कुट्टू के आटे से लोग क्यों पड़ रहे हैं बीमार?
कई बार यह आटा संक्रमित होता है, जिसे खाने से अचानक लोगों की तबीयत बिगड़ जाती है। इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें पहली और प्रमुख वजह है कि यह आटा मुख्य रूप से व्रत में ही इस्तेमाल होता है, रोजाना खाने में इसे नहीं खाते हैं। वहीं इस आटे को लंबे समय तक स्टोर करके रखा जाता है, और इसकी बिक्री व्रत पर्वों पर ही होती है। कई बार लंबे समय तक गलत तरीके से स्टोर किए जाने या एक्सपायर्ड हो जाने के चलते यह खराब हो जाता है। इसमें फंगल या अन्य तरीके का इंफेक्शन विकसित हो जाता है और इसे खाकर लोग बीमार पड़ जाते हैं।
कुट्टू के आटे में डाला जा रहा है गैमेक्सीन:
त्योहारों से दो महीने पहले कुट्टू की कई गाड़ियां थोक मंडी में आ जाती हैं। जो माल तुरंत बिक जाता है, उसमें कोई समस्या नहीं होती। लेकिन बचा हुआ माल गोदामों में स्टॉक करने से पहले कीटनाशक गैमेक्सीन के पाउडर से छिड़का जाता है। ऐसा बताया जा रहा है कि यह कीटनाशक कुट्टू में कीड़े लगने से रोकने के लिए लगाया जाता है। लेकिन इस कीटनाशक का असर कुट्टू पर भी होता है, जिसके कारण बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
कुट्टू का आटा खरीदने से पहले करें ये काम:
जनता को बाजार से कुट्टू की गिरी खरीदनी चाहिए। गिरी को थोड़ा धूप में सुखाकर मिक्सर ग्राइंडर में पीस लें। फिर, इसमें एक चौथाई सिंगाड़े का आटा मिलाकर भोजन बनाएं। ऐसा करने से खाने वाले को कोई नुकसान नहीं होगा।
कुट्टू के आटे से होने वाली फूड पॉइजनिंग एक गंभीर समस्या है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मिलावट, एक्सपायर्ड आटा, संक्रमण, और गलत स्टोरेज शामिल हैं। इसलिए, कुट्टू का आटा खरीदते समय सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। एक्सपायर्ड डेट चेक करें, आटे का रंग और टैक्सचर देखें, और इसे साफ-सफाई से स्टोर करें।
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