Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर कब, कहां और कितने दीपक जलाएं?

WD Feature Desk
मंगलवार, 12 नवंबर 2024 (15:54 IST)
Dev Diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाते हैं परंतु कुछ लोग परंपरा से एकादशी के दिन ही देव दिवाली मना लेते हैं। देव दिवाली का पर्व इस बार 15 नवंबर 2024 शुक्रवार के दिन रहेगा। देव दिवाली के दिन दीपदान करने की परंपरा है। इससे सभी तरह के संकट दूर होकर जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इसलिए यह जानना जरूरी कि दीपदान कब और कहां करें और साथ ही कि कितने दीप दान करें।ALSO READ: Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ
 
कहां करते हैं दीपदान?
1. देवमंदिर में करते हैं दीपदान। 
2. विद्वान ब्राह्मण के घर में करते हैं दीपदान।
3. नदी के किनारे या नदी में करते हैं दीपदान।
4. दुर्गम स्थान अथवा भूमि (धान के उपर) पर करते हैं दीपदान।
 
कब करते हैं दीपदान?
1. दीपदान प्रदोषकाल और उसके बाद के काल में करते हैं। 
2. सभी स्ना पर्व और व्रत के समय दीपदान करते हैं। 
3. धनतेरस, नरकचतुर्दशी, यम द्वितीया, दीपवली, अमावस्या या पूर्णिमा के दिन करते हैं दीपदान।
4. दुर्गम स्थान अथवा भूमि पर दीपदान करने से व्यक्ति नरक जाने से बच जाता है।
5. पद्मपुराण के उत्तरखंड में स्वयं महादेव कार्तिकेय को दीपावली, कार्तिक कृष्णपक्ष के पांच दिन में दीपदान का विशेष महत्व बताते हैं।
कितने दीपक दान करना चाहिए?
देव दिवाली पर नदी के तट पर देव दीपावली के दिन 11, 21, 51 या 108 दीया जलाएं। आप चाहे तो इससे ज्यादा दीपक भी जला सकते हैं।ALSO READ: Dev Diwali 2024: देव दिवाली कब है, जानिए पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि
 
दीपदान करने के फायदे:-
1. अकाल मृत्यु से बचने के लिए करते हैं दीपदान।
2. अपने मृ‍तकों की सद्गति के लिए करते हैं दीपदान।
3. लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनकी कृपा हेतु करते हैं दीपदान।
5. यम, शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए करते हैं दीपदान।
6. सभी तरह के अला-बला, गृहकलह और संकटों से बचने के लिए करते हैं दीपदान।
7. जीवन से अंधकार मिटे और उजाला आए इसीलिए करते हैं दीपदान।
8. मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं दीपदान।
9. किसी भी तरह की पूजा या मांगलिक कार्य की सफलता हेतु करते हैं दीपदान।
10. घर में धन समृद्धि बनी रहे इसीलिए भी कहते हैं दीपदान।
11. कार्तिक माह में भगवान विष्णु या उनके अवतारों के समक्ष दीपदान करने से समस्त यज्ञों, तीर्थों और दानों का फल प्राप्त होता है।

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