"एक एक्टर हमेशा महफ़ूज़ महसूस करता है अगर उसके निर्देशक ने कहानी और स्क्रिप्ट पर पहले से ही काम कर लिया हो। मेरे लिए 'कलंक' अपने करियर की पहली पीरियड फिल्म है। जब अभिषेक वर्मन मेरे पास ये रोल ले कर आए तो मुझे ये देख कर बहुत अच्छा महसूस हुआ कि कहानी पर पहले से ही अभिषेक ने इतना सारा काम कर रखा था। वैसे भी 1940 के उस समय में देश में बहुत हलचल थी। ऐसे में उस समय को जानना और फिर उसे दिखाना बहुत बड़ा चैलेंज है। मेरे लिए ये फिल्म चैलेंजिंग रही है क्योंकि आप आज के समय में जीते, उठते, बैठते हो, लेकिन इस किरदार के साथ मुझे किसी और ही समय को जीना था जो बहुत मुश्किल है।
फिल्म 'कलंक' के बारे में बातचीत करते हुए आदित्य रॉय कपूर ने वेबदुनिया को बताया कि उन्हें अपने किरदार के बारे में जानकारी देना बहुत असहज कर जाता है। वे कहते हैं "मुझे हर बार लगता है कि अब फिल्म के प्रमोशन्स शुरू होने वाले हैं तो मुझे रोल के बारे में भी बताना होगा। जो रोल मैं निभा रहा हूँ उसके बारे में कुछ कहने के लिए मुझे अपने आप से बाहर निकल कर उस किरदार को सोचना-परखना पड़ता है जो कि मेरे लिए टेढ़ी खीर है। फिर भी इतना कह सकता हूँ कि 'कलंक' का मेरा किरदार बहुत ही संवेदनशील इंसान है जो अपने रिश्तों को लेकर बहुत ही नर्म रवैया अपनाता है। अच्छे परिवार से है। पेशे से पत्रकार है और अपना हर काम ईमानदारी से करना पसंद करता है।"
'आशिक़ी 2' के बाद क्या आपको लगता है कि आपसे कहीं फिल्मों के चुनाव में चूक हो गई है?
अगर ज़िंदगी में सब कुछ पहले से बताया जा सकता तो क्या बात होती। आशिक़ी के पहले भी मेरी दो-तीन फ़िल्में आई थीं लेकिन वो नहीं चली। मैं जब अपने काम के बारे में पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो लगता है कि मुझे इस पूरे सफर में क्या पसंद आया? तो वो है एक्टिंग। मुझे सेट पर पहुंच कैमरा के सामने आना पसंद है। फिल्म बिज़नेस बहुत सारी अनिश्चितता से भरा बिज़नेस है। कब क्या चले कोई नहीं कह सकता। फिल्म बनने में महीनों लगते हैं और रिलीज़ वो एक दिन में हो जाती है।
'कलंक' में आपके रोल के लिए कोई रेफरेंस मिला?
मैंने उस समय की कुछ किताबें पढ़ी, ख़ासकर मुझे नेहरू जी की 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' बहुत पसंद आई। उसमें बहुत सारी बातें सीखने लायक हैं। इसके अलावा मैंने दिलीप कुमार की कुछ फ़िल्में देखीं, खासतौर पर 'अंदाज' और 'मधुमति'। मैं तो उनका अभिनय देखते ही रह गया। वे कितने बेहतरीन एक्टर हैं। शायद दुनिया के पहले मैथड एक्टर रहे हैं। मैंने उनके अभिनय से बहुत सीखा और समझा। ज़ाहिर सी बात है कि आप उस लेवल की एक्टिंग नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनकी फ़िल्में हमें दिखाती हैं कि उस समय के लोग कैसे थे? कैसे बातें करते थे? उनके बोलने में एक लहजा था। वे बहुत ही रिदमिक तरीके से बात करते थे। बस ये ही कुछ रेफरेंस थे जो काम आ गए।
और कौनसी फ़िल्में आप कर रहे हैं?
आने वाले दिनों में मैं अनुराग बासु की फिल्म कर रहा हूँ जिसका नाम अभी तक तय नहीं है, लेकिन 'कलंक' के बाद वही रिलीज होगी। एक फिल्म मोहित सूरी के साथ कर रहा हूँ। सड़क 2 भी शुरू होने वाली है।