उन दिनों नायक के लिए गायक होना जरूरी था। शाहू मोडक ने शास्त्रीय संगीत सीखा। वे अच्छे गायक के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। इसके बाद बालक के स्थान पर वे युवा भूमिकाओं में आने लगे। सेवासदन (1934), हिन्द महिला (1936) तथा होनहार (1936) उनकी सफल फिल्में रहीं।
शाहू मोडक ने अपने समय के सभी प्रतिष्ठित हिन्दी, मराठी फिल्म निर्देशकों के साथ काम किया। वी. शांताराम की आदमी, विजय भट्ट की राम राज्य एवं भरत मिलाप, ए.आर. कारदार की कानून, देवकी बोस की मेघदूत, गजानन जागीरदार की वसंत सेना, दादा गुंजाल की दुल्हन, राजा ठाकुर की मी तुलसी तुझया आंगनी, मोहन सिंहा की श्री कृष्णार्जुन युद्ध, उनकी प्रमुख फिल्में रही हैं।
धार्मिक फिल्मों में काम करते-करते उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ तथा वे दार्शनिक चिंतक, विचारक एवं शोधक के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। अमेरिका के पेल विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र पर उनकी व्याख्यानमाला 1976 में आयोजित हुई थी। 11 मई 1993 को उनका निधन हुआ।