क्‍या होता है Drone, जिसका इस्‍तेमाल इन दिनों वैध ही नहीं गैर-कानूनी कामों में भी हो रहा है?

नवीन रांगियाल

मंगलवार, 31 मई 2022 (13:25 IST)
आजकल हर कहीं ड्रोन की बहुत चर्चा है। चाहे सेना में इसके इस्‍तेमाल की बात हो या जासूसी के कामों में। देश की बॉर्डर और संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी करने का काम हो, कर्फ्यू हो या कोई फंक्‍शन आदि हो। खेती किसानी के काम में लेना हो या फिर हथियारों और ड्रग्‍स की तस्‍करी ही क्‍यों न हो, हर जगह इसका उपयोग जमकर हो रहा है।

जब कोई विकसित तकनीक आती है तो उसका अच्‍छे कामों के साथ ही अवैध कामों के लिए भी इस्‍तेमाल होने लगता है। ऐसे में ड्रोन एक ऐसी तकनीक है जिसका इस्‍तेमाल सभी जगह हो रहा है। शायद आपने कभी ध्‍यान नहीं दिया होगा कि ये किस तरह की तकनीक से काम करता है, कैसे बनता है, कैसे इसका इस्‍तेमाल होता है और आखिरकार ये होता क्‍या है। सबसे जरूरी कि आखिर इसकी जरूरत क्‍यों आई।

आइए जानते हैं ड्रोन के बारे में वो सबकुछ जो शायद आप नहीं जानते होंगे।
सबसे पहले बता दें कि यह एक खास तरह की टेक्नोलॉजी पर काम करता है। इसे बनाने में कई तरह के उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। यह रिमोट के जरिए कंट्रोल होता है।

क्‍या होता है Drone?
ड्रोन दरअसल, एक तरह से उड़ने वाली मशीन है और यह रिमोट के जरिए कंट्रोल होता है। इसे इसलिए बनाया गया था कि कठिन कामों को आसान किया जा सके। खासतौरर से ऐसे काम जो इंसानों के लिए किस तकनीन से काम करता है ड्रोन ड्रोन बगैर किसी इंसान के काम करता है, इसलिए इसे मानव रहित एयरक्रॉफ्ट भी कहा जाता है। यानी एक ऐसी मशीन जो बगैर इंसान के भी ऑपरेट हो सकती है।

GPS और Censor से करता है काम
जाहिर सी बात है जब कोई उपकरण हवा में उडता है और रिमोट से कंट्रोल होता है तो उसमें कोई खास तकनीक ही काम करती होगी। ड्रोन भी ऐसे फ्लाइंग रोबोट्स होते हैं, जिन्हें रिमोट कंट्रोल की मदद से कंट्रोल किया जाता है। इसलिए इनमें जीपीएस सिस्‍टम और सेंसर लगे होते हैं। रिमोट कंट्रोल के अलावा ड्रोन सॉफ्टवेयर की मदद से भी चलते हैं। अगर आपने कोई जगह और समय तय किया है तो वो उस तय समय में तय टारगेट को अचीव कर सकते हैं। सेंसर और जीपीएस का एंबेडेड सिस्‍टम की वजह से ये हवा में उड़ान भर सकते हैं।

कहां होता है सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल?
यह इस्‍तेमाल करने में बेहद आसान होने के साथ ही सुविधाजनक भी है। ऐसे में इसका इस्तेमाल उन जगहों पर ज्यादा किया जाता है जहां आपकी जान की जोखिम का खतरा हो। जैसे सेना में किसी तरह की सैन्य गतिविधि में आजकल इसका इस्‍तेमाल होता है। इसमें कोई मानव नहीं होता है, इसलिए इंसानों के लिए खतरा कम हो जाता है। युद्ध जैसे हालातों में यह बिना किसी इंसान के उड़ान भरकर दुश्मनों के बंकरों तक पहुंच सकते हैं और हमला भी कर सकते हैं। यह अपनी एनर्जी के स्‍तर पर काम करता है, जितनी उर्जा होगी, उतनी देर तक काम कर सकता है। खेतों में निगरानी के लिए इसका इस्‍तेमाल हो रहा है, जासूसी के लिए, लोकेशन का पता लगाने के लिए, शादियों समारोह जैसे फंक्‍शन में भी ये देखा जा सकता है।

यहां भी हो रहा इस्‍तेमाल
अब तो ड्रोन का इस्तेमाल सिविलियन भी करने लगे हैं। जैसे दुर्गम स्थानों में फंसे लोगों को सर्च और रेस्‍क्‍यू के लिए, यातायात और मौसम निगरानी के लिए,फोटोग्राफी के लिए, किसी कीमती वस्तु या जगह की निगरानी के लिए, फायर फाइटिंग के तौर पर, खेती से जुड़े कार्यों और होम डिलिवरी जैसे बिजनेस के लिए।

आखिर कैसे काम करता है Drone?
यह ठीक वीडियो गेम खेलने की तरह है। जीपीएस सिस्‍टम को संचालित करते वक्‍त वैसा ही महसूस होता है, जैसे वीडियो गेम खेलते वक्‍त। ड्रोन उड़ाने के इस आसान यूजर इंटरफेज के पीछे एक accelerometer, एक gyroscope और complex technologies का इस्‍तेमाल किया जाता है।

स्‍मार्टफोन से भी होता है कंट्रोल
कोई भी ड्रोन न सिर्फ रिमोट से बल्‍कि स्‍मार्ट फोन, टेबलेट से भी कंट्रोल किया जा सकता है। स्मार्टफोन और टेबलेट में यह वायरलेस कनेक्टिविटी से नियंत्रित होता है। वहीं, ऐप की मदद से इसका टाइम और टारगेट तय कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए GPS सिस्‍टम का उपयोग करना होता है। हाल ही में कई देशों में आपसी झडप में ड्रोन के इस्‍तेमाल की खबरें सामने आती रही हैं। बॉर्डर पर निगरानी के लिए भी यह बेहद उपयोगी है, ऐसे में इसका सबसे ज्‍यादा उपयोग सेना में किया जाता है। यहां कई तरह के आधुनिक और तकनीक से भरपूर ड्रोन का उपयोग होता है।

सबसे अहम है rotors
ड्रोन को ऊपर की तरफ उड़ाने में सबसे खास भूमिका rotors की होती है। Rotor जिसमे मोटर के साथ जुड़ा हुआ एक propeller शामिल होता है। जैसे ही पायलट इन रोटर्स की गति बढ़ाता है, रोटर्स हवा की मदद से एक फोर्स पैदा करते हैं जिसकी वजह से ड्रोन हवा में ऊपर की तरफ उठने लगता है। रोटर्स की गति कम करने या घटाने पर ड्रोन नीचे आने लगता है।

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