अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस इतिहास
पशु दिवस को एक जर्मन लेखक हेनरिक जिमर्मन द्वारा मनाया गया था। औपचारिक रूप से इसे 4 अक्टूबर को मनाने का प्रावधान रखा गया था। हालांकि सेंट फ्रांसिस के दावत का दिन होता है, इसे 24 मार्च 1925 को बर्लिन में मनाया गया था। इस दौरान करीब 5000 लोग इकट्ठा हुए थे। शुरुआत में जर्मनी में मनाया गया। इसके बाद स्विट्जरलैंड,ऑस्ट्रिया, में मनाया गया। बाद में इसकी लोकप्रियता कई देशों में बढ़ने लगी। और देखते ही देखते कई देश इसे मनाने लगे। हालांकि 1931 में फ्लोरेंस, इटली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पशु संरक्षण सम्मेलन ने इसे अंतरराष्ट्रीय पशु दिवस को 4 अक्टूबर को मनाने का प्रस्ताव पारित किया।
पशु दिवस का महत्व
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य पशु कल्याण मानकों में सुधार करना। विलुप्त हो रहे प्राणियों की रक्षा करना। पशु दिवस का महत्व है जानवरों के प्रति अनोखा संवेदनात्मक भाव रखना। क्योंकि वह इंसानों की तरह जीने का हक रखते हैं। अक्सर किसी प्राक़तिक आपदा के दौरान अक्सर पशुओं को छोड़ दिया जाता है। और उनकी मौत हो जाती है। इंसानों की तरह उनकी सुरक्षा करना जरूरी है। इस दिन को मनाने का महत्व है कि इंसान की तरह जानवर भी हर हक पाने का हकदार है। महत्व को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य किए जाते हैं। पशुओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए विश्व पशु कल्याण विभाग, जानवरों के उपचार और आश्रयों के लिए फंड जुटाया जाता है। जैसे तमाम गतिविधियां की जाती है।