'रनवे 34' की एक्ट्रेस रकुल प्रीत सिंह ने बताया अपना सबसे बुरा फ्लाइट अनुभव

रूना आशीष

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022 (12:20 IST)
मैं शायद उस समय 7 या 8 साल की रही हूंगी। मैं अपने भाई और मम्मी-पापा के साथ अपनी पहली फ्लाइट में बैठी थी। मुझे आज भी याद आता है। मैं और मेरा भाई बड़े आतुर थे कि कैसी फ्लाइट होगी? कैसे हम जाएंगे? यह सब सोच के बड़े खुश भी हो रहे थे। मेरी वह फ्लाइट कोलकाता से दिल्ली की थी। मैं और मेरा भाई दोनों ट्रॉली पर बैठे और मुझे आज भी याद है कि हमारे मम्मी पापा हमको पीछे से धक्का दे रहे थे।

 
फिर हम एयरपोर्ट पर इधर-उधर भाग रहे थे। जब प्लेन के अंदर पहुंचे तो उसमें क्या-क्या खाना है, यह देख रहे थे। यह सब कुछ याद आता है। यह कहना है रकुल प्रीत सिंह का जो कि रनवे 34 फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। फिल्म प्रमोशन के दौरान वेबदुनिया से बात करते हुए रकुल प्रीत ने अपने सबसे बुरे फ्लाइट की याद के बारे में भी ज़िक्र किया। 
 
रकुल प्रीत ने आगे बताया कि सबसे बुरी फ्लाइट कि अगर मैं बात करूं तो मुझे अपनी वह फ्लाइट याद आती है जो एक छोटे एयरक्राफ्ट वाली थी। एटीआर एयरक्राफ्ट कहते हैं। कुछ 1 घंटे का ही सफर करना था लेकिन टर्बूलेंस बहुत ज्यादा था और हमारा विमान जो है कुछ 3000 के एल्टीट्यूड तक पहुंच गया था और इतने ज्यादा झटके थे कि जितने भी लोग उस विमान में बैठे हुए थे हम सभी डरने लग गए थे। मैं तो वाहेगुरु वाहेगुरु नाम का जाप करने लगी थी और उस घटना के बाद मैंने तो निर्णय ले लिया कि छोटी दूरी की जो यात्रा होती है बेहतर है कि रोड से कर ली जाए। बजाय की एटीआर विमान में बैठकर की जाए।
 
अजय देवगन बतौर निर्देशक कैसे लगे
मैं उन्हें बहुत ही बुद्धिमान कहूंगी। अजय सर अभिनेता तो अच्छे हैं ही उनकी एक खासियत यह भी है कि उनको तकनीकी ज्ञान भी बहुत ज्यादा है। कोई कैमरा कहां लगाना है, कैसे लगाना है यह सब उन्हें बड़े अच्छे से मालूम होता है। हम असली कॉकपिट में शूट कर रहे थे कॉकपिट बहुत ही छोटी सी जगह होती, लेकिन फिर भी वहां पर सात कैमरा एक साथ लगाए गए थे और मजाल है कि कोई कैमरा एक दूसरे के बीच में आया हो। 
 
मैं तो हर बार उनके पास जाकर पूछती थी कि अजय सर आप यह सब कैसे कर ले रहे हैं। मैं बताऊं आपको कि वह पहले कैमरा चैक करते थे। उसके बाद हर कैमरा का परफॉर्मेंस देखते थे। फिर हम सभी कलाकारों को ब्रीफ करते थे। इन सबके बाद एक कोने में जाकर अपने यूनिफार्म पहन लेते थे और आकर शूट करते थे। सीन खत्म होने के तुरंत बाद उठकर वह देखा करते थे कि कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं हुई है। ऐसे में जब हम सारे ही लोग अपने अगले सीन की तैयारी करते थे तो वह कैमरा के सेटअप में लग जाया करते थे बहुत मुश्किल है इस तरीके के बेहतरीन अभिनेता और निर्देशक के रूप में एक सह कलाकार को पाना।
 
अजय देवगन ने रोल के बारे में क्या बताया था।
अजय सर रोल के बारे में आपको बताते हैं और फिर आप पर छोड़ देते हैं कि आप इस तरीके के रोल को किस तरीके से निभाना चाहती हैं। वह बता देंगे कि जो कैरेक्टर है, वह किस मनोस्थिति में है उसके बाद आपको उस रोल के साथ कैसे निर्वाह करना है। कैसे उसको छोटा या बड़ा करना है या किस तरीके से रिऐक्ट करना है। वह मुझ पर छोड़ कर रखा हुआ था और यह बहुत अच्छी बात होती है। 
 
अब एक और चीज में आपसे शेयर करना चाहूंगी क्योंकि हमारे कॉकपिट असली का था और वहां पर कैमरा लगाना जरा मुश्किल था। लेकिन फिर भी अजय सर ने इस बात के मर्म को समझा कि हम ऐसा रोल निभा रहे हैं जहां पर सामने आपको अपनी मौत दिखाई दे रही है और इतना स्ट्रेसफुल रोल जब मैं कर रही हूं तो बार-बार उसी तरीके के हाव भाव मेरे चेहरे पर आएंगे, ऐसा नहीं हो सकता। तो एक साथ कैमरा में शूट करके एक बार में ही वह सारा काम से निकलवा कर ले लिया। अभी तक मैंने कभी भी किसी भी फिल्म में एक साथ इतने सारे कैमरा के लिए काम नहीं किया है। 
 
आपके एक तरफ अजय देवगन थे तो वहीं दूसरी तरफ बिग बी अमिताभ बच्चन थे। कभी नर्वस हुईं।
मैं नर्वस हो जाऊं वह शख्स नहीं हूं। यह वो समय था मेरे लिए, जिसका इंतजार मैंने सालों तक किया है तब मैं अमिताभ बच्चन साहब के सामने एक्टिंग कर रही हूं। इतने बड़े मौके को अगर मैं नर्वस होकर बिगाड़ दूं तो फिर मैं एक एक्टर के तौर पर भी और एक इंसानी तौर पर भी फेल हो जाते हैं और मैं फेल नहीं होना चाहती थी। मैं उनको देखते रहना चाहती थी। कैसे हैं वो किस तरीके से काम करते हैं, कैसे काम करते हैं यूं ही थोड़ी ना कोई सुपरस्टार कहलाने लग जाता है। 
 
बच्चन साहब की मैं बात बताती हूं। शायद हमारी शूट का दूसरा दिन था। उन्हें कॉल टाइम 11:00 का दिया गया था, लेकिन वह 10:00 बजे पहुंच गए और बोलने लगे मेरी कोई डबिंग नहीं थी सुबह जल्दी आ गया। अजय सर ने पूछा कि आप चाहे तो आप अपनी वैनिटी वैन में बैठ सकते हैं। आज के समय में जितने भी एक्टर आते हैं, वह थोड़ा सा समय मिला और वैनिटी में चले जाते हैं। लेकिन नहीं बच्चन साहब वही बैठेंगे। सब चीजों को देखेने और समझने की कोशिश करते रहे। 
 
सिर्फ इतना ही नहीं जब शूटिंग खत्म हो जाए पैक अप भी हो जाए तब भी वह बैठे रहेंगे और चाहेंगे कि अगले दिन की प्रैक्टिस कर ली जाए। कहां उनका मार्किंग होगा। कैमरा कहां रखे जाएंगे? हमने एक मेकिंग ऑफ द फिल्म भी बनाया है उसमें अजय सर ने सच में अमिताभ बच्चन जी को कहा है कि आपको तो घर जाना नहीं है हमें तो जाने दीजिए। बच्चन साहब कुछ ऐसे हैं कि आप उन्हें देखते रहे उनसे प्रेरणा लेते रहिए और हर रोज प्रेरणा लेते रहिए।
 

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