मुंबई। वर्तमान सांसद और मुंबई उत्तर-मध्य लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार प्रिया दत्त अपने पिता सुनील दत्त की विरासत आगे बढ़ा रही हैं और इस सीट पर भाजपा ने पूनम महाजन और सपा ने फरहान आजमी चुनावी मैदान में उतारा है।
राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि दत्त की विरासत को इस बार पहली बार भाजपा उम्मीदवार पूनम महाजन से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी के फरहान आजमी भी चुनाव लड़ रहे हैं जिनकी नजरें इस सीट पर 4 लाख मुस्लिमों और ढाई लाख उत्तर भारतीयों पर रहेंगी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस से ज्यादा इस सीट को सुनील दत्त के लिए जाना जाता रहा है। दत्त वर्ष 1984 में इसी सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे। इस सीट पर भाजपा का कोई कार्यकर्ता नहीं हुआ करता था और दत्त की जीत निश्चित मानी जाती थी।
विश्लेषकों ने कहा कि सभी विधायक और पार्षद सुनील दत्त के करीबी हुआ करते थे और एक समय था, जब दत्त सहित सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों में विधायक कांग्रेसी थे।
उन्होंने कहा कि लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। सूत्रों ने कहा कि सत्ता विरोधी लहर बड़े स्तर पर है। प्रिया दत्त को विधायकों का स्थानीय समर्थन हासिल नहीं है। प्रिया ने जब नामांकन भरा तो कुर्ला विधायक मोहम्मद आरिफ नसीम खान और कालिना विधायक कृपाशंकर सिंह संदिग्ध रूप से गैरजाहिर रहे।
बांद्रा पश्चिम के विधायक बाबा सिद्दीकी और विले पार्ले विधायक कृष्ण हेगड़े के अलावा प्रिया को किसी स्थानीय कांग्रेसी नेता से समर्थन नहीं मिल रहा है।
भाजपा ने इस सीट पर पूनम महाजन को उतारा है, जो पिछले कुछ समय से राजनीति में सक्रिय हैं। इस क्षेत्र के एक भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि 2009 में भाजपा का मनोबल गिरा हुआ था।
उन्होंने कहा कि वकील महेश जेठमलानी राजनीति में नए थे, लेकिन पूनम अच्छी पसंद हैं। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेन्द्र मोदी के लिए समर्थन है और स्थानीय कार्यकर्ता सक्रिय हैं। भाजपा सूत्रों ने कहा कि पूनम विनोद तावड़े विरोधी धड़े की हैं।
मुंबई उत्तर-मध्य क्षेत्र के रहने वाले और महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता तावड़े राज्य की राजनीति में तेजी से उभरते नेता हैं। उन्हें पूनम के फूफा गोपीनाथ मुंडे का विरोधी माना जाता है।
सूत्रों ने कहा कि उनके चुनाव का प्रबंधन पूर्व कॉर्पोरेटर पराग अलवानी देख रहे हैं, जो तावड़े के करीबी हैं। पूनम के समर्थन में प्रदेश भाजपा के सभी धड़े एक हो गए हैं। प्रिया (47) की तुलना में पूनम को अच्छा वक्ता माना जाता है और वे मुद्दों को अच्छे से समझती हैं और लोगों से जुड़ जाती हैं।
भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस सीट पर मुस्लिमों और उत्तर भारतीयों के मतों के विभाजन का फायदा पूनम को मिलेगा। (भाषा)