दरबार : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर
गुरुवार, 9 जनवरी 2020 (15:10 IST)
मेगास्टार बन कर रजनीकांत एक खास छवि में भी कैद हो गए हैं और समय-समय पर अपने फैंस को खुश करने के लिए उन्हें उन्हीं अदाओं को दोहराना पड़ता है जिसे देख सिनेमा हॉल में सीटियां और तालियां बजती हैं। 
 
उनकी ताजा फिल्म 'दरबार' प्रशंसकों के लिए बनाई गई है जिसमें सनग्लास से खेलते, स्लो मोशन में वॉक करते और स्टाइलिश फाइट से गुंडों को धूल चटाते रजनीकांत नजर आते हैं। 
 
फिल्म का निर्देशन एआर मुरुगदास ने किया है जिन्हें हिंदी भाषी दर्शक गजनी, अकीरा और हॉलिडे जैसी फिल्मों के लिए जानते हैं। मुरुगदास की खासियत है कि कमर्शियल फिल्म बनाते हुए भी वे कुछ अलग करने का प्रयास करते हैं। लेकिन दरबार में मुरुगदास की यह खासियत दब सी गई है। 
 
रजनीकांत की छवि और आभामंडल से निर्देशक और लेखक इतने प्रभावित हो जाते हैं और वे रजनी के उसी रूप को दोहरा देते हैं और मुरुगदास ने भी यही किया है। वे भी रजनीमय हो गए हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई है जो दर्शकों को बांध कर रखती है। 
 
आदित्य अरुणाचलम (रजनीकांत) मुंबई का कमिश्नर है। वर्षों पहले एक अपराधी हरि चोपड़ा (सुनील शेट्टी) ने ऐसा काम किया था जिससे पुलिस की इज्जत घट गई थी। उसकी तलाश आदित्य को है। 
 
इसी बीच आदित्य एक दूसरे केस में उलझ जाता है। उसके साथ एक हादसा भी होता है। आदित्य को समझ नहीं आता कि कौन ये सब कर रहा है? इस गुत्थी को वह कैसे सुलझाता है? क्या हरि तक वह पहुंच पाता है या नहीं? इन सवालों के जवाब फिल्म में मिलते हैं। 
 
लिखने का डिपार्टमेंट भी मुरुगदास ने ही संभाला है। उनकी कहानी में कोई नई बात नजर नहीं आती। हालांकि उन्होंने टर्न और ट्विस्ट अच्छे डाले हैं जिस वजह से फिल्म में रूचि बनी रहती है। कहानी लिखते समय उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि एक्शन सीन इसमें समय-समय पर आते रहे। 
 
साथ ही उन्होंने आदित्य और लिली (नयनतारा) की प्रेम कहानी को दर्शाया है। बदमाशों के सामने शेर की तरह दहाड़ने वाले आदित्य, लिली के सामने कैसे भीगी बिल्ली बन जाता है ये फिल्म का मनोरंजक पहलू है। इमोशन्स भी फिल्म में डाले गए हैं। 
 
कहानी में कई ऐसी बातें हैं जिन पर सवाल किए जा सकते हैं, लेकिन मुरुगदास ने इन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। रजनीकांत के नाम पर उन्होंने यह छूट ले ली और जब स्क्रीन पर रजनीकांत हो तो उनके प्रशंसक इन बातों पर गौर भी नहीं करते हैं। 
 
यदि वे कहानी में कुछ नवीनता लाते तो यह फिल्म और भी बेहतर होती। कहानी के मामले में वे मार खा गए और जो दर्शक इस बात की आशा लगाए फिल्म देखते हैं कि मुरुगदास इस बार भी कुछ नया और अनोखा पेश करेंगे वे थोड़े मायूस हो सकते हैं। 
 
फिल्म फर्स्ट हाफ में तो सरपट भागती है और अच्छा मनोरंजन भी करती है, लेकिन दूसरा हाफ इतना मजेदार नहीं है। फिल्म के विलेन हरि चोपड़ा के बारे में बात तो खूब की गई है, लेकिन उसे स्क्रीन पर ज्यादा समय नहीं दिया गया है। उसके बारे में ज्यादा बताया नहीं गया है जो कहीं ना कहीं फिल्म को नुकसान पहुंचाता है। फिल्म का क्लाइमैक्स बहुत ही रोमांचक और एक्शन से भरपूर होने की उम्मीद थी जो पूरी नहीं होती। 
 
रजनीकांत और नयनतारा वाला रोमांटिक ट्रैक भी जिस तरह से अचानक खत्म किया गया है वो अखरता है।  
 
लेखक के बजाय निर्देशक के रूप में मुरुगदास ज्यादा प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहानी को तेज गति से दौड़ाया है और रजनीकांत को 'हीरो' की तरह पेश किया है। उनका सारा फोकस रजनी पर ही रहा है और हर सीन में रजनीकांत हीरो की तरह नजर आए इस पर उन्होंने विशेष ध्यान दिया है। 
 
रजनीकांत जब फाइट करते हैं, रजनीकांत जब चलते हैं, रजनीकांत जब डायलॉग बोलते हैं, उनकी हर अदा स्टाइलिश लगती है। मुरुगदास ने रजनीकांत का एंट्री सीन के लिए जोरदार माहौल बनाया है। उन्होंने फाइट दृश्यों के लिए सिचुएशन भी अच्छी बनाई है और इमोशन-कॉमेडी-एक्शन का मिश्रण अच्छे से किया है। 
 
फिल्म के गाने साधारण हैं और शोरगुल से भरे हुए हैं। यही हाल बैकग्राउंड म्युजिक का है। यह इतना ज्यादा लाउड है कि कान के परदे हिल जाते हैं। 
 
रजनीकांत फुल फॉर्म में नजर आए। इस उम्र में भी उन्होंने अच्छी फुर्ती दिखाई। उनकी स्टाइल देखने लायक है। एक्शन सीन भी उन्होंने विश्वसनीयता के साथ निभाए हैं। 'खुद पर यकीन करने वालों के लिए उम्र तो महज नम्बर है' और 'मेरे लिए कुछ भी असंभव नहीं है' जैसी लाइनें जब रजनीकांत बोलते हैं तो लगता है कि यह किरदार नहीं खुद रजनी बोल रहे हैं।
 
नयनतारा खूबूसरत लगी हैं, लेकिन उनका रोल ठीक से नहीं लिखा गया है। सुनील शेट्टी के पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था और वे एक ही एक्सप्रेशन लिए नजर आएं। 
 
योगी बाबू की कॉमेडी कहीं-कहीं बेतुकी लगी है। रजनीकांत की बेटी के रूप में निवेदिता थॉमस की एक्टिंग अच्छी है। प्रतीक बब्बर, नवाब शाह, दलीप ताहिल औसत रहे। 
 
कुल मिलाकर 'दरबार' रजनीकांत के फैंस के लिए रजनीकांत के फैन ने बनाई है। उनको तो यह फिल्म निश्चित रूप से पसंद आएगी, लेकिन आप रजनी फैन नहीं भी है तो आपके लिए यह टाइम पास मूवी है।  
 
निर्माता : सुभास्करन 
निर्देशक : एआर मुरुगदास 
संगीत : अनिरुद्ध रविचंदर
कलाकार : रजनीकांत, नयनतारा, सुनील शेट्टी, प्रतीक बब्बर, नवाब शाह, योगी बाबू, दलीप ताहिल, निवेदित थॉमस
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 39 मिनट 45 सेकंड 
रेटिंग : 2.5/5 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख