बादल ने आंदोलन कर रहे किसानों को कथित रूप से राष्ट्र-विरोधी के तौर पर पेश करने के प्रयासों के लिए भी केन्द्र सरकार की आलोचना की और नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि किसान चाहते हैं कि इन कानूनों को वापस लिया जाए। अगर किसान ये कानून नहीं चाहते हैं तो आप उन पर क्यों थोपना चाहते हैं?
बादल ने गुरुवार की शाम मीडिया से बातचीत में बादल ने कहा कि वे इस नीति को भी ऐसे ही थोपना चाहते हैं, जैसे उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी थोपा था और अब वे चाहते हैं कि दफ्तरों में बैठकर वह जो भी कानून बनाएं, उन्हें जबरन लागू करा दिया जाए।
शिअद प्रमुख ने कहा कि यह लोकतांत्रिक देश है। अगर किसान यह (कानून) नहीं चाहते। आप देख रहे हैं कि सभी किसान संगठन एकजुट हो गए हैं। भारत बंद रखा गया। किसान ये कानून नहीं चाहते हैं, फिर आप इसे (कानून) क्यों रखना चाहते हैं। मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं।