क्यों मनाते हैं विश्व साक्षरता दिवस- 8 सितंबर यानी विश्व साक्षरता दिवस। विश्व में शिक्षा के महत्व के दर्शाने और निरक्षरता को समाप्त करने के उद्देश्य से 17 नवंबर 1965 को यह निर्णय लिया गया, कि प्रत्येक वर्ष 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप मे मनाया जाएगा।
पहला विश्व साक्षरता दिवस- सन् 1966 में पहला विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया था और वर्ष 2009-2010 को संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक घोषित किया गया। तभी से लेकर आज तक पूरे विश्व में 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
अब सवाल यह उठता है, कि इस दिन को कैसे मनाया जाता है। कहीं पर समारोह का आयोजन कर, साक्षरता को लेकर भाषण दिए जाते हैं, तो कहीं गरीब बस्तियों में जाकर शिक्षा का अलख जगाने का प्रयास किया जाता है। कहीं केवल साक्षरता और निरक्षरता के आंकड़ों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित कर लिया जाता है। वैसे भी सोशल मीडिया साक्षरता दिवस के प्रमुख लेखनों में भरा पड़ा है।
आइए इस बार शुरुआत बताने या समझाने से नहीं, समझने से करते हैं। एक नई शुरुआत खुद से करते हैं। साक्षरता दिवस पर एक प्रण करते हैं, उस यज्ञ में आहुति देने का, जो शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए बरसों से किया जा रहा है, लेकिन उसकी ज्वाला उतनी तीव्रता से धधक नहीं पा रही।
जरूरी नहीं है, कि इसके लिए हमें कोई बड़े काम से शुरुआत करनी हो। आहुतियां छोटी ही होती है, लेकिन यज्ञ का महत्व और उद्देश्य बड़ा होता है। ठीक वैसे ही हमारी छोटी-छोटी कोशिशें भी कई बार बड़ा आकार लेने में सक्षम होती हैं।
कुछ जरूरी बातें-
* अगर आप घर पर किसी गरीब बच्चे को न पढ़ा पाएं, तो अपने क्षेत्र के लोगों के साथ मिलकर कोई छोटा सा समूह बनाकर, उसके स्कूल जाने की व्यवस्था जरूर कर सकते हैं।
* आप कुछ वक्त निकालकर, उन पिछड़े क्षेत्रों व लोगों के बीच शिक्षा के महत्व को साक्षा कर सकते हैं, जहां शिक्षा से जरूरी मजदूरी और ज्ञान से जरूरी भोजन होता है।
* आप ज्ञान के प्रकाश से वंचित तबके को इस बात एहसास करा सकते हैं, कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती।
* आप कम से कम सरकार की शिक्षा संबंधी योजनाओं की जानकारी तो बांट सकते हैं, जो आपके छोटे से प्रयास से अंधकारमय जीवन में एक नया दीपक जला सकती है, क्योंकि शिक्षा रोजगार या पैसे से ज्यादा खुद के विकास के लिए जरूरी है।
खास मायने में विश्व साक्षरता दिवस शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और लोगों का ध्यान शिक्षा की तरफ आकर्षित करने के साथ ही उन्हें सही शिक्षा के संस्कार देना जरूरी हो गया है। शिक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभा रहे शिक्षण संस्थानों, कोचिंग इंस्टीट्यूस को चाहिए कि वो शिक्षा को मात्र रुपए कमाने का साधन न मानकर सही और योग्य संस्कारों वाले समाज का निर्माण करने में अहम् भूमिका निभाएं।