टनब्रिज वेल्स में 1983 में वह सर्दियों की सुबह थी और 40 साल बाद वानखेड़े स्टेडियम पर गुनगुनी शाम, लेकिन जीत का वही जुनून और बल्ले से रनों के रूप में वही आतिशबाजी क्रिकेट की इतिहास पुस्तिका में हमेशा के लिये दर्ज हो गई।
उस समय कपिल देव थे तो अब ग्लेन मैक्सवेल। जिम्बाब्वे के खिलाफ इंग्लैंड में विश्व कप के उस मैच में भारत के पांच विकेट 17 रन पर गिर चुके थे तो अफगानिस्तान के खिलाफ इस विश्व कप में आस्ट्रेलिया ने सात विकेट 91 रन पर गंवा दिये थे।समानतायें यहीं खत्म नहीं होती।
मैक्सवेल ने 128 गेंद में नाबाद 201 रन बनाकर टीम को चमत्कारिक जीत दिलाई। उन्होंने आस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस के साथ रिकॉर्ड 202 रन की नाबाद साझेदारी की। (भाषा)