बिहार चुनाव में खूब होंगे वार-पलटवार, इन 5 मुद्दों पर होगी नेताओं की परीक्षा...

नृपेंद्र गुप्ता

शनिवार, 26 सितम्बर 2020 (15:24 IST)
पटना। बिहार चुनाव (bihar assembly election 2020) को लेकर भाजपा, जदयू, राजद, कांग्रेस सभी दल पूरी तरह तैयार हैं। कोरोनवायरस (Coronavirus) काल में हो रहे देश के पहले बड़े चुनाव में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की साख दांव पर लगी हुई है।
 
नीतीश कुमार को पूरा भरोसा है कि उनकी छवि, काम और पीएम मोदी का जादू एक बार फिर उन्हें सत्ता के गलियारे तक पहुंचाने में सफल होगा। दूसरी ओर राजद नेता तेजस्वी यादव कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा-जदयू गठबंधन को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
 
2 मोर्चों पर लड़े जा रहे इस चुनाव में भाजपा-जदयू को उनकी हाईटेक आईटी सेल के साथ कार्यकर्ताओं की लंबी फौज का फायदा मिलेगा। वहीं नीतीश सरकार की कमजोरियों पर प्रहार कर तेजस्वी सोशल मीडिया के साथ ही हर बिहारी के दिल पर छा जाना चाहेंगे। आइए जानते हैं कि बिहार चुनाव में राजनीतिक दल किन मुद्दों के आधार पर चुनाव मैदान में उतरेंगे...

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कोरोनावायरस : दुनियाभर में इन दिनों कोरोनावायरस का कहर देखा जा रहा है। इस वजह से 70 देशों में चुनाव स्थगित हो चुके हैं, लेकिन बिहार में विपक्ष इस महामारी को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकता है। बिहार में लगातार तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के मामले पर विपक्ष हर हाल में सरकार को घेरना चाहेगा। वहीं, मोदी सरकार ने कोरोनाकाल में बिहार को निराश नहीं किया है। नीतीश ने भी कोरोना संक्रमण नहीं फैले इसके लिए काफी तैयारियां की हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन का प्रयास होगा कि वह अन्य प्रदेशों के आंकड़े दिखाकर इस मुश्किल दौर में सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को दिखा सके।
 
अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी : विपक्ष कमजोर अर्थव्यस्था और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। कोरोना काल में बड़ी संख्‍या में लोग पलायन कर बिहार पहुंचे। बिहार में भी बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए। अब नीतीश सरकार के सामने इन लोगों की नाराजी दूर करना बड़ी चुनौती है। उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी ने कहा भी था कि 20 हजार करोड़ के पैकेज से बिहार को बड़ी मदद मिलेगी। नीतीश सरकार की सत्ता में वापसी इस बात पर तय होगी कि वहां का युवा इन मामलों को किस तरह से देखता है। इस मुद्दे पर कांग्रेस केंद्र सरकार को और तेजस्वी नीतीश कुमार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं।
 
कृषि विधेयक : भले ही मोदी सरकार कृषि विधेयक को किसानों के हित का बता रही हो लेकिन जिस तरह से विपक्ष और किसान संगठन इस मामले को हवा दे रहे हैं। यह विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनेगा। चुनाव के अगले ही दिन कांग्रेस ने कृषि विधेयक पर सोशल मीडिया पर एक बड़ा कैंपेन चलाने का ऐलान कर दिया। बिहार में कृषि विधेयकों के विरोध में तेजस्वी और तेजप्रताप दोनों साथ दिखाई दिए। हालांकि भाजपा जदयू गठबंधन ने भी इस पर पूरा होमवर्क कर लिया है और बता दिया है कि वह विपक्ष के करारे हमलों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
 
राम मंदिर : एनडीए खासकर भाजपा इस चुनाव में अयोध्या राम मंदिर मामले को भुनाने का प्रयास करेगी। मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरो से चल रही हैं और दावा किया जा रहा है कि यह 3 साल में बनकर तैयार भी हो जाएगा। बिहार में बड़ी संख्या में हिंदू रहते हैं अत: सत्तारूढ़ गठबंधन मंदिर को मुद्दा बनाकर चुनाव फतह करना चाहेगी। विपक्ष नहीं चाहेगा कि यह किसी भी हाल में मुद्दा बने इसके लिए उसका अन्य मुद्दों पर जोर रहेगा। 
 
विकास : इस चुनाव में विकास भी बड़ा मुद्दा रहेगा। सुशासन बाबू के नाम से मशहूर नीतीश लंबे समय से राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह भाजपा, लोजपा, राजद, कांग्रेस सभी दलों के साथ सत्ता में रहे हैं। विधानसभा चुनावों से पहले मोदीजी ने बिहार को कई चुनावी सौगातें दी है। पीएम मोदी को लगता है कि बिहार में नीतीश ने काफी विकास किया है। खुद नीतीश का भी मानना है कि उन्होंने राज्य में काफी विकास किया है और इस मुद्दे पर चुनाव लड़ा जा सकता है।
 
इनके अलावा भी बिहार के अलग-अलग इलाकों में कई बड़े मुद्दे हैं। दोनों ही दल इन मुद्दों पर एक-दूसरे को घेरने का प्रयास करेंगे। बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की जनता किस आधार पर और किसके पक्ष में अपना फैसला सुनाती है।

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