ी धीमी हो सकती है।

लेकिन ऐसा नहीं कि इस दौरान वो केवल बिस्तर पर ही रहे। ऐसे लोगों को ठीक होने के बाद ब्रीदिंग एक्सरसाइज, प्राणायाम से दिन की शुरुआत करनी चाहिए। ये लोग समय के साथ अपनी दिनचर्या में नई चीज़े जोड़ सकते।

डॉक्टर देश दीपक के मुताबिक़, "ऐसे मरीज़ को साइको-सोशल सपोर्ट ज़्यादा चाहिए होता है। ख़ास कर बुजुर्गों और दूसरी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को। घर पर आकर ऑक्सीजन चेक करना या ख़ुद के लिए ऑक्सीजन लगाना, समय पर सही दवाइयां खाना - ये छोटी छोटी दिक़्क़त होती हैं जो मानिसक तौर पर उन्हें काफ़ी परेशान कर सकती है। ऐसी सूरत में परिवार या आस-पड़ोस का सहयोग बहुत मायने रखता है। ज़रूरत पड़ने पर मेंटल हेल्थ के लिए काउंसलर की भी मदद लेनी चाहिए। पॉज़िटिव सोचना बहुत मायने रखता है।"

कुछ ठीक हुए सीवियर मरीज़ों को हो सकता है कि घर पर कुछ और दिन तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने की सलाह डॉक्टरों ने दी हो। वैसे मरीज़ों का खास ख्याल रखने की ज़रूरत होती है। उन्हें धीरे-धीरे डॉक्टरी सलाह पर ऑक्सीजन पर निर्भरता कम करने की तरफ क़दम बढ़ाना चाहिए।

डॉक्टर देश दीपक कहते हैं कि हर मॉडरेट और सीवियर मरीज़ों में पोस्ट कोविड कुछ परेशानियाँ और दिक़्क़तें हो ही, ये ज़रूरी नहीं है। ऐसा कम मामलों में ही होता है।
 
उन मामलों के बारे में बताते हुए वो कहते हैं, "कुछ मरीज़ों में आगे चल कर फेफड़ों से जुड़ी कुछ दिक़्क़तें हो सकती हैं - जैसे फेफड़ों का सिकुड़ जाना। कुछ मरीज़ों में दिल से जुड़ी बीमारियाँ भी देखने को मिली है। ऐसे मामलों में कोई एक गाइडलाइन नहीं दी जा सकती। ऐसे मरीज़ों को अपने डॉक्टर की सलाह पर ही रिकवरी पीरियड में चलना चाहिए।"
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से भी इस बारे में कोई विस्तृत जानकारी या गाइडलाइन नहीं जारी की गई है। लेकिन इसी साल जनवरी के महीने में जारी एक नोट में अस्पताल जाकर लौटे कोरोना मरीज़ों के लिए फॉलो-अप चेकअप और लो-डोज़ एन्टीकॉग्युलेंट या ब्लड थिनर के इस्तेमाल की सलाह दी गई थी।

डॉक्टर देश दीपक कहते हैं कि किस मरीज़ को ठीक होने के बाद एन्टीकॉग्युलेंट या ब्लड थिनर की ज़रूरत है या नहीं, उसके लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा कुछ लोगों में अस्पताल से लौटने के बाद मांसपेशियों में कमज़ोरी की शिकायत भी होती है। इससे उबरने के लिए प्रचुर मात्रा में प्रोटीन खाने की सलाह दी जाती है।
 
कुछ कोविड से रिकवर किए मरीज़ों में दवाइयों के साइड इफेक्ट कुछ हफ़्तों बाद देखने को मिलते हैं, कुछ में फंगल इंफेक्शन की शिकायत भी अब सामने आ रही है। इसके लिए जरूरी है मरीज़ ठीक होने के बाद भी अपने शरीर और उसमें होने वाले बदलाव पर बारीकी से नज़र रखे।

ऐसे मरीज़ों को अस्पताल से छुट्टी मिलने के 15 दिन बाद दोबारा डॉक्टर से फॉलो-अप चेक-अप करना होगा। उस दौरान अगर कोई और टेस्ट कराने की सलाह देते हैं, तो वो ज़रूर करवाएं।

इस दौरान मास्क पहनना, बार बार हाथ धोना और दो ग़ज की दूरी का ख़्याल रखना भी उतना ही ज़रूरी है जितना ऊपर लिखी बातें।

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