Bal Gangadhar Tilak : भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में बाल गंगाधर तिलक का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। 01 अगस्त को उनकी पुण्यतिथि है। वे लोगों ने बीच सच्चे जननायक के रूप में उभरे थे, जिसके कारण बाल गंगाधर तिलक को आदर से जनता ने 'लोकमान्य' की पदवी दी थी।
आइए जानते हैं उनके बारे में 10 खास बातें-
1. लोकमान्य तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिक्कन गांव में हुआ था। उनके पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। उनकी माता का नाम पार्वती बाई था और पत्नी सत्यभामा थीं।
2. अपने परिश्रम के बल पर हमेशा आगे बढ़ने वाले बाल गंगाधर तिलक की गिनती स्कूल के मेधावी छात्रों में होती थी। तथा प्रतिदिन तिलक पढ़ने के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम भी करते थे, अतः वे शरीर से स्वस्थ और पुष्ट थे।
3. उन्होंने बीए और कानून की परीक्षा पास की तब उनके परिवारजन, रिश्तेदार और मित्र यह आशा लगाकर बैठे थे कि तिलक वकालत करके अच्छा-खासा धन कमाएंगे और अपने वंश के गौरव को बढ़ाएंगे, लेकिन देश के प्रति मन में अधिक प्रेमभाव रखने वाले तिलक ने शुरू से ही जनता की सेवा का व्रत धारण कर लिया था।
4. उन्होंने कानून की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पूर्ण रूप से अपनी सेवाएं एक शिक्षण संस्था के निर्माण को दे दीं। और 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल और कुछ वर्षों के पश्चात फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की, ताकि जनता की सेवा के साथ ही वे पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर भी बन सकें।
5. उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई। उनका यह वाक्य- स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा। आज भी सारे देश में ख्यात है।
6. उन्होंने जनजागृति कार्यक्रम पूर्ण करने के लिए महाराष्ट्र में सप्ताह भर गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव मनाना प्रारंभ किया, जिसके माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंग्रेज अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा। उनके इस क्रांतिकारी कदमों से अंग्रेज पहले तो बौखला गए, फिर उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाया और 6 वर्ष के लिए उन्हें 'देश निकाला' का दंड देकर बर्मा की मांडले जेल भेज डाल दिया।
7. लोकमान्य तिलक हिन्दुस्तान के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने भारत देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
8. बर्मा की मांडले जेल में तिलक ने गीता का अध्ययन करके 'गीता रहस्य' नामक भाष्य लिखा और जेल से छूटने के बाद जब उनका 'गीता रहस्य' प्रकाशित हुआ तो उसका प्रचार-प्रसार आंधी-तूफान की तरह बढ़ा और जनमानस अत्यधिक आंदोलित हो गया।
9. लोकमान्य तिलक ने मराठी में दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए जो 'मराठा दर्पण' और 'केसरी' नाम से जनता में काफी लोकप्रिय हुए, इसमें तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीनभावना को लेकर अंग्रेजों की बहुत आलोचना की थी।
10. 01 अगस्त 1920 को मुंबई में लोकमान्य तिलक का निधन हुआ। ऐसे लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता होने का श्रेय भी तिलक को दिया जाता है। उन्हें स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक माना जाता है।
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