Rakhi bandhne ka shubh muhurat 2023: आजकल मुहूर्त के बड़ा चक्कर हो चला है। कभी भद्रा तो कभी उदयातिथि के चलते हमेशा भ्रम की स्थिति बनी रहती है कि कब त्योहार मनाएं? 30 अगस्त को या 31 तारीख को रखी मनाए या नहीं मनाएं? 30 को रक्षा बंधन मनाए तो फिर कौनसे शुभ मुहूर्त में मनाए? बताया जा रहा है कि 30 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त रात 9 बजकर 01 मिनट से लेकर 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है। ऐसे में मन में अब यह सवाल उठने लगता है कि क्या जरूरी है मुहूर्त देखकर ही भाई को राखी बांधी जाए?
बहुत से लोग तर्क देते हैं कि जब जन्म मुहूर्त देखकर नहीं हुआ और मृत्यु भी मुहूर्त देखकर नहीं होगी तो जीवन के बीच में यह मुहूर्त का प्रपंच क्यों? क्या मुहूर्त के नाम पर हमारे त्योहार को छोटा करके भ्रमित नहीं कर दिया गया है? मुहूर्त देखकर राखी बांधने से अब तक कौनसा बड़ा फर्क पड़ गया और नहीं देखकर राखी बांधने से कौनसा बड़ा नुकसान हो जाएगा?
पहले त्योहार पूरे दिन का होता था। यानी पूरे दिन खुशियां मनाओ और कभी भी राखी बांध लो। अपना मन करने जब सुविधा अनुसार बांधों। लेकिन आजकल दो दो तिथियों और भद्राओं ने त्योहार मात्र 1 से 2 घंटे का कर दिया है। डर इतना की कहीं कुछ अशुभ न हो जाए। भाई बहन के प्यार के आगे मुहूर्त अब दीवार बनकर खड़ा हो गया है।
कई बार ऐसा होता है कि भाई दूर से आया या बहन दूर से आई है और उसे पुन: लौटना है लेकिन मुहूर्त के चक्कर में सभी घन चक्कर हो रहे हैं। ऐसे में कई बहनें अपने भाई को राखी नहीं बांध पाती है क्योंकि सभी अपने अपने कार्य और जीवन में इतने व्यस्त हैं कि जैसे तैसे समय निकालकर आते हैं तो मुहूर्त आड़े आ जाता है।
अब यह देख लोग 30 तारीख को बहन आई है और उसे यदि शाम की ट्रेन से ही लौटना हो तो वहीं नहीं लौट पाएगा क्योंकि मुहूर्त तो पंडितजी रात्रि में 9 बजे बाद का बता रहे हैं क्योंकि 9 बजे तक तो भद्रा रहेगी। ऐसे में अब क्या करें? यह मुहूर्त वाले यह नहीं समझते हैं कि धरती गोल है और मुहूर्त सिर्फ भारत पर ही लागू क्यों होता है?
मुहूर्त चिंतामणी के अनुसार कहा गया है कि जब सभी के मन खुश हो और सभी किसी कार्य को करने के लिए एकमत हो तो तभी उसी समय शुभ मुहूर्त होता है। हर दिन और रात को शुभ, लाभ और अमृत का चौघड़िया रहता है। ऐसे में जरूरी नहीं है मुहूर्त देखने की चौघड़िया देखकर भी शुभ कार्य किया जा सकता है।