स्त्री 2018 में रिलीज हुई थी और उसके किरदार विक्की, बिट्टू, जाना खासे पसंद किए गए थे। किरदार यदि दर्शकों के दिलों-दिमाग पर छा जाए तो सीक्वल बनाना आसान रहता है क्योंकि दर्शक अपने प्रिय किरदारों को फिर से हरकतें करना देखना चाहते हैं। राज और डीके द्वारा गढ़े गए किरदारों को लेखक निरेन भट्ट ने आगे बढ़ाया है।
जहाँ मूल फिल्म ने हॉरर, कॉमेडी और सोशल इश्यू के अनूठे मिश्रण से सफलता पाई थी, वहीं स्त्री 2 को पहले पार्ट के आकर्षण और नवीनता को बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ा है।
स्त्री 2 की कहानी उसी छोटे शहर में जारी है जहां पहले एक बदला लेने पर उतारू महिला आत्मा का साया था। अब सरकटा शैतान ने डर का माहौल बना रखा है। वह लड़कियों का अपहरण कर रहा है। विक्की और उसकी टीम पर गांव को बचाने की जवाबदारी है जिसमें वो रहस्यमय लड़की (श्रद्धा कपूर) भी शामिल है जिसका कोई नाम नहीं है। इस संघर्ष भरी यात्रा को डर और हंसी के बीच से निकाला गया है।
निर्देशक अमर कौशिक कहानी के बजाय चुटीले संवादों और सिचुएशन पर ज्यादा निर्भर करते हैं। कहानी पर गौर करेंगे तो कुछ बातें समझ नहीं आएगी, कंफ्यूजन होगा, कुछ प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलेंगे, लेकिन अमर कौशिक फनी वन लाइनर्स और किरदारों के परिस्थिति के अनुसार रिएक्शन को इतना मजेदार बनाते हैं कि दर्शक कमियों को भूल जाते हैं।
स्त्री में भी हमने यही देखा था और स्त्री 2 में भी यही बात है, लेकिन स्त्री में जहां नवीनता थी, वहीं स्त्री 2 में दोहराव है। पहली फिल्म वाली कुछ ताज़गी दूसरी फिल्म में खो जाती है और कुछ चुटकुले दोहराव वाले लगते हैं।
दूसरे हाफ के मुकाबले फिल्म का पहला हाफ बेहतर है। दूसरे हाफ में फिल्म लड़खड़ाती है, लेकिन अंत आते-आते तक बात बनने लगती है। इस बार हॉलीवुड फिल्मों की ओर भी देखा गया है, जबकि पहले भाग में मौलिकता थी।
लेकिन जैसा पहले कहा गया है कि फिल्म में थोड़े-थोड़े अंतराल में एंटरटेनिंग दृश्य आते रहते हैं जिससे मनोरंजन का बहाव लगातार बना रहता है। पहले भाग की तरह स्त्री 2 में समाज की हालत को लेकर कुछ बातें मूल कहानी में गूंथी गई हैं जिससे फिल्म मजबूत हो जाती है।
फिल्म में ऐसे कई सीन हैं जो खूब मनोरंजन करते हैं, जैसे चारों दोस्तों का टू व्हीलर पर भागना और सरकटा का उनका पीछा करना, जाना की मां और जाना के बीच का सीन आदि।
लेखक निरेन भट्ट और निर्देशक अमर कौशिक अपना एक यूनिवर्स बना रहे हैं इसलिए भेड़िया को भी जोड़ दिया गया है। क्लाइमेक्स एक संतोषजनक मोड़ देता है हालांकि कुछ सवाल छोड़ दिए गए हैं, रहस्यों को गहरा कर दिया है ताकि स्त्री का अगला भाग बनाया जा सके।
स्त्री 2 के कलाकारों का अभिनय बहुत बड़ा प्लस पाइंट है। इनकी एक्टिंग इतनी दमदार है कि जितना लिखा गया है उससे कहीं ज्यादा ये डिलीवर करते हैं।
विक्की के रूप में राजकुमार राव अपनी सहज कॉमिक टाइमिंग से प्रभावित करना जारी रखते हैं। श्रद्धा कपूर एक रहस्यमय आभा के साथ अपनी भूमिका को दोहराती हैं। उन्हें ज्यादा फुटेज भले ही नहीं मिला हो लेकिन दर्शकों में उनके असली इरादों के बारे में जानने की जिज्ञासा बनी रहती है।
पंकज त्रिपाठी एक बार फिर अपने मजाकिया वन-लाइनर्स और डायलॉग डिलीवरी के जरिये हंसाते हैं और ध्यान अपनी ओर खींचते हैं।
अपार शक्ति खुराना और अभिषेक बनर्जी कई सीन चुरा ले जाते हैं। तमन्ना भाटिया, अक्षय कुमार, वरुण धवन स्पेशल अपीयरेंस में फिल्म का स्टार पॉवर बढ़ाते हैं।
शानदार अभिनय, फनी वन लाइनर्स और हॉरर तथा कॉमेडी का मिश्रण फिल्म को मनोरंजक बनाता है।