अदालत ने रेखांकित किया कि इन लोगों को एहसास नहीं था कि वे कानून के विपरीत काम कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि ऐसे में इस गैर कानूनी खरीद, जमाखोरी, कालाबाजारी और अधिक मात्रा में दवा मुहैया कराने की जांच की जानी चाहिए।
अदालत का यह आदेश महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल आशुतोष कुम्भकोणी द्वारा यह बताने के बाद आया कि राज्य ने मुंबई से कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी, अभिनेता सोनू सूद के चैरिटी फाउंउेशन और कुछ अन्य लोगों को मामले में कारण बताओं नोटिस जारी किया है।
कुम्भकोणी ने बताया कि सिद्दीकी और सूद ने जवाब दे दिया है और दोनों बताया कि उन्होंने न तो दवाएं एवं इंजेक्शन की खरीद की और न ही उनका भंडारण किया। एडवोकेट जनरल ने अदालत को बताया कि उन्होंने कहा कि वे कुछ मामलों में केवल दवाओं की कीमत अदा कर सुविधा देने का काम कर रहे थे और कुछ मामलों में बिना भुगतान किए। उन्होंने बताया कि वे निर्माताओं के संपर्क में थे।
कुम्भकोणी ने अदालत को बताया कि सिपला और अन्य निर्माताओं को सेलिब्रिटियों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति करने के आरोपों पर नोटिस जारी किया गया है। अदालत ने हालांकि कहा कि कैसे सेलिब्रिटी दवाओं को प्राप्त करने के लिए निर्माताओं के संपर्क में रह सकते हैं, वह भी तब जब दवाएं केंद्र सरकार के जरिए आवंटित की जानी हो। पीठ ने पूछा कि क्या आपके अधिकारी इस जवाब को स्वीकार करेंगे? क्या यह विश्वसनीय है? इसके बाद कुम्भकोणी ने कहा कि राज्य सरकार की इस मामले में जांच जारी है। (भाषा)