न्यूयॉर्क। वैज्ञानिकों का मानना है कि नाक और मुंह के अंदर मौजूद झिल्लियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कोविड-19 का प्रसार रोकने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। साथ ही उन्होंने हल्के या मध्यम लक्षण वाले कोरोनावायरस संक्रमितों में इस रोग प्रतिरोधक क्षमता की अहमियत का मूल्यांकन के लिए और अध्ययन की जरूरत पर जोर दिया।
रशेल ने कहा कियह स्पष्ट है कि प्रणालीगत इम्जूनोग्लोब्युलिन जी एंटीबॉडी - सबसे अधिक पाई जाने वाली एंटीबॉडी- महत्वपूर्ण है, हम इससे इनकार नहीं करते लेकिन यह अकेले प्रभावी नहीं है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में कोविड-19 पर अनुसंधान करने वालों का ध्यान गंभीर मरीजों पर था और यह स्थिति श्वासन प्रणाली के निचले हिस्से खासतौर पर फेफड़ों तक वायरस के पहुंचने से होती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि फेफड़े में कोशिकीय रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया संक्रमण से लड़ने की जगह शोथ बढ़ा देती है।
उन्होंने ने कहा किलेकिन श्वसन प्रणाली के ऊपरी हिस्से, जिसमें नाक, टॉनसिल आदि आते हैं, वे शुरुआती स्थान होते हैं जिनके संपर्क में वायरस आता और उनकी रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया विशेष उद्देश्य के साथ होती है।अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि बिना लक्षण वाले मरीजों से कोविड-19 के अधिक प्रसार की वजह से झिल्लियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता महत्वपूर्ण है।
रशेल ने कहा कियह तथ्य है कि कई संक्रमित बिना लक्षण के होते हैं, बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिनमें मध्यम या हल्के लक्षण सामने आते हैं। यह संकेत करता है कि कुछ कहीं है जो वायरस को नियंत्रित करने में अच्छा काम करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि झिल्लियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने से नाक के जरिए दिए जाने वाले टीका का विकास संभव हो सकता है जिन्हें जमा करना, परिवहन करना और देना अधिक आसान है। (भाषा)