रूस निर्मित मिग-21 लड़ाकू विमान 6 दशकों से अधिक समय तक सेवा में रहने के बाद आखिरकार सितंबर में भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त होने वाले हैं। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि 23वें स्क्वाड्रन (जिसे "पैंथर्स" उपनाम दिया गया है) के अंतिम मिग-21 लड़ाकू विमान को 19 सितंबर को चंडीगढ़ वायु सेना अड्डे में एक समारोह में विदाई दी जाएगी। मिग-21 लड़ाकू विमान लंबे समय तक भारतीय वायुसेना का मुख्य आधार रहे। मिग-21 की जगह अब स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित तेजस Mk1A फाइटर जेट लेंगे।
सेवा में 1960 के दशक में पहली बार शामिल किए जाने के बाद, भारतीय वायुसेना ने अपनी समग्र युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए 870 से ज्यादा मिग-21 लड़ाकू विमान खरीदे। हालांकि, इस विमान का सुरक्षा रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। मिग-21 विमान 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में प्रमुख लड़ाकू विमान थे। इस विमान ने 1999 के करगिल संघर्ष के साथ-साथ 2019 के बालाकोट हवाई हमलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भारतीय वायुसेना मिग-21 विमानों को तेजस हल्के लड़ाकू विमान (मार्क1ए) से बदलने की योजना बना रही है। हालांकि, सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा स्वदेश निर्मित विमान की आपूर्ति में देरी हुई है। भाषा Edited by : Sudhir Sharma