ख़ुद को 'चोरों का सरदार' कहने वाले बिहार के मंत्री ने क्यों दिया इस्तीफ़ा?

BBC Hindi
सोमवार, 3 अक्टूबर 2022 (11:50 IST)
-विष्णु नारायण (पटना से, बीबीसी हिन्दी के लिए)
 
बिहार के भीतर हाल-फिलहाल बनी महागठबंधन के सरकार के भीतर जारी शक्ति संघर्ष खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पहले क़ानून मंत्री 'कार्तिकेय सिंह' को इस्तीफा देना पड़ा और अब कृषिमंत्री 'सुधाकर सिंह' का इस्तीफ़ा हो गया है। एनडीए गठबंधन का साथ छोड़कर महागठबंधन का हिस्सा बनने के बाद यह नीतीश कैबिनेट के दूसरे मंत्री का इस्तीफ़ा है। दोनों मंत्री राष्ट्रीय जनता दल से सम्बद्ध हैं।
 
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अपने बेटे और कृषिमंत्री रहे सुधाकर सिंह के इस्तीफ़े पर बलिदान और त्याग जैसी बातें कर रहे हैं। सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफ़ा डिप्टी सीएम के माध्यम से सीएम नीतीश कुमार को भेजा। जबकि आमतौर पर ऐसा नहीं होता।
 
इसके बाद राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह मीडिया से रूबरू हुए। कृषिमंत्री के इस्तीफ़े पर उन्होंने कहा, 'बिहार का कृषिमंत्री बड़े जोर-शोर से मंडी क़ानून के सवाल को उठा रहा है। जिसे लेकर पूरा देश और प्रदेश व्यथित रहा। आंदोलन चला और क़ानून वापस हुए। संयोग से इन प्रश्नों को बिहार के कृषिमंत्री ने उठाया, लेकिन सिर्फ सवाल उठाने से नहीं होता है। त्याग देना पड़ता है। बिहार के कृषिमंत्री ने अपना इस्तीफ़ा सरकार के पास भेज दिया है कि सरकार अच्छे ढंग से चलती रहे। हम नहीं चाहते कि कोई लड़ाई आगे बढ़े।'
 
आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, 'सुधाकर सिंह आरजेडी के कोटे से कृषिमंत्री बने थे। चूंकि कृषि विभाग लंबे अरसे से भाजपा के पास रहा है। तो जो भी उन्होंने खामियां देखीं, उसमें वे सुधार की बात कहते रहे। आज उन्होंने इस्तीफ़ा अपने नेता तेजस्वी यादव को भेजा है, और सीएम नीतीश कुमार को एड्रेस किया है। अब यह सरकार का मामला है और हमारे पार्टी का नेतृत्व इस बात को देखेगा। कृषिमंत्री इस बात को विस्तार से बताएंगे, लेकिन इसमें हमारे विरोधियों (भाजपा) के खुश होने जैसा कुछ भी नहीं है। हमारी सरकार नौजवानों और बेरोज़गारों के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी सरकार इन्टैक्ट है।'
 
एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा बने। बीते 16 अगस्त को नए मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ और मंत्रिमंडल के विस्तार में कृषि विभाग जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी सुधाकर सिंह को मिली।
 
मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के साथ ही बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। मोदी तब सुधाकर सिंह पर इस बात को लेकर हमलावर थे कि उन्होंने राज्य खाद्य निगम 5 करोड़ 31 लाख की राशि का ग़बन किया है। हालांकि तब सुधाकर सिंह ने ऐसे तमाम आरोपों को खारिज किया था।
 
कृषिमंत्री बनने के बाद से ही सुधाकर सिंह तब भी चर्चा में आए थे जब उन्होंने कैबिनेट मंत्री को मिलने वाली तमाम सुरक्षाएं और प्रोटोकोल लेने से मना कर दिया था। उन्होंने सूबे में कम बारिश और धान रोपनी के संदर्भ में अपने ही विभाग के आंकड़ों से अलग बात की। इतना ही नहीं, अपने ज़िले के भीतर हुई एक आम सभा में लोगों की शिकायतों के बाद बोलते-बोलते वे अपने विभाग को चोर और खुद को 'चोरों का सरदार' तक कह गए।
 
खुद को चोरों को सरदार कहकर सुर्ख़ियों में आने के बाद भी वे नहीं रुके। उन्होंने सूबे के बीज निगम को फर्जी क़रार दिया। कहा कि ढाई-दो सौ करोड़ रुपये के बीज तो निगम ही खा जाता है। इसके अलावा उन्होंने बिहार सरकार के दूसरे और तीसरे कृषि रोड मैप पर भी सवाल उठाए। सूबे में यूरिया की कालाबाजारी में विभाग की संलिप्तता के मसले पर भी बोले।
 
इसके साथ ही उन्हें साल 2005-06 में नीतीश कुमार द्वारा खत्म किए गए एपीएमसी ऐक्ट (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी ऐक्ट) या कहें कि बाज़ार समितियों की पुनर्जीवित करने की बात भी करते हुए देखा-सुना जा रहा था। वे सब्सिडी के बजाय एमएसपी के सवाल पर बोलते हुए देखे-सुने गए।
 
वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी कहते हैं, 'नीतीश कुमार लंबे समय से सत्ता पर आसीन हैं। ऐसी बातों का कहा जाना उन्हें रास नहीं आया। आख़िर कृषिमंत्री की ओर से कही जा रही तमाम बातें नीतीश के ही तो ख़िलाफ़ जा रही थीं, और यह कोई तेजस्वी के नेतृत्व वाली सरकार तो है नहीं।'
 
रामगढ़ से पहली बार विधायक चुने गए और कृषिमंत्री बनाए गए सुधाकर सिंह राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं। पहली बार विधायक चुने के बावजूद उन्हें कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी दिए जाने में उनके विरासत की भूमिका को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
 
इसके साथ ही हाल-फिलहाल में जगदानंद सिंह की ओर से साल 2023 में तेजस्वी को सीएम बनाकर नीतीश के दिल्ली की राह पकड़ने को लेकर दिए गए बयान को लेकर भी खासा बखेड़ा खड़ा हुआ। खुद तेजस्वी यादव को मीडिया में आकर ऐसी बातें कहनी पड़ीं कि प्रदेश की सरकार बढ़िया तरीके से चल रही है। नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता हैं। लोगों को इस तरह की बयानबाजियों से बचना चाहिए।
 
तेजस्वी यादव के मीडिया में आकर बोलने के बाद से आरजेडी की ओर से एक पत्र भी जारी हुआ। यह पत्र खुद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने जारी किया। इस पत्र के माध्यम से राजद ने अपने सांसदों, विधायकों समेत तमाम पदाधिकारियों से आग्रह किया था कि गठबंधन, नेतृत्व और सरकार से संबंधित सवालों पर सभी परहेज करें।
 
कन्हैया भेलारी कहते हैं, 'जगदानंद सिंह अपने पूरे बयान में जहां एक ओर अपने बेटे (सुधाकर सिंह) को शहीद दिखाना चाहते हैं, वहीं वे यह भी नहीं चाहते कि सरकार पर कोई आंच आए। आख़िर वे एक बड़े दल के अग्रणी और निर्णायक नेता तो हैं ही। रही बात सुशील मोदी की तो वे वही बात कह रहे हैं जो नीतीश कुमार उनसे कहलवाना चाहते हैं।'
 
वैसे तो राजद कोटे से मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद से ही सुशील कुमार मोदी भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सुधाकर सिंह पर हमलावर रहे, लेकिन विभाग के अफसरों को चोर और खुद को चोरों का सरदार कहे जाने को लेकर दिए गए कृषिमंत्री के बयान को उन्होंने नीतीश कुमार को सीधी चुनौती कहा था।
 
कृषिमंत्री के इस्तीफे पर उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'दो माह में बिहार सरकार का दूसरा विकेट गिरा। नीतीश कुमार की अभी और फ़जीहत होनी बाक़ी है। यह लड़ाई अब जगदा बाबू बनाम नीतीश कुमार हो गई है। क्या अगला विकेट जगदा बाबू का हो सकता है?'
 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इस सारे मामले पर कहा, 'अगस्त महीने में सत्ता के हस्तांतरण के बाद से ही बिहार में यूरिया की लूट जारी है। किसान त्राहिमाम कर रहा है। कृषि विभाग के अफसरों और होलसेल डीलरों ने मिलकर लूट मचाई। जब सुधाकर सिंह ने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई, तो नीतीश जी इसे कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकते।'
 
ग़ौरतलब है कि सूबे के भीतर सत्ता के फ़ेरबदल के बाद भी जहां नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने, वहीं संबंधित दल जदयू लगातार सत्ता में है। कृषिमंत्री के इस्तीफे और हालिया प्रकरण पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, 'कृषिमंत्री ने इस्तीफ़ा दिया है और यह उनका विषय है।'
 
हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कृषिमंत्री का इस्तीफ़ा स्वीकार करते हुए अनुशंसा राज्यपाल फागू चौहान को भेज दिया। सुधाकर सिंह की जगह पर पर्यटन मंत्री कुमार सर्वजीत को कृषि विभाग दिया गया है, जबकि पर्यटन विभाग का अतिरिक्त प्रभार उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को दे दिया गया है।

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