फाउची ने कहा कि इसलिए, भारत में हम जो मुश्किल हालात देख रहे हैं उसके बावजूद टीकाकरण इसके खिलाफ बहुत-बहुत प्रतिकारक हो सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स में मंगलवार को यह खबर आई थी कि कोवैक्सीन प्रतिरक्षा तंत्र को SARS-cov-2 कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाना सिखाकर काम करती है।
ये एंटीबॉडीज वायरल प्रोटीन जैसे कथित स्पाइक प्रोटीनों से जुड़ जाते हैं जो इसकी सतह पर फैल जाते हैं। राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ साझेदारी में भारत बायोटेक के बनाए कोवैक्सिन के आपातकालीन प्रयोग को 3 जनवरी को मंजूरी मिली थी। ट्रायल के परिणामों में बाद में सामने आया कि यह टीका 78 प्रतिशत तक प्रभावी है।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अंतर्गत आने वाले जीनोमिक्स और एकीकृत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने एक रिसर्च के प्रारंभिक परिणामों के हवाले से कहा कि सार्स-कोव-2 के बी.1.617 स्वरूप पर टीकों के प्रभाव के आकलन से पता चलता है कि टीकाकरण के बाद संक्रमण होने पर बीमारी के लक्षण हल्के होते हैं।