सोशल मीडिया से क्यों दूर रहते हैं 'लाइगर' निर्देशक पुरी जगन्नाथ?

रूना आशीष

शुक्रवार, 26 अगस्त 2022 (12:23 IST)
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मैं सोशल मीडिया पर नहीं हूं मुझे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना पसंद भी नहीं आता है क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि यह बहुत सारा समय खा जाता है। आप कुछ ट्वीट करते हैं। फिर आप इंतजार करते हैं, उसका जवाब देखते हैं। फिर आप एक के बाद दूसरा ट्वीट देखते हैं और इस तरीके से आपका समय खत्म हो जाता है और मैं यह सब नहीं चाहता। इसलिए मैंने बहुत समय पहले ही ट्विटर छोड़ दिया और बाकी के सोशल मीडिया पर भी नहीं रहता हूं।
 
 
यहां तक कि अपनी फिल्म जब रिलीज होने वाली होती तब मैंने व्हाट्सएप बंद कर दिया होता है कि कई बार दोस्त और रिश्तेदार हंसी मजाक वाले, जोक्स वाले मैसेज भेज देते हैं और मुझे यह सब पसंद नहीं आता है। यह कहना है पुरी जगन्नाथ का जो की फिल्म 'लाइगर' के साथ लोगों के सामने आए हैं। 
 
पुरी ने अपनी फिल्म के प्रमोशन के दौरान मीडिया से हुई बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मुझे तो कभी लगा ही नहीं था कि मैं कभी फिल्म में निर्देशक भी करने वाला हूं। दरअसल बात ये है कि मेरे पिताजी का अपना एक छोटा सा मूविंग सिनेमा हॉल हुआ करता था और हमारे गांव और आसपास की जगह पर इसे लेकर जाया करते थे। मैं एक ही फिल्म को जाने कितनी बार देखा था। मैंने अपने गांव के लिए एक बार एक ड्रामा लिखा और उसे निर्देशित किया। इस नाटक को मेरे माता-पिता ने देखा। 
 
एक दिन जब मैं डिग्री कॉलेज में था तब पिता ने मुझे अपने पास बुलाया। पैसे देते हुए कहा कि जाओ सिनेमा लाइन में अपनी किस्मत को आजमा मैं तब तक भी नहीं सोच रहा था कि मुझे सिनेमा लाइन में जाना है। बाकी पिताजी इस तरीके से बुला कर मुझे इस लाइन में जाने के लिए कहेंगे तो बिल्कुल मेरा सोच से परे था। 
 
पुरी जगन्नाथ ही नाम बहुत अनोखा है। आप इसके पीछे की कोई कहानी बताना चाहेंगे।
हां कहानी जरूर बताना चाहूंगा। हम लोग आंध्र प्रदेश के और मेरे माता पिता ने शादी की और भागकर उड़ीसा के पुरी में जाकर छुप गए। काफी सालों तक वह अपने घरवालों से रिश्तेदारों से छुपे ही रहे और जब मैं पैदा हुआ तब उन्होंने मेरा नाम पुरी जगन्नाथ रख दिया और उनकी खुद की आस्था भी जगन्नाथ जी पर बहुत ज्यादा है।
 
करण जौहर के साथ काम करना कैसा रहा।
करण जौहर बड़े अच्छे इंसान हैं। बहुत ही मदद करने वाले इंसान में से एक है। मुझे तो ऐसा लगता है कि जब तक मैं एक लाइगर बनाऊंगा तब तक करण दस फिल्में बनाकर तैयार कर लेंगे। वह एक ऐसे इंसान हैं जिन्हें रात के 3:00 बजे फोन लगाओ और बोलो कि आपकी परेशानी है उनके पास उस परेशानी का हल जरूर होता है। हालांकि यह बात मैं कहते हुए यह भी बताना चाहूंगा कि जब भी परेशानी खड़ी हुई है फिल्म मेकिंग के दौरान तब निर्माता चार्मी ने उन्हें फोन किया है और उन्होंने जितनी मदद हो उतनी की है और इस तरीके से परेशानियां दूर होती गई। 
 
आपको खुद को किस तरीके की फिल्में देखना पसंद आती है। 
मैं तो फिल्ममेकर हूं मुझे हर तरीके की फिल्में देखना पसंद है और हर तरीके की फिल्में देखने के बाद मुझे बहुत कुछ समझने को मिलता है। लेकिन कुछ इस तरीके की फिल्में है वो देख तो लेता हूं लेकिन बनाना पसंद नहीं करता हूं। मुझे आर्ट फिल्में बनाने की बिल्कुल इच्छा नहीं होती है। मुझे लगता है कि फिर मैं कमर्शियली ही बनाई जानी चाहिए ताकि जब आप बनाए तो उससे आपको आमदनी भी हो।
 
आपकी एक फिल्म चिरंजीवी के साथ भी आने वाली थी। क्या हुआ उसका?
मेरी बात भी हुई थी चिरंजीवी से मैंने उनको अपनी स्क्रिप्ट भी सुनाई थी। उन्हें पसंद भी आई थी। यह एक कमर्शियल फिल्म थी लेकिन फिर बाद में हुआ कि मुझे उन्होंने बताया कि जितने भी नेताओं से वह मिल रहे हैं, वह सारे ही नेता कहते हैं कि आप जब भी कोई फिल्म करें तो कोई संदेश देती हुई फिल्म करें। इस वजह से चिरंजीवी मेरी वह फिल्म नहीं कर पाए।
 
लेकिन हाल ही में उन्होंने मुझे अपनी एक फिल्म गॉडफादर के लिए एक रोल ऑफर किया था जिसमें वह चाहते थे कि मैं एक्ट करूं। मैंने उनको कहा भी कि मैं अभिनेता नहीं निर्देशक हूं तो फिर भी उन्होंने मुझे समझाते हुए कहा कि मुझे एक्टिंग करनी ही चाहिए। उनकी फिल्में और मैंने उस फिल्म में पत्रकार की भूमिका भी निभाई है। 
 
माइक टायसन के साथ शूट करना कैसा रहा? 
बात कुछ ऐसे शुरू हुई कि हम लोग अपने फिल्म के लिए किसी ऐसे इंसान को दुख ढूंढ रहे थे जो कि माइक टायसन जैसा दिखे। फिर थोड़े दिन बाद हम सभी को लगने लगा कि कोई माइक टायसन जैसा क्यों? क्यों ना माइक टायसन खुद ही रोल कर ले तो हमारी सोच तो थी, लेकिन माइक टायसन तक पहुंचना इतना आसान नहीं था। बीच में कई लोग होते हैं जिनसे पूरी डिटेल्स देनी पड़ती है। परमिशन की बात करनी पड़ती है। उनमें से कई लोग बार-बार पूछे थे कि हम कहां से हैं किस तरह की फिल्म हम बनाना चाहते हैं, लेकिन इन सबके बावजूद भी माइक टायसन ने हमारी फिल्म में काम किया। 
 
माइक टायसन कोई खास बात जो भी आप शेयर करना चाहे। 
माइक टायसन ने मुझे एक बार बताया था कि वह वह अपनी जिंदगी में कभी भी बिना एक्सरसाइज के नहीं रहे हैं। उन्होंने बहुत ही कठिन बचपन देखा है। वह मां के साथ रहते थे, पिता थे नहीं। उन्हें पेट भर के खाना भी नहीं मिलता था। कितनी बार उन्हें दिन भर में सिर्फ एक ही बार खाने का मौका मिलता था। 13 साल तक तो उन्हें 38 बार पुलिस पकड़ चुकी थी छोटे-मोटे जुर्म के चलते। 
 
लेकिन उसके बाद उन्होंने जब मुक्केबाजी करने का फैसला ले लिया तो पीछे मुड़ कर देखा नहीं। आज भी वह बिना छुट्टी किए हर रोज जिम जाते हैं, कभी ऐसा हुआ कि उनके पांव में लग भी गए हो तो वह जिम में जाकर दूसरे पैर या दूसरे हाथ से ही एक्ससाइज कर लेंगे लेकिन जिम जाना नहीं छोड़ेंगे। दूसरी बात समय के इतने पक्के हैं कि कई बार तो हमारे हीरो हीरोइन सेट पर नहीं आते थे, लेकिन वह पहुंच जाया करते थे। कई बार तो सुबह 7:30 बजे ही शूट के लिए तैयार होकर खड़े हो जाया करते। 
 

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