कैलाश खेर के पिता लोक संगीत गया करते थे। लेकिन कैलाश खेर के परिवार वाले नहीं चाहते थे कि वह संगीत को ही अपना करियर चुने। कैलाश ने 13 साल की उम्र में संगीत के लिए अपना घर छोड़ दिया। उन्होंने म्यूजिक क्लास में अपना नाम लिखवा लिया और पेट भरने के लिए स्टूडेंट्स को म्यूजिक का ट्यूशन भी दिया करते थे, जिससे वो करीब 150 रुपए कमा लेते थे।
1999 में कैलाश खेर के जीवन में एक नया मोड़ आया। उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक बिजनेस शुरू किया, लेकिन उन्हें इसमें लाखों का नुकसान हुआ। इसके बाद कैलाश खेर डिप्रेशन में आ गए और उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की। इससे उबरने के लिए कैलाश खेर पिता के पास ऋषिकेश चले गए और सोचा कि पिता के साथ कर्मकांड में ही हांथ बटाएंगे। लेकिन वहां भी मन नहीं लगा।
साल 2001 में कैलाश खेर ने मुंबई का रुख किया। यहां गुजारा करने के लिए उन्हें जो भी ऑफर मिलते वह उसे तुरंत हामी भर देते। इस दौरान उन्होंने कई सारे जिंगल गाए। कैलाश ने उस दौरान कोका कोला, सिटीबैंक, पेप्सी और होंडा मोटरसाइकिल के लिए अपनी आवाज दी।
कैलाश खेर को बॉलीवुड में पहला ब्रेक साल 2003 में मिला। उन्होंने फिल्म 'अंदाज' में 'रब्बा इश्क ना होवे' में अपनी आवाज दी। यह गाना सुपरहिट साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट गाने आए और कई हिट एल्बम भी दी। कैलाश खेर ने हिन्दी के अलावा, नेपाली, तमिल, तेलुगु, बंगाली, अड़िया और बंगाली भाषा में भी गाने गाए हैं।