कौन हैं ईरान के आका अयातुल्ला खामनेई, गांधी के प्रशंसक, कुश्ती और क्लासिकल म्यूजिक के शौकीन

WD Feature Desk

गुरुवार, 19 जून 2025 (13:10 IST)
ayatollah ali khamenei biography in hindi:  ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनका प्रभाव देश की राजनीति, सुरक्षा और विदेश नीति पर गहरा है। हाल ही में ईरान इजराइल युद्ध में उनकी सशक्त भूमिका पूरी दुनिया देख रही है। एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने ईरान की सत्ता के शीर्ष पर अपनी जगह बनाई। भले ही वे पर्दे के पीछे रहते हों, लेकिन ईरान के हर बड़े फैसले में उनकी अंतिम मुहर होती है। आइए, जानते हैं ईरान इस रिजूकदार नेता के बारे में कुछ खास बातें।

प्रारंभिक जीवन और सत्ता का सफर
अयातुल्ला खामनेई का जन्म 1939 में पूर्वी ईरान के पवित्र शहर मशहद में एक धार्मिक परिवार में हुआ था। उनका बचपन शाह पहलवी के शासनकाल में बीता, जिसमें उन्हें कई बार कैद भी किया गया। वे अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी के करीबी सहयोगी बन गए, जिन्होंने 1979 की इस्लामी क्रांति का नेतृत्व किया और इस्लामी गणराज्य ईरान की स्थापना की। खुमैनी की मृत्यु के बाद, 1989 में खामनेई को ईरान का सर्वोच्च नेता बना दिया गया। तब से उन्होंने देश की राजनीतिक, सैन्य और सुरक्षा व्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत की है और किसी भी तरह की असहमति को सख्ती से कुचला है। 1980 के दशक के अधिकांश समय तक वह राष्ट्रपति रहे।

ईरान सरकार के आका : गुप्त जगहों को बनाते हैं अपना ठिकाना
सूत्रों के अनुसार, अयातुल्ला खामनेई गुप्त ठिकानों पर रहते हैं और उनकी निजी सुरक्षा एक विशिष्ट रिवोल्यूशनरी गार्ड इकाई द्वारा की जाती है जो सीधे उनके कार्यालय को रिपोर्ट करती है। ईरान के सर्वोच्च नेता के रूप में, वे सरकार की अन्य सभी शाखाओं से ऊपर हैं। न्यायपालिका से लेकर राज्य मीडिया और प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों की नियुक्ति में उनका निर्णय अंतिम और सर्वमान्य होता है। इरान के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के मामले में भी अंतिम अधिकार उनके पास सुरक्षित होता है।

प्रॉक्सी वार के पीछे का खुफिया दिमाग
अयातुल्ला खामनेई इन प्रॉक्सी वार के असली रणनीतिकार माने जाते हैं। इतना ही नहीं वे ईरान सैन्य की और विदेश नीति में भी अपना मजबूत नियंत्रण सुनिश्चित करते हैं। मध्य पूर्व में ईरान के विदेशी अभियानों का निर्देशन ककरने वाली रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर और कुद्स फोर्स भी उन्हीं की देख रेख में काम करती है। हेजबुल्ला, हमास, हूथी और सीरियाई विद्रोहियों जैसे ईरान-पोषित प्रॉक्सी समूहों के अस्तिव के पीछे उन्हीं का दिमाग कहा जाता है।
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शांत और धार्मिक, उतने ही कुशल राजनीतिज्ञ
ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफ़संजानी ने अपनी डायरियों में उन्हें "चतुर, अवसरवादी, और सत्ता की मजबूती को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाला नेता" बताया था। पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी ने उन्हें धार्मिक रूप से कमज़ोर लेकिन राजनीतिक रूप से बेहद तेज़ दिमाग वाला इंसान कहा। वे जटिल परिस्थितियों को तेजी से समझने और अपनी स्थिति तय करने में माहिर माने जाते हैं। खामनेई की सबसे बड़ी खूबी उनकी राजनीतिक दूरदृष्टि और चालाक रणनीतिक सोच है।

साहित्य, संगीत और कुश्ती के शौकीन
आश्चर्यजनक रूप से, खामनेई को रूसी साहित्य और विशेष रूप से दोस्तोवस्की और टॉलस्टॉय का प्रशंसक माना जाता है। उन्हें पुराने ईरानी क्लासिकल संगीत से भी गहरा लगाव है, और वे भारतीय शास्त्रीय संगीत को भी पसंद करते हैं। एक बार  उन्होंने कहा था, “भारतीय रागदारी संगीत में आत्मा को छू लेने वाली ताक़त है।”
बचपन से ही उन्हें कुश्ती का बहुत शौक रहा है और वे आज भी ईरानी कुश्ती के मुकाबलों में दिलचस्पी रखते हैं। 1990 के दशक में उन्होंने एक बयान में कहा था कि “कुश्ती ईरानी मर्दानगी का प्रतीक है।”

महात्मा गांधी के प्रशंसक हैं अयातुल्ला खामनेई
एक और दिलचस्प बात यह है कि अयातुल्ला खामनेई महात्मा गांधी के भी प्रशंसक हैं। उन्होंने गांधीजी के नैतिक नेतृत्व, सत्याग्रह और राजनीतिक नैतिकता को काफी सम्मान दिया है। 1980 के दशक में, जब वे राष्ट्रपति थे, तो एक इंटरव्यू में खामनेई ने कहा था, “महात्मा गांधी ने दिखाया कि कैसे नैतिक नेतृत्व, जनता का विश्वास और विरोध के शांतिपूर्ण तरीके से भी औपनिवेशिक शक्तियों को पराजित किया जा सकता है। हम उनके उस संघर्ष से प्रेरणा ले सकते हैं, हालांकि हमारी परिस्थिति भिन्न है।” वे गांधीजी के अहिंसा सिद्धांत को इस्लामी क्रांति के सैद्धांतिक संदर्भ में एक उपयोगी राजनीतिक औजार मानते थे। एक बार उन्होंने गांधी को “राजनीतिक नैतिकता का प्रतीक” कहा था। ईरान में एक सेमिनार में उन्होंने कहा, “भारत ने गांधी जैसे नेताओं के ज़रिए ये दिखाया कि बिना हथियार उठाए भी सत्ता और ताकत को झुकाया जा सकता है।”
 


 

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