मैं कभी भी यूं ही या मजे के लिए लिव-इन नहीं करूंगी : कृति सेनन

'बरेली की बर्फी' मेरे लिए बहुत अच्छी फिल्म और करियर के लिए माइलस्टोन रही है। इसके पहले मैंने जब भी काम किया, मेरी इमेज एक अर्बन लड़की की बन गई थी। पता नहीं, 2-3 फिल्मों से मेरी ऐसी इमेज कैसे बन गई? लेकिन फिर भी बन गई। लेकिन जब 'बरेली की बर्फी' आई तो एकदम लोगों को लगा कि मैं तो ऐसे रोल्स भी कर सकती हूं। आप ऐसे ही तो अलग-अलग किस्म के रोल करते हुए आगे बढ़ते हैं।


कृति सेनन अब एक बार फिर से छोटे से शहर मथुरा की लड़की का रोल निभाने वाली हैं। 'लुका-छिपी' में वे गुड्डू बने कार्तिक आर्यन के साथ लिव-इन रिलेशन में हैं। 'वेबदुनिया' से बात करते हुए कृति बताती हैं कि 'लुका-छिपी' से बचपन में खेला जाने वाला खेल होता है। ये ही खेल है, जो आप सबसे पहले सीखते हैं। पहले घर में भाई-बहन के साथ खेलते हैं, फिर अपने दोस्तों के साथ खेलते हैं। थोड़े बड़े हुए तो घर या सोसाइटी में खेलते हैं। कभी-कभी खाने को लेकर भी लुका-छिपी हुई है। खाने में पीली दाल बनी है, जो नहीं खाना तो छुपकर घर के बाहर फेंक दी ताकि मम्मी को पता न चले।

तो कभी कोई लुका-छिपी बड़े होने के बाद नहीं खेली?
हां, वो तो खेली है। कभी किसी लड़के से फोन पर बात करते थे तो छुपकर करते थे। लेकिन फिर भी पता नहीं कि कैसे मम्मी को पता चल जाता था। शायद मेरी आवाज का टोन बदल जाता था या फिर मुझे लगता था कि मेरी बॉडी से कुछ गर्मी निकलने लगती है। ऐसे में कभी आपके पास लैंडलाइन है और उसकी पैरेलल लाइन दूसरे कमरे में हो तो वे फोन उठाती थीं फिर कहती थीं कि 'अच्छा तुम हो' और इसके भी 10 सेकंड के बाद फोन रखने की आवाज आती थी और कभी ऐसे ही लाइन पर किसी लड़के से कोई बात करते सुन लें तो फिर पूछताछ होती थी। कौन है? वो कहां से दोस्त बना? मैंने तो ऐसे किसी लड़के के बारे में नहीं सुना।

आपकी फिल्म लिव-इन की बात करती है। आपने पहली बार ये शब्द कब सुने?
बड़े होते-होते या कॉलेज तक हमें मालूम पड़ जाता है इन सबके बारे में। लेकिन तब तक तो ये ही सोचा कि नहीं ये सब गलत है। वैसे भी मैं मिडिल क्लास की लड़की हूं, तो मैंने हमेशा इसे गलत ही माना। मेरे घर में मेरी मॉडलिंग को लेकर भी बहुत कुछ कहा-सुना गया। मेरे घर में तो मेरी उम्र की रिलेटिव्स कहती थी कि 'अरे, मॉडलिंग कर रही है? देखना लड़का नहीं मिलेगा या मॉडल या एक्ट्रेस की शादी नहीं होती।' लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में आप बहुत तरीके के लोगों के संपर्क में आते हैं या मिलते हैं व बात करते हैं। धीरे-धीरे आपको लगने लगता है कि मैं किसी बात को सीधे न कैसे कह रही हूं। मैंने कभी क्यों नहीं सोचा कि अगर कोई बात गलत है तो मैं क्यों ये जानना नहीं चाहती थी कि वो गलत क्यों है?
 
आज क्या लगता है लिव-इन को बारे में?
आज लगता है कि क्या गलत है इसमें? हम में से लगभग सभी जिंदगी में एक बार ही शादी करना चाहेंगे। वैसे भी जब हम अरेंज मैरिज करें या लव मैरिज भी करें, तो भी हम अपनी अच्छी बातें ही बताना चाहते हैं। लेकिन कई बार ये भी तो जान लेना चाहिए न कि कौन कैसे रहता है? रात को कौन खर्राटे भरता है? और भी कई ऐसी बातें जानना चाहते हैं, जो साथ रहने पर ही समझ आती हैं।

कभी आप करेंगी लिव-इन असल जिंदगी में?
मैं जरा कॉन्जर्वेटिव सोच वाले परिवार से हूं, मुझे नहीं लगता है कि मैं मां-बाप की इच्छा के विरुद्ध जाकर लिव- इन करना चाहूंगी। लेकिन हां, कभी ऐसा समय आ ही गया तो मैं लिव-इन तभी करूंगी, जब मेरे दिमाग में शादी जैसे सीरियस खयाल होंगे। मैं कभी भी यूं ही या मजे के लिए लिव-इन नहीं करूंगी।

ये फिल्म करने के बाद अपनी नई पीढ़ी या अपने बच्चों को लिव-इन करने की सलाह देंगी?
बिलकुल नहीं। मैं नहीं चाहूंगी के वे लिव-इन करें (हंसते हुए)। लेकिन फिर भी मैं अभी से सोचना नहीं चाहती हूं और तब का तब देखेंगे।

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