ये हैं नरेन्द्र मोदी के खास सिपहसालार

Webdunia
शनिवार, 17 मई 2014 (19:14 IST)
नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में सत्ता पर कब्जा जमाते हुए राजग को जहां 336 सीटें दिलवाईं, वहीं भाजपा को भी पहली बार अपने बूते पर पूर्ण बहुमत दिलाया।

मोदी की बड़ी सफलता में महत्वपूर्ण हाथ उनकी भरोसेमंद टीम का भी रहा, जिससे वे देश के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे। जानिए ‍टीम के बारे में-

अमित शाह : तुरुप का इक्का

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नरेन्द्र मोदी के सबसे करीबी और भरोसेमंद गुजरात के पूर्व गृहमंत्री अमित शाह उनकी इस चुनाव में सबसे बड़े रणनीतिकार रहे। उत्तरप्रदेश चुनाव की कमान अमित शाह को सौंपी गई। शाह का ही कमाल था कि उप्र में कांग्रेस के सफाए के साथ ही भाजपा ने वहां पर 80 में से 71 सीटें हासिल कीं।

पेशे से प्लास्टिक और प्रिटिंग का बिजनेस करने वाले शाह की मुलाकात 1980 में मोदी से हुई। तबसे यह जोड़ी साथ में है। गुजरात में राज्य चुनाव में रणनीति बनाने के अलावा शाह ने गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन और को-ऑपरेटिव सेक्टर पर भी भाजपा का कब्जा करवाया।

शाह की गुजरात में फर्जी मुठभेड़ को लेकर गिरफ्तारी भी हुई उन्हें गुजरात से बाहर होना पड़ा। जब मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बने तो उन्होंने अपने सबसे भरोसेमंद अमित शाह को यूपी के चुनावी कैंपेन की कमान सौंपी और उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की। भाजपा के महासचिव अमित शाह को वडोदरा सीट से चुनाव लड़ा सकते हैं।

शाह की आगे की भूमिका : शाह को नजदीक से जानने वालों के मुताबिक शाह सरकार में शामिल नहीं होंगे और पार्टी में काम करना पसंद करेंगे। मोदी उन्हें अपने पसंदीदा प्रोजक्ट क्लीनअप गंगा में भी शामिल कर सकते हैं। शाह सरकार में शामिल हों या न हों, वे पार्टी में सुधार और राजनीतिक प्रबंधन में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

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1979 बैच के आईएएस ऑफिसर के. कृष्णनाथन को रिटायरमेंट के बाद भी नरेन्द्र मोदी ने आराम नहीं करने दिया। साथियों के बीच केके के नाम से जाने जाने वाले कृष्णनाथन पिछले आठ सालों से सीएमओ में थे।

मोदी ने उनके लिए विशेष पद तैयार किया। गुजरात के सबसे शक्तिशाली ब्यूरोक्रेट केके चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में कार्य कर रहे हैं। वे मोदी और नौकरशाहों के बीच की कड़ी हैं। उन्होंने मोदी के एजेंडे को आगे बढ़ाया और मोदी की दक्षिणी राज्यों में पैठ बनाने में मदद की। इतना ही नहीं तमिलनाडु जैसे राज्यों में छोटी पार्टियों को भी एनडीए से जोड़ा।

आगे की भूमिका : खबरों के मुताबिक मोदी चाहते हैं कि केके गुजरात में ही रहें और गुजरात के अगले मुख्यमंत्री की नीति में सलाहकार बने।

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अमेरिका में पढ़ाई करने वाले 30 साल के प्रशांत किशोर दो साल से मोदी के साथ सीएमओ में हैं। संयुक्त राष्ट्र में नौकरी करने के बाद टीम मोदी में शामिल होने के बाद किशोर ने अमेरिका के चुनावों की तर्ज पर पूरे चुनाव कैंपेन को चलाया। उन्होंने आईआईटी नौकरी छोड़ चुके कई युवाओं को टीम मोदी में शामिल करवाया।

प्रशांत किशोर ने प्रचार समिति बनाई। इसका नाम सेंटर फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस को बनाया। इनका काम प्रचार के नारे और रणनीति तय करना था। किशोर थिंक टैंक की भूमिका निभाते हुए मोदी को विभिन्न विषयों पर सलाह भी देते हैं। मोदी अपनी टीम का समान प्रयोग बीजेपी चैनल के लिए भी करते हैं।

आगे क्या भूमिका : प्रशांत किशोर मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएमओ में शामिल होकर मुख्य रणनीतिकार की भूमिका में दिख सकते हैं एक नया मोदी ब्रांड बनाने के लिए।

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मोदी ने चुनावों में तकनीक का बखूबी प्रयोग करते हुए अपनी बात जनता तक पहुंचाई। इसमें मुख्य भूमिका निभाई उनके टेक ट्रायो हिरेन जोशी, राजेश जैन और बीजी महेश ने।

इन तीनों टेक महायोद्धाओं ने मोदी के पूरे कैंपेन के लिए टेक्नोलॉजी बैकअप उपलब्ध करवाया। अद्‍भुत थ्रीडी कैंपेन बनाने वाले जोशी सीएमओ में विशेष आईटी अधिकारी है। मुंबई और बेंगलोर में आईटी उद्यमी राजेश जैन और बीजी महेश जोशी इस पूरे काम में जोशी की सहायता करते हैं।

आगे की भूमिका : जोशी दिल्ली जा सकते हैं और राजेश और बीजी महेश मोदी के नई योजनाओं में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।

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1985 बैच के आईएएस ऑफिसर ग‍िरीश सी मुर्मु ने राज्य के और मोदी के कानूनी पेंचों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गुजरात दंगे और लोकायुक्त जैसे मुद्दों को संभाला है। मुर्मु सीएमओ में गुह विभाग का काम संभालते हैं। वे शहरी विकास और राजस्व विभाग को भी देखते हैं

आगे की भूमिका : वे नई दिल्ली में टीम मोदी में शामिल हो सकते हैं।

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काका के नाम से गुजरात में पहचाने जाने वाले सुरेन्द्र पटेल करीब दो दशक से भाजपा के बैंकर की भूमिका निभा रहे हैं। आडवाणी के करीबी और गुजरात भाजपा के कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र पटेल जब उद्योगपतियों से पार्टी के लिए फंड लेने जाते हैं तो उनसे कोई सवाल नहीं पूछता है। मोदी सारे लेन-देन में उन पर भरोसा करते हैं।

आगे की भूमिका : वे गुजरात में ही रहकर भाजपा के लिए काम करते रहेंगे।


2001 बैच के आईएएस ऑफिसर विजय नेहरा टीम मोदी के सबसे युवा सदस्य हैं। वे सीएमओ में संयुक्त सचिव हैं। आईआईटी ग्रेजुएट नेहरा आनंदी बेन के करीबी माने जाते हैं।

आगे की भूमिका : माना जा रहा है कि सीएमओ में बदलती परिस्थिति में गुजरात में ही रहेंगे।

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गुजरात के टेरेंट ग्रुप वाइस प्रेजीडेंट वी चौथाईवाला मोदी के सलाहकार हैं। नागपुर आरएसएस से संबंध रखने वाले परिवार के विजय से मोदी विभिन्न मुद्दों पर सलाह लेते हैं। मोदी ने विजय को कई बार नौकरी से छुट्टी लेकर दिल्ली में चुनावी कैंपेन में शामिल होने के लिए आग्रह किया था।

आगे की भूमिका : वे मोदी के सलाहकार की भूमिका निभा सकते हैं।

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दिल्ली में गुजरात के आवासीय आयुक्त भरत लाल चार वर्षों से ज्यादा समय से मोदी की आंख और कान की भूमिका निभा रहे हैं। उनका जुड़ाव बड़े नेता, ब्यूरोक्रेट्‍स और पत्रकारों के साथ हैं ताकि अं‍दर महत्वपूर्ण जानकारियां उन्हें मिल सके।
आगे की भूमिका : वे पीएमओ में शामिल होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

मोदी के लिसनर : अरविंद के. शर्मा

1988 बैच के आईएएस अधिकारी अरविंद के शर्मा ने मोदी को एक विकासशील नेता के रूप में प्रस्तुत करने वाले वाइब्रेंट गुजरात समिट के सफल संचालन में महत्वपूर्ण ‍भूमिका निभाई थी। यूपी के मऊ के रहने वाले शर्मा को जटिल से जटिल समस्याओं को सुलझाने में माहिर माना जाता है, यही कारण हैं कि वे गुजरात में विधायकों की शिकायतों को संभालते हैं।

आगे की भूमिका : वे पीएमओ में आ सकते हैं जहां दूसरे मामलों के अलावा सांसदों में समन्वय बना सकते हैं।