वामा साहित्य मंच ने बात की देश की प्रमुख नदियों पर.....उनके संरक्षण पर...उनके पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व पर..ऑनलाइन सम्पन्न इस आयोजन में जब 25 के करीब नदियों की धारा बही तो हर कोई उसमें भीग कर आनंदित और संकल्पित हो उठा....
इंदौर के सख्त लॉकडाउन का पालन करते हुए वामा की सखियाँ मिली गूगल मीट पर।
सदस्यों ने देश भर की 25 नदियां सूचीबद्ध की और प्रत्येक सदस्य ने एक नदी का चयन कर उसके पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हुए उस पर अपनी एकल रचना प्रस्तुत की...किसी ने कविता के माध्यम से,किसी ने लघुकथा के द्वारा,किसी ने कहानी से तो किसी ने लेख,संस्मरण,पत्र,अनुभव,आत्मकथ्य या ललित निबंध के जरिए अपनी बात अभिव्यक्त की....
इस तरह वामा साहित्य का मंच जीवंत हुआ भारत की प्राण धारा नदियों से। भारत की नदियाँ इस देश की प्राचीन सभ्यताओं का एक महत्वपूर्ण अंग है.... नदियाँ हमारे देश के लगभग सभी धार्मिक स्थलों को जीवन देने वाली है...
सदस्यों ने हर नदी का उद्गम स्थल,लंबाई, मार्ग,मुहाना आदि तथ्यात्मक जानकारी अत्यंत खूबसूरती से बुनी और विविध विधाओं से नदी का चित्रण किया। आरंभ में सरस्वती वंदना की जगह नदियों पर वंदना प्रस्तुत की निकिता गौर ने।
वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष अमर खनूजा चड्डा ने स्वागत उद्बोधन दिया ....
संचालन स्मृति आदित्य ने किया। सचिव इंदु पाराशर ने अगले कार्यक्रम की सूचना दी। कोलाज बनाया निकिता ने। इस ऑनलाइन आयोजन में तकनीकी सहयोग दिया प्रतिभा जैन ने। आभार माना डॉ.दीपा मनीष व्यास ने.....
पर्यावरण दिवस पर सभी ने प्रकृति के 5 तत्वों का अपने-अपने स्तर पर संरक्षण का संकल्प लिया....नदियों को प्रदूषण से बचाने का शुभ संकल्प लिया...