हिन्दी कविता : राजा दशरथ के घर बाजे शहनाई रे

राकेशधर द्विवेदी
राजा दशरथ के घर बाजे शहनाई रे
गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाऊं
 
सब मिल के गावे बधाई रे
गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाऊं
 
जनक दुलारी अयोध्या आई
फूल हंसे कलियां मुस्काई
मंगल गीत गाए कौशल्या माई रे
गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाऊं
 
राजा दशरथ के घर बाजे शहनाई रे
गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाऊं
 
कनक भवन में सजी दिवाली
सारी नारी मिल के गावे गारी
अयोध्यावासी बांटत हैं मिठाई रे
गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाऊं
 
राजा दशरथ के घर बाजे शहनाई रे
गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाऊं।
 

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