नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में शनिवार को एक याचिका दायर कर अनुरोध किया गया है कि कोविड-19 का पता लगाने के वास्ते आरटी-पीसीआर जांच करने के लिए निजी प्रयोगशालाओं और अस्पतालों द्वारा ली गई अत्यधिक धनराशि की वापसी सुनिश्चित करने की खातिर केंद्र को निर्देश दिए जाएं। वकील और भाजपा नेता अजय अग्रवाल ने अंतरिम आवेदन अपनी लंबित जनहित याचिका में दायर किया है।
याचिका में उन्होंने पूरे भारत में आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन) जांच का अधिकतम मूल्य 400 रुपए तय किए जाने का आग्रह किया था, जैसा ओडिशा ने किया है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणयन की एक पीठ ने अग्रवाल की जनहित याचिका पर 24 नवंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी किया था और 2 सप्ताह के भीतर उनका जवाब मांगा था।
नई याचिका में कहा गया है कि जांच के लिए विभिन्न अस्पताल और प्रयोगशालाएं 4,500 रुपए का शुल्क ले रही हैं जबकि जांच किट समेत वास्तविक लागत 800 रुपए से 1,200 रुपए थी और अब भी विभिन्न राज्यों में अत्यधिक शुल्क लिया जा रहा है।
इसमें कहा गया है कि लोगों से लिया जा रहा अत्यधिक पैसा जबरन वसूली के अलावा कुछ भी नहीं है और जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित किया जाना चाहिए तथा जल्द से जल्द उस राशि को वापस किया जाना चाहिए, जो तय दरों से ज्यादा ली जा रही है। याचिका में कहा गया है कि ओडिशा ने सभी पहलुओं की जांच और विश्लेषण के बाद आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए अधिकतम दर 400 रुपए तय किए हैं। (भाषा)