उन्होंने बालक को द्वार से हटा देने की देवताओं को आज्ञा दी। इन्द्र, वरुण, कुबेर, यम आदि सब उससे पराजित होकर भाग खड़े हुए आखिर वह महाशक्ति का पुत्र था। भगवान शंकर ने क्रोधित हो त्रिशूल उठाया और बालक का मस्तक काट दिया।
भगवान शंकर भी पार्वती के विलाप को सुनकर विचलित हो गए। उन्होंने भगवान गरूड़ को आदेश दिया कि किसी भी नवजात शिशु का मस्तक लाया जाए। यह मस्तक धड़ से लगाया गया तो बालक पुनर्जीवित हो जाएगा। लेकिन शर्त यह थी कि उसी शिशु का सिर काम में आएगा जिसकी माता उसकी तरफ पीठ कर के सोई होगी। लेकिन समूचे संसार में ऐसी कोई मां नहीं मिली जो अपने बालक की तरफ पीठ कर के सोई होती।