‘रिसरेक्शन’ रशियन उपन्यासकार लियो टॉलस्टॉय का आखिरी उपन्यास था। इसमें वे मनुष्य के बारे में लिखते हैं- एक बहुत ही आम मान्यता है कि प्रत्येक व्यक्ति में एक खास गुण होता है। जैसे कोई दयालु होता है, कोई दुष्ट होता है, कोई समझदार होता है तो कोई नासमझ, कोई जोशीला होता है तो कोई आलसी। लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि यह आदमी दयालु और समझदार है और दूसरा दुष्ट और नासमझ। फिर भी हम मनुष्य जाति की अलग-अलग श्रेणियां बनाते हैं।
दरअसल, लोग नदियों की तरह होते हैं। सभी नदियों में पानी एक जैसा होता है, लेकिन हर नदी कहीं चौड़ी होती है तो कहीं संकरी, कहीं तेज बहती है, कहीं धीरे। उसका पानी कहीं मटमैला, कहीं निर्मल, कहीं शीतल तो कहीं उष्ण होता है। मनुष्य के बारे में ऐसा ही है। प्रत्येक आदमी में हर तरह के मानवीय गुणों के बीज होते हैं। कभी एक गुण प्रकट होता है और कभी दूसरा गुण और बहुत बार वह आदमी स्वयं से बिलकुल भिन्न हो जाता है। हालांकि वह वही आदमी बना रहता है।
कुछ लोगों में ये बदलाव अतिशय होते हैं और कुछ में बदलाव होने की वजह जितनी शारीरिक होती है उतनी आध्यात्मिक भी थी।