मशीनों में भी एक आकर्षक सृजनशीलत छिपी हुई है। मशीनों या विभिन्न औद्योगिक उत्पादों की यही कलात्मक डिजाइनिंग इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग कहलाती है। वर्षों से मशीनी वस्तुओं का निर्माण होता आ रहा है और उनकी कुछ न कुछ डिजाइनिंग भी होती रही है लेकिन उनके स्वरूप में कोई विशेष परिवर्तन देखने को नहीं मिला था।
मगर अब जमाना बदल गया है, प्रतियोगिता के इस दौर में विभिन्न कंपनियाँ, चाहे वे कार बनाती हों या फ्रिज, इलेक्ट्रिक आयरन, टेलीविजन, वाशिंग मशीन, कंप्यूटर या किसी भी मशीनी उत्पादों के निर्माण से जुड़ी हों, उनके उत्पादों की डिजाइनिंग में एक नयापन, एक ताजगी साफ दिखाई देती है।
इंडस्ट्रियल डिजाइनर को सृजनात्मक इंजीनियर भी कह सकते हैं। यह डिजाइनर कला से संबंधित हुनर एवं कौशल का इस्तेमाल करते हैं ताकि आकर्षक व लुभावने उत्पादों को बढ़ावा मिले। इंडस्ट्रियल डिजाइनर का काम केवल वस्तुओं के उत्पाद से संबंधित ही नहीं होते बल्कि उन्हें आराम, सौंदर्यबोध, सुरक्षा तथा किफायत की दृष्टि से भी उपभोक्ता की आवश्यकताओं का ध्यान रखना होता है।
चूँकि यह सभी पहलू उत्पाद की बिक्री से सीधे-सीधे जुड़े होते हैं अतः अधिकांश विनिर्माण संबंधी- उद्योगों में डिजाइन विभाग बनाना जरूरी हो गया है।
आज ज्यादातर कंपनियाँ पूरी तरह परफैक्ट इंडस्ट्रियल डिजाइनर की तलाश में रहती हैं जिसके दिमाग में क्रिएटीविटी कूट-कूटकर भरी होती है। इंडस्ट्रियल डिजाइनरकी सबसे बड़ी योग्यता है उसका क्रिएटिव होना। उसकी कल्पना शक्ति और सोचने का ढंग बहुत ही तार्किक होना चाहिए। उसे अपनी बातों को आरेख बनाकर समझाना आना चाहिए। साथ ही, उद्योगों की तकनीकी जानकारी होनी बहुत जरूरी है।
इंडस्ट्रियल डिजाइनर के लिए सबसे बड़ी चुनौती उत्पाद की कीमत नियंत्रित करनी होती है। वह सबसे पहले उत्पाद की रूपरेखा तैयार कर आवश्यक सामग्री की सूची बनाता है। साथ ही, वह विनिर्माण का स्थल व तरीका तय करता है ताकि सुरक्षा प्रयोग की दृष्टि से सुविधाजनक उत्पाद तैयारकिया जा सके। इसके बाद उत्पाद को एक आकर्षक रूप देने की तैयारी की जाती है। इसके तहत आरेख और मॉडल बनाए जाते हैं।