नरेंद्र मोदी की ‘खास सियासी’ छवि के विपरीत कितनी कारगर होगी राहुल गांधी की ‘आम चेहरे’ वाली राजनीति?

एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिनकी एक खास छवि है। प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ उनका एक राजनीतिक पक्ष और चेहरा है। पीएम मोदी की एक पॉलिटिकल अप्रोच और एक पॉलिटिकल स्‍टाइल है। वे इस दायरे के बाहर निकलने की बहुत ज्‍यादा कोशिश नहीं करते हैं। वे न तो ज्‍यादा लोगों से मिलते हैं और न ही मीडिया में इंटरव्‍यू देते हैं। वे बहुत ही कम मौकों पर आम लोगों से मेल-मुलाकात करते हैं या उनके साथ बैठते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री की सुरक्षा और उनके प्रोटोकाल के तहत नरेंद्र मोदी के लिए यह सब करना इतना आसान भी नहीं।

दूसरी तरफ विपक्ष के सबसे सादे चेहरे के तौर पर राहुल गांधी हैं। वे खासतौर से लोगों के बीच जाते हैं, उनसे मिलते हैं और अक्‍सर वे वैसा बन जाते हैं जिस तरह के लोगों से वे मिलते हैं। हाल ही में राहुल गांधी आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर कुली बनकर पहुंच गए। कुली भी उनको देखकर हैरान रह गए। जैसे ही यह तस्‍वीर वायरल हुई कांग्रेस पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से राहुल गांधी को जन-नायक घोषित कर दिया। हालांकि यह कोई पहली मर्तबा नहीं है, जब राहुल ने अपना अवतार बदला हो। इसके पहले वे ट्रक भी चला चुके हैं। खेतों में किसानों के साथ धान रोप चुके हैं, बाइक मैकेनिक से इंजन सुधारने के गुर सीख चुके हैं और लद्दाख में बाइक राइडिंग भी कर चुके हैं।

खास बनाम आम आदमी की जंग : राहुल गांधी के ये चेहरे ठीक पीएम नरेंद्र मोदी की छवि के विपरीत है। आखिर इसके पीछे की राजनीति क्‍या है। क्‍या वे मोदी के ठीक खिलाफ एक बेहद सुलभ छवि गढ़ना चाहते हैं या इसके पीछे की कोई अलग किस्‍म की राजनीति है।

जाहिर है, ये है तो राजनीति का ही हिस्‍सा, लेकिन मोदी की ‘पॉलिटिकल मैनेजमेंट वाली छवि के विपरीत राहुल की यह आम चेहरे वाली राजनीति कितनी कारगर या सफल होगी यह तो वक्‍त ही बताएगा। क्‍या राहुल गांधी देश की राजनीति को खास बनाम आम आदमी की जंग बनाना चाहते हैं।

पिछले 1 अगस्त को सुबह- सुबह अचानक दिल्ली की आजादपुर मंडी पहुंचे। यहां उन्होंने सब्जी-फल बेचने वालों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनी।

राहुल का आम कनेक्‍शन : हाल ही में राहुल गांधी आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर कुली बनकर पहुंचे। राहुल गांधी लगातार यह संदेश दे रहे हैं कि वो देश के उस तबके के साथ जुड़े हुए हैं या उनका दर्द महसूस करने के लिए पहुंचते हैं, जिन्हें समाज ने हाशिए पर छोड़ रखा है। फिर चाहे वो ट्रक ड्राइवर हो, किसान या कुली।

हालांकि अपने सियासी दौर में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी खुद को रेलवे स्‍टेशन पर चाय बेचने वाले के तौर पर स्‍थापित किया था, लेकिन इस बात में कितनी सचाई है यह तो सिर्फ पीएम मोदी ही जानते हैं, क्‍योंकि कोई दूसरा पीएम मोदी के इस किस्‍से का गवाह नहीं है। न ही उस दौर में कैमरे और सोशल मीडिया जैसी कोई चीज थी, जबकि दूसरी तरफ राहुल गांधी का यह ‘आम कनेक्‍शन’ उस दौर में हो रहा है, जहां मोबाइल और सोशल मीडिया का बोलबाला है।

स्‍पष्‍ट है, यह राहुल का राजनीतिक स्‍टंट है जिसमें वे ये स्‍थापित करना चाहते हैं कि वे आम आदमी और उसके दर्द को बेहद करीब से महसूस करते हैं।

क्‍या भारत जोड़ो यात्रा जारी है : इसे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के आगे के हिस्‍से के तौर पर भी देख लिया जाना चाहिए। जब राहुल इस यात्रा में थे तो कई लोगों से मेल मुलाकात करते और बातचीत करते थे। अब चूंकि यात्रा खत्‍म हो गई है तो राहुल तरह-तरह के क्षेत्र के लोगों से मिलकर इसे पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। जहां तक इसके राजनीतिक मायनों की बात है तो संभव है कि वे नरेंद्र मोदी की छवि के ठीक उलट अपनी एक सुलभ उपलब्‍ध छवि गढ़ना चाहते हैं, वे पीएम मोदी द्वारा की गई सारी चीजों के उलट करना चाहते हैं।

क्‍या स्‍टेफनी कटर है राहुल की आम इमेज के पीछे : आपको याद होगा, एक प्रेसवार्ता में राहुल गांधी से सवाल किया गया तो उन्‍होंने कहा था— राहुल गांधी आपके दिमाग में है, मैंने मार दिया उसको। जिस व्‍यक्‍ति को आप देख रहे हैं वो राहुल गांधी नहीं है। इमेज में मेरी कोई दिलचस्‍पी नहीं है, जो इमेज रखना चाहते हैं रख लो।

कौन हैं स्‍टेफनी कटर : दरअसल, राहुल की इस नई इमेज के पीछे एक अमेरिकी महिला की सलाह बताई जाती है। इस महिला का नाम स्‍टेफनी कटर हैं। स्टेफनी एक अमेरिकन पॉलिटिकल कंसलटेंट हैं। साल 2012 में स्टेफनी बराक ओबामा की डिप्टी कैंपेन मैनेजर थीं। उस दौरान वो भारत यात्रा पर थी। यात्रा के दरमियां उनकी मुलाकात राहुल गांधी से हुई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टेफनी ने तब राहुल को अपने सोशल मीडिया कैंपेन पर जोर देने के लिए कहा था। एक खबर यह भी आई थी कि साल 2021 में राहुल गांधी और स्टेफनी कटर की फिर से मुलाकात हुई थी।

क्‍या कहा था पत्रकार राशिद किदवई ने : एक साक्षात्‍कार में वरिष्‍ठ पत्रकार राशिद किदवई ने बताया था कि कहा जाता है कि राहुल को सलाह दी गई थी कि वे अपनी इमेज की परवाह न करे और सभी को खुश करने की कोशिश न करे। इसके साथ ही उन्‍हें यह भी सलाह दी गई थी कि पीएम नरेंद्र मोदी का अपना एक तर्क है। उनकी वैश्‍विक छवि है। इसलिए राहुल उनके ठीक उलट और लोकल छवि को स्‍थापित करे।
राहुल ने ऐसे की अपनी इमेज बदलने की कोशिश

लोकसभा- 2024: छवि से फायदा या नुकसान : साल 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे। पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के लिए यह सत्‍ता बचाने का रण होगा तो वहीं राहुल गांधी और उनके साथ नजर आ रहे ‘इंडिया गठबंधन’ के सामने मोदी सरकार को सत्‍ता से हटाने की चुनौती होगी। तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी अपनी-अपनी इमेज के सहारे राजनीति कर रहे है। लेकिन यह छवि उन्‍हें राजनीति तौर पर कितना फायदा या नुकसान पहुंचाएगी, ये तो 2024 के चुनावों के परिणामों से ही स्‍पष्‍ट हो सकेगा। मोदी जैसे ताकतवर नेता के सामने राहुल की नई इमेज कितनी कारगर होगी, वो भी तब जब भाजपा अपने सबसे ताकतवर दौर में है,जबकि कांग्रेस अपने सबसे कमजोर दौर में जूझ रही है।

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