अली फजल ने बताया मिर्जापुर में मुन्ना भैया की जगह क्यों चुना गुड्डू पंडित का किरदार | Exclusive Interview

रूना आशीष

गुरुवार, 4 जुलाई 2024 (10:31 IST)
Ali Fazal Interview: मेरी जिंदगी में एक साथ कई सारी तब्दीलियां रही है और निजी क्या और क्या प्रोफेशनल दोनों में ही बहुत सारी चीजें देखने को मिल रही है, नयापन है। पर्सनल लाइफ के बारे में बात करूं तो घर में जो मेहमान आने वाला है उसके लिए तरह-तरह के की किताबें पढ़ता रहता हूं। समझता रहता हूं की तैयारी कैसे करनी है। मेहमान के लिए कैसे व्यवहार रखना है। और फिर भी कंफ्यूज रहता हूं। जहां तक बातें प्रोफेशनल लाइफ की हो तो जो भी कर रहा हूं, हर काम में मुझे मजा आ रहा है। फिल्मों में मजा आ रहा है। वेब सीरीज में मजा आ रहा है। 
 
बतौर सेलिब्रिटी मैं भले ही अपने आप को कितना भी छुपा कर रख लूं एकदम अंदर कहीं घुस जाऊं, लेकिन फिर भी दिल में हसरत सी रहती है कि लोगों की तरफ से थोड़ा प्यार तो मिल ही जाना चाहिए? यह कहना है अली फजल का जो कि वेब सीरजी 'मिर्जापुर 3' में गुड्डू पंडित के किरदार में नजर आने वाले हैं। मिर्जापुर 1 और 2 में जिस तरीके से गुड्डू के किरदारों के रंग बदले हैं उसके बाद यह सोचने में आता है कि क्या मिर्जापुर 3 में भी गुड्डू का किरदार कुछ नया रंग लेकर आने वाला है। 
 
अपनी इसी वेब सीरीज के अगले भाग के लिए अली फजल जब मीडिया से रूबरू हुए तो उन्होंने कई हल्के-फुल्के पल और बातें दोनों मीडिया से साझा की। अली बताते हैं, मिर्जापुर 3 जब मैं शूट कर रहा था तब मैंने अपने पुराने सीरीज नहीं देखे ना मिर्जापुर वन ना टू देखा जो भी मेरे दिमाग में आता गया मैं वह करता गया। एक बहुत अच्छी चीज होती है कि हम इंसानों के पास यादें होती हैं। और जब आप वेब सीरीज के अलग-अलग सीजंस शूट कर रहे होते हैं तो यही यादें जो आप अपने मस्तिष्क में संजोए होते हैं, आप उन्हीं को दोहराते हैं और फिर किरदार के साथ आगे बढ़ते जाते हैं। 
 
जबकि फिल्म में होता है यह है कि आपको क्रिएटिविटी का इस्तेमाल तो करना है। उसे तो आप नहीं बच सकते। आपको अपना किरदार खुद ही बनाना होता है। लेकिन डेढ़ घंटे के अंदर आपको सारा काम करके, फिल्म को खत्म करके आगे बढ़ जाना होता है। एक तरह से उसका अपना फायदा होता है। लेकिन वेब सीरीज में याद है और आपकी जो स्मरण शक्ति है वह कुछ आपका काम कर देती है और आप अगली शूट के लिए तैयार हो जाया करते हैं।
 
गुड्डू पंडित हर बार हर कदम में अलग ही नजर आता है और इस अंतर के साथ-साथ अपने आप को फिजिकली फिट रखना। कितना चुनौतीपूर्ण होता है?
नहीं बहुत चुनौतीपूर्ण मैं नहीं मानता लेकिन मुझे अच्छा लगता है और जो भी कर रहा हूं। वह मेरे किरदार को हर सीजन में आगे ही बढ़ाने का काम करता है। मैं अभी अपने फाइट कोरियोग्राफर से बात भी कर रहा था तो उन्होंने भी बताया कि हम लोग बहुत ज्यादा सलामती का ध्यान रखते हैं। सेफ्टी के लिए जो जो चीजों की जरूरत होती है, हम सब उसका ध्यान रखते ही हैं। फिर भी कई बार ऐसा होता है कि हम अपने जोश में बहुत आगे बढ़ जाते हैं तो फिर कहीं कहीं चोट भी खा लेते हैं। एक्शन सीक्वेंस में थोड़ा बहुत होता भी रहता है। और मुझे मजा आता है कि मैं कुछ अलग अलग तरीके के एक्शन सीक्वेंसेस करता रहूं।
 
अब मिर्जापुर एक में आपने देख लिया था मैं किस तरीके का हूं, फिर मिर्जापुर दो जब आए तब मैं शोकाकुल हूं। उस समय मैंने अपने मूड को और अपने फिजिकल अपीरियंसेज को जितना संवार सकता था उतना दिखा सकता था उतना नपा तुला ही दिखाया है। वहीं अगर मिर्जापुर 3 की बात करूं तो मैंने अपने अपीयरेंस को बदलने की कोशिश की है क्योंकि मैं चाहता था कि इस बार मेरे किरदार में नजर आए। ऐसे लोग भी दिमागी तौर पर बहुत सशक्त हो सकते हैं। वह भी चालें चल सकते हैं और उनके पास भी बहुत अच्छा तेज चलने वाला दिमाग होता है।
 
 
आपको पसंद है अपने टेक के बाद मॉनिटर देखना? 
पहले नहीं देखा था। अब मैं देखने लगा हूं, लेकिन उसके पीछे भी एक कारण यह है कि अब मैं धीरे-धीरे एक्टिंग के साथ कुछ और भी कर रहा हूं। मैं लिखने में भी कदम बढ़ा रहा हूं। मैं फिल्में प्रोड्यूस करने में अपने कदम बढ़ा रहा हूं तो अब मेरे अंदर से एक बड़ी इच्छाएं होने लगी है कि कोई टेक क्यों लिया जा रहा है और कोई एक्टर कैसा दिख रहा है। कई बार मैं कैमरा डिपार्टमेंट के साथ भी बैठा रहता हूं। उनसे भी कई सारी बातें करता रहता हूं कि आप कैमरा स्टैटिक रखा है तो क्यों रखा है।
 
कैमरा मूवमेंट हो रहा है तो क्यों हो रहा है, आजकल मूवमेंट ज्यादा भी होने लगे हैं। वरना पहले तो होता था पुरानी फिल्मों में कि कैमरा लगा दिया है। अब आपका एक्टिंग कर दी है क्योंकि उस समय कहानी कैसे कहना है, कंटेंट क्या है, वह बहुत मायने रखता था। मुझे लगता है मिर्जापुर में भी हम लोग यही करने की कोशिश करते हैं कि कंटेंट को एकदम दमदार रखा जाए।
 
आप हॉलीवुड फिल्मों में भी काम कर चुके हैं कितना अंतर नजर आता है। 
काम में बहुत ज्यादा अंतर है जो हम भारत में काम करते हैं तो हमें तो यहां पर इतना ज्यादा प्यार दिया जाता है। हमें प्यार दे दे कि बिगाड़ दिया जाता है जबकि हॉलीवुड में ऐसा नहीं है। दोनों के कल्चर में बहुत अंतर। चीजों को करने का तरीका अलग है। यहां तरीका अलग है लेकिन सच में मुझे भारत में ज्यादा मजा आता है क्योंकि अब जो कि हम लोग उस स्थिति में जहां पर पूरी दुनिया में हम कहीं भी कोई भी फिल्म देख सकते हैं और काम कर सकते हैं हम इतने ओपन हो चुके हैं।

मुझे ऐसा लगता है कि मुझे यहीं रह जाना है। मुझे यहां की कहानियां अब दूसरे दुनिया वालों को बतानी है। मौके तो बहुत है कि मैं हॉलीवुड चले जाऊं। वही शिफ्ट हो जाओ लेकिन मैं यहीं रहना चाहता हूं। ऐसी फिल्में बनाना चाहता हूं जिससे हमारे संस्कृति और हमारी कहानियों को दुनिया वाले देख सकें।
 
आपने बताया था कि पहले आपको मुन्ना भैया का किरदार मिला था लेकिन पर आपने गुड्डू को चुन लिया तो क्या आपको पूर्वाभास हो गया था कि सेकंड सीजन में मुन्ना भैया का किरदार खत्म हो जाएगा 
(ठहाके लगाते हुए जवाब दिया) नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं सोचा था। मैं तो यह भी नहीं मालूम था कि इसका अगला सीजन भी बनने वाला है या नहीं बनने वाला है। कुछ भी नहीं मालूम था। हम बस काम करना चाह रहे थे। जब मुन्ना भैया का किरदार आया तो मैंने पढ़ लिया था। और फिर जब गुड्डू का किरदार पढ़ा तो ऐसा लगा कि यह वाला ज्यादा अच्छे से निभा पाउंगा तो मैंने भी मेकर्स को बताया कि मुझे लगता है कि गुड्डू के किरदार में मैं कुछ ज्यादा बेहतर परफॉर्म कर सकूंगा और बस इसलिए चुन लिया था।

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