सरपट दौड़ती आधुनिकता के बीच साहित्य में युवा पीढ़ी की रूचि अब उतनी नहीं रही, जितनी किसी ज़माने में हुआ करती थी। स्मार्टफोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया के कारण मनोरंजन के लिए युवाओं की निर्भरता अब ऑडियो विज़ुअल माध्यम जैसे यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ओटीटी आदि पर ज्यादा हो गई है। लेकिन, अगर देखा जाए तो हिंदी साहित्य की दुनिया भी बड़ी अद्भुत है। साहित्यिक पुस्तकों, कहानियों, उपन्यासों को पढ़कर हमे मनोरंजन के साथ साथ अपने स्वर्णिम इतिहास, संस्कृति और विरासत के बारे में जानने का मौका भी मिलता है। पिछले कुछ वर्षों में उपन्यासों ने पुनः युवाओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
हर पाठक की अपनी पसंद होती है। किसी को प्रेम-प्रसंग पर लिखे उपन्यास पसंद आते हैं, तो किसी को सस्पेंस थ्रिलर। कोई सामाजिक विषयों पर आधारित उपन्यास पढ़ना चाहता है तो कोई ऐतिहासिक विषयों पर आधारित। कई बार ऐसा होता है कि अपनी पसंद के अनुसार उपन्यास का चयन ना कर पाने के कारण पाठक को बोरियत होने लगती है और फिर वो और किसी उपन्यास को भी उतने रुचिकर ढंग से नहीं पढ़ पाता।
इसलिए आज हम चुनकर लाए हैं आपके लिए टॉप-5 हिंदी उपन्यास,जिन्हें पढ़कर हिंदी साहित्य में आपकी रूचि और अधिक बढ़ जाएगी -
1. गुनाहों का देवता
1949 में हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक धर्मवीर भारती द्वारा रचित यह प्रेमगाथा युवाओं की पहली पसंद है। इसकी कहानी ब्रिटिश शासन काल के इलाहबाद में सेट की गई है। कहानी 4 किरदारों ( सुधा,चन्दर,विनती और पम्मी) के इर्द-गिर्द बुनी गई है। चन्दर सुधा के पिता यानि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के प्रिय छात्रों में से है और प्रोफेसर भी उसे पुत्र तुल्य मानते हैं। इसी कारण चन्दर का सुधा के यहां बिना किसी रोकटोक के आना-जाना लगा रहता है। धीरे-धीरे सुधा कब दिल दे बैठती है, यह दोनों को पता नहीं चलता। लेकिन यह कोई सामान्य प्रेम नहीं था। यह भक्ति पर आधारित प्रेम था। चन्दर सुधा का देवता था और सुधा ने हमेशा एक भक्त की तरह ही उसे सम्मान दिया था। चन्दर सुधा से अपने मन की बात कभी नहीं कह पाता। उसी बीच विनती को चन्दर और चन्दर को पम्मी के प्रति आकर्षण होता है। प्रेम को लेकर चंदर का द्वंद्व उपन्यास के ज्यादातर हिस्से में बना रहता है। आलौकिक दृश्य वर्णन और पात्रों के अद्भुत चरित्र चित्रण की वजह से यह हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में गिना जाता है।
2. तमस
भीष्म साहनी द्वारा 1973 में प्रकाशित हुआ यह उपन्यास उन युवाओं को ज्यादा आकर्षित करेगा, जिन्हें ऐतिहासिक और वास्तविक घटनाओं के बारे में पढ़ने में रूचि हो। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की पृष्टभूमि पर रचित यह उपन्यास का चित्र वर्णन ऐसा है कि पाठक स्वयं को कहानी के किसी किरदार के रूप में पाएगा। भीष्म साहनी ने आजादी से पहले हुए साम्प्रदायिक दंगों को आधार बनाकर इस समस्या का सूक्ष्म विश्लेषण किया है। इसके संवाद और नाटकीय तत्व प्रभावकारी हैं। भाषा हिन्दी, उर्दू, पंजाबी एवं अंग्रेजी के मिश्रित रूप वाली है। इस उपन्यास में एक गीत का उल्लेख भी किया गया है जो उपन्यास की समाप्ति के बाद भी पाठकों में मन में जस का तस बना रहता है। गीत की पंक्तियां कुछ इस प्रकार है -
"रिहा सैयाद के हाथों से पाना आशियां होगा ,
फिर अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमां होगा।"
3. निर्मला
'निर्मला' 1927 में प्रकाशित उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित वह कालजयी उपन्यास है, जिसे हिंदी साहित्य में सबसे ज्यादा प्रभावशाली उपन्यासों की सूचि में गिना जाता है। उपन्यास का लक्ष्य अनमेल-विवाह तथा दहेज़ प्रथा के बुरे प्रभाव को अंकित करता है। इस उपन्यास की कहानी निर्मला पर आधारित है, जिसे अपने पिता की उम्र के एक विधुर से शादी करने के लिए मजबूर किया गया था। निर्मला के माध्यम से भारत की मध्यवर्गीय युवतियों की दयनीय हालत का चित्रण हुआ है। उपन्यास के अंत में निर्मला की मृत्यृ इस कुत्सित सामाजिक प्रथा को मिटा डालने के लिए एक भारी चुनौती है। केवल 200 पन्नों के भीतर लिखा यह लघु उपन्यास कई पाठकों की पसंद है। इसके संवाद झकझोर कर रख देने वाले हैं और भाषा सरल होते हुए भी बेहद प्रभावशाली है।
4. गाइड
'गाइड' अंग्रेजी के प्रसिद्ध भारतीय उपन्यासकार आर.के नारायण का लिखा सबसे ज्यादा लोकप्रिय उपन्यास है, जिसे भारत के साथ साथ दुनिया के अन्य देशों में भी काफी प्रशंसा मिली है और 1960 में सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी दिया गया। उनकी अधिकतर रचनाओं की तरह गाइड भी मालगुडी पर आधारित है। मालगुडी एक काल्पनिक स्थान है। इस उपन्यास में राजू नामक एक सामान्य पथप्रदर्शक (टूर गाइड) के आध्यात्मिक गुरु बनने की कहानी है। यह पढ़कर आप समझ ही गए होंगे की यह उपन्यास कितने सारे सस्पेंस और उधेड़बुन से भरा हुआ है। लेखक द्वारा हर पात्र का चरित्या चित्रण बड़े ही रोचक ढंग से किया गया है। इस उपन्यास में कॉमेडी, रोमांस के साथ साथ मानव जीवन के कई मर्म निहित है। आज के शब्दों में कहा जाए तो 'गाइड' एक ब्लॉकबस्टर उपन्यास है। इस उपन्यास पर 1965 में एक फिल्म भी बनी थी जिसका निर्देशन विजय आनंद ने किया था।इस फिल्म में राजू गाइड का किरदार प्रसिद्ध अभिनेता देवानंद ने निभाया था।
5. राग दरबारी
रागदरबारी विख्यात हिन्दी साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की प्रसिद्ध व्यंग्य रचना है जिसके लिए उन्हें सन् 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह ऐसा उपन्यास है जो गांव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से वर्णन करता है। इसमें श्रीलाल शुक्ल जी ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन के मूल्यों के लोप को परत-दर-परत उघाड़ कर रख दिया है। शुरू से अंत तक इस उपन्यास का फ्लो बरकरार रहता है। विस्तृत रूप में लिखी जाने के बावजूद भी कहानी पाठक को क्षण भर के लिए भी उबाऊ प्रतीत नहीं होती। आज के युग में सामाजिक स्थितियों पर व्यंग्य कसने वाले उपन्यास बहुत काम लिखे जाते हैं, ऐसे में 'राग दरबारी' पाठकों को हिंदी साहित्य की एक बिल्कुल अनोखी विधा से रूबरू करवाता है। 1986 में एक दूरदर्शन-धारावाहिक के रूप में यह प्रसारित हुआ जिसे लाखों दर्शकों की सराहना प्राप्त हुई।