इंदौर। कई पेचानियो कि नी पेचानियो?? यह हंसती-मुस्कुराती बात इंदौर शहर की जानी मानी शख्सियत प्रतीक्षा नैयर की है। मालवी भाभी के नाम से मशहूर प्रतीक्षा जी के लाखों प्रशंसक हैं और वे अपनी अनूठी इंदौरी अदा के साथ मीठी मालवी बोलकर सबको अपना बना लेती हैं. वामा साहित्य मंच के रंगोत्सव आयोजन में स्वच्छ इंदौर की ब्रांड एम्बेसेडर मालवी भाभी ने खूब ठहाके लगवाए और महफिल में चार चांद लगा दिए।
रंगोत्सव में न सिर्फ वामा सखियों ने हास्य-व्यंग्य की सुरीली सजीली प्रस्तुति दी बल्कि ''स्त्री और रंग'' शीर्षक से एक आकर्षक किताब का विमोचन भी हुआ। इस पुस्तक में सभी वामा सदस्यों ने रंग और स्त्री के सुंदर संबंध पर मनभावन कविताएं रची हैं। पुस्तक की संपादक मंच की उपाध्यक्ष ज्योति जैन हैं और इसे शिवना प्रकाशन ने प्रकाशित किया है.
वामा सदस्यों ने अपनी रंगारंग प्रस्तुति से दिल जीत लिया। आशा मानधन्या की कथा का सार था जीवनसाथी के जाने के बाद रंगहीन होली को कैसे बच्चे के साथ रंगीन बनाती है नायिका। आशा मुंशी ने गीत गाया- होली खेले रे देवरिया मत खींचो पल्लो...होली खेले रे...। उषा गुप्ता की रचना ससुराल की पहली होली पर थी जबकि अवंति श्रीवास्तव ने ओम इग्नोराय नम: एड्जस्टम सर्वत्र पढ़कर सबको गुदगुदाया।
विभा जैन ने प्रीत के रंग में भौजाई शीर्षक से कविता सुनाई... सुषमा शर्मा श्रुति ने छंद गीत गाया, अनिता जोशी ने रंग बिरंगी कविता गुनगुनाई, सरला मेहता के हास्य गीत ने सबको लोटपोट कर दिया, स्मिता नायर, अंजना सक्सेना नीरजा जैन ने होली के मजेदार संस्मरण सुनाए। पुष्पा दसौंधी, माधुरी निगम, पूर्णिमा भारद्वाज ने भी सुंदर प्रस्तुति दी। रश्मि चौधरी ने बुंदेली मिमिक्री से सबको ठहाका लगाने को मजबूर कर दिया।
आरंभ में स्वागत उद्बोधन अध्यक्ष इंदु पाराशर ने दिया. सरस्वती वंदना वाणी अमित जोशी ने प्रस्तुत की। ज्योति जैन ने स्त्री और रंग पुस्तक की रचना प्रक्रिया और उद्देश्य को स्पष्ट किया। आभार सचिव डॉ. शोभा प्रजापति ने माना। स्मृति चिन्ह व स्वागत डॉ प्रेम कुमारी नाहटा ने किया। आयोजन का सफल संचालन रुपाली पाटनी ने किया।