कहीं बर्फबारी तो कहीं, कड़कड़ाती ठंड, ऐसे में कोई खुले आसमान के नीचे एक चटाई बिछाकर किसानों ने इसलिए डेरा डाल रखा है कि वो सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन कर सकें। आंदोलन का यह 23वां दिन है, ऐसे में सवाल उठता है कि अपने घरों से कई किलोमीटर दूर उनके खाने-पीने की व्यवस्था क्या और कैसे होती होगी। आइए, जानते हैं किसान आंदोलन की एक ऐसी ही अनसुनी कहानी...
आंदोलन के शुरुआती दौर में अपने भोजन के लिए किसान मिल बांटकर सहयोग कर रहे थे, लेकिन अब चूंकि तादात ज्यादा हो गई है तो मशीनों की मदद ली जा रही है।
किसान आंदोलन के दृश्य देखने पर ऐसा लगता है कि मानों कोई सत्संग का डेरा लगा हो। जहां सेवादारों के भोजन प्रसादी के लिए लंगर चलाए जा रहे हैं, यह सही है कि भोजन बनाने और खाने के लिए लंगर चल रहे हैं, लेकिन यह कोई सत्संग नहीं बल्की किसान आंदोलन में हो रहा है।
रोटी बनाना हो या फिर चावल पकाना हो, सबकुछ मशीनों से हो रहा है। लंगरनुमा इस आंदोलन में मशीनों से एक दिन में करीब 30 हजार से ज्यादा रोटियां तैयार हो रही हैं।
इसके अलावा 7 क्विंटल चावल भी रोज पकाए जा रहे हैं। लंगर में सबसे ज्यादा पनीर की सब्जी बनाई जा रही है क्योंकि इसकी मांग ज्यादा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आलम यह है कि आंदोलन में लगाए गए लंगर में रोजाना करीब 45 से 50 हजार किसान खाना खा रहे हैं। ये लंगर गुरदासपुर के एक गुरुद्वारे द्वारा लगाया जा रहा है।
यहां का शैड्यूल भी बिल्कुल तय है। रोज सुबह 4 बजे चाय के साथ शुरुआत होती है। चाय में रोज 100 लीटर दूध लग रहा है। चाय के साथ नाश्ते में पकोड़े तैयार किए जाते हैं। जानकारी के मुताबिक इसमें करीब 50 किलो बेसन लग जाता है। दोपहर में खाने की व्यवस्था होती है। लंगर में भेाजन करने का यह सिलसिला देर रात तक चलता है।
रोटी बनाने की मशीन के जरिए 7 क्विंटल आटा में 30 हजार से ज्यादा रोटियां तैयार हो रही हैं। वही 7 क्विंटल चावल भी रोज पकाया जा रहा है। दाल और चावल पकाने के लिए स्टीमर बायलर लगा दिए गए हैं। महज 20 से 25 मिनट में दो से ढाई हजार लोगों के लिए दाल और सब्जी तैयार हो जाती है।
कोई नहीं जानता कहां से आ रही मदद?
सबसे दिलचस्प यह है कि लंगर इतनी संख्या में रोजाना भोजन सामग्री कहां से आ रही है इसकी जानकारी किसी को नहीं है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में किसानों ने बताया कि उन्हें हर जगह से राशन और आर्थिक मदद मिल रही है। लोग सेवाभाव की तरह किसानों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि सब्जियां सीधे हरियाणा और पंजाब के खेतों से पहुंच रही हैं। हर दिन अलग अलग मेन्यू होता है। आटा, चावल और जरूरत का सारा सामान दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के किसान परिवारों के अलावा गुरुद्वारे के लोग भेज रहे है।
किसानों के लिए गर्म हीटर
किसानों ने बढ़ती ठंड से बचने के लिए गैस हीटर लगा लिए हैं। कुछ लोग लकड़ी जलाकर अपना काम चला रहे हैं तो कुछ किसान नेताओं ने हीटर मंगाए हैं। गैस के हीटर के लिए गैस की व्यवस्था की जा रही है वहीं अलाव के लिए हर दिन ट्रक भरकर लकड़ियां पहुंच रही हैं।