बिहार विधानसभा चुनाव में चुनाव की तारीखों के एलान के बाद देखते ही देखते एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच सीधे मुकाबले की चुनावी तस्वीर बदल गई है। पहले दौर के मतदान के लिए नामांकन शुरु होने के साथ ही चुनावी गठबंधन का दौर जोर-शोर से जारी है। चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही अब चुनावी मुकाबला बहुकोणीय होता दिख रहा है। चुनावी अखाड़े में आज बिहार एक दो नहीं बल्कि पांच-पांच गठबंधन ताल ठोंक रहे है।
बिहार चुनाव में अगर गठबंधन की बात करें तो चुनावी अखाड़े में सबसे ताकतवर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नजर आता है। बिहार में नीतीश के चेहरे के साथ चुनावी समर में उतरने वाला एनडीए फिलहाल सब पर भारी पड़ता दिख रहा है। बिहार में सत्तारूढ़ इस गठबंधन में नीतीश की पार्टी जेडीयू,भारतीय जनता पार्टी,केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा और जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) इसमें शामिल है। फिलहाल सीट बंटवारे को लेकर लोजपा और जेडीयू के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है।
चुनावी अखाड़े में सत्तारूढ़ एनडीए को चुनौती देने का काम महागठबंधन कर रहा है,जिसमें लालू यादव की पार्टी आरजेडी इस वक्त बड़े भाई की भूमिका में है। वहीं सीटों को लेकर बने गतिरोध के बीच भाकपा माले ने 30 सीटों पर अपने उम्मीवारों के नामों का एलान कर दिया है लेकिन अब बात बनती दिख रही है। महागठबंधन की पूरी कोशिश है कि वह एकजुट होकर चुनाव में एनडीए का मुकाबला करें।
बिहार के बाहुबली नेता की छवि रखने वाले पप्पू यादव चुनाव से ठीक पहले दलित-पिछड़ा वोट बैंक को सधाने के लिए प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायन्स बनाकर चुनावी मैदान में आ डटे है। चुनाव तारीखों के एलान के साथ ही चुनाव मैदाने में इस तीसरे मोर्च की ताकत बढ़ती जा रही है। दलित वोट बैंक को एकजुट करने के लिए वंचित बहुजन अगाड़ी और भीम आर्मी समेत कई छोटे दल लगातार इस गठबंधन में शामिल होते जा रहे है।
चुनाव की तारीखों के एलान के साथ बिहार की राजनीति के बड़े चेहरे और अब तक महागठबंधन में शामिल उपेंद्र कुशवाहा ने अब अपनी अलग राह पकड़ ली है। महागठबंधन से अलग होकर उपेंद्र कुशवाह की पार्टी रालोसपा और बसपा एक साथ आकर गठबंधन के तौर पर चुनावी मैदान में आ डटी है।
चुनावी मुकाबले में पांचवा और सबसे छोटा गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक सेक्युलर एलायंस (UDSA) है। बिहार में मुस्लिम वोटरों के साहरे अपने पैर जमाने की कोशिश में लगी असदुद्दीनऔवेसी की पार्टी AIMIM और पूर्व केद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव की पार्टी समाजवादी जनता दल इसमें शामिल है।
दरअसल बिहार चुनाव में गठबंधन को लेकर सभी पार्टियों की अपनी-अपनी चुनावी महत्वाकांक्षा और जातीय समीकरण है। चुनाव की तारीखों के एलान के बाद पार्टियां जिस तेजी से गठबंधन कर रही है और बड़ी पार्टियां गठबंधन को बचाने की कोशिश कर रही वह इस बात का साफ संकेत है कि कोई भी दल अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है और न सरकार बनाने की स्थिति में।