खुखरी से अपना जख्‍मी पैर काटकर वहीं जमीन में गाड़ दिया, ऐसी है लीजेंड्री वार हीरो मेजर कार्डोजो की कहानी

अभि‍नेता अक्षय कुमार ने दशहरे के मौके पर अपनी नई फिल्म का एलान किया है, इस फिल्म का नाम है 'गोरखा'। खास बात यह है कि यह फि‍ल्‍म भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट (5वीं गोरखा राइफल्स) के मेजर जनरल इयान कार्डोजो की जिंदगी पर आधारित है।

मेजर जनरल इयान कार्डोजो एक ऐसे आर्मी मेन थे, जिनकी बहादुरी की कहानी सुनकर शरीर का रोआं-रोआं खड़ा हो जाएगा। मेजर जनरल इयान कार्डोजो ने 1962, 1965 के युद्धों में और खासतौर से 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लड़ाई लड़ी थी। तीन-तीन युद्ध लडने वाले मेजर जनरल इयान कार्डोजो ने बांग्लादेश के सिलहट की लड़ाई में पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी थी।

साल 1971 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ते हुए उनका एक पैर लैंडमाइन ब्लास्ट में बुरी तरह जख्मी होकर लहूलुहान हो गया था। वहां इलाज की तो कोई व्‍यवस्‍था थी नहीं, ऐसे में उन्‍होंने खुखरी ‘धारदार हथि‍यार’ से अपना पैर काटकर अपने शरीर से अलग कर दिया।
 
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था-
सरेंडर करने के बाद भी बीएसएफ के एक प्लाटून कमांडर को शक था कि खतरा अभी बरकरार है। इसी दौरान बारूदी सुरंग में ब्लास्ट हुआ और मेरा एक पैर उड़ गया। मेरे साथी मुझे उठाकर पलटन में ले गए। मॉरफिन और कोई दर्द निवारक दवा नहीं मिली। मैंने अपने गुरखा साथी से बोला कि खुखरी लाकर पैर काट दो, लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुआ। फिर मैंने खुखरी मांगकर ख़ुद अपना पैर काट लिया। हमने उस कटे पैर को वहीं जमीन में गाड़ दिया था।

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जब इस घटना का जिक्र सुना तो देशभर में लोगों को स्वतंत्रता संग्राम का वह दौर याद आ गया, जब स्वतंत्रता सेनानी वीर कुंवर सिंह ने गोली लगे अपने हाथों को खुद ही से काटकर अलग कर दिया और गंगा नदी में प्रावहि‍त कर दिया था।
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नहीं लूंगा पाकिस्तानी खून
खुखरी से अपना ही पैर काटकर मेजर जनरल इयान कार्डोजो इतिहास में अमर हो गए। इसके बाद खून बहुत ज्‍यादा बह चुका था। आलम यह था कि उन्‍हें खून की जरूरत पड़ी। लेकिन उन्‍होंने कहा, चाहे जो भी हो जाए वे पाकिस्‍तानी खून नहीं लेंगे और न ही पाकिस्‍तानी डॉक्‍टर से इलाज करवाएंगे। हालांकि उन्‍हें शि‍फ्ट करने के लिए कोई हेलिकॉप्‍टर नहीं था और जान बचाने के लिए किसी तरह उनकी इच्‍छा के विरुद्ध उनका ऑपरेशन किया गया। पाकिस्तानी डॉक्टर मेजर मोहम्मद बशीर ने उनका ऑपरेशन किया। बाद में इयान कार्डोजो पाकिस्‍तानी डॉक्‍टर को थैंक्‍यू कहना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

उन्‍हें कारतूस साहब कहते थे लोग
आगे चलकर वे पहले ऐसे अधिकारी बने जिनकी टांग नहीं थी, बावजूद इसके उन्होंने ब्रिगेड का नेतृत्व किया। तत्कालीन चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल तपीश्वर नारायण रैना ने उन्हें ब्रिगेड को लीड करने की इजाजत दी। मेजर जनरल इयान कार्डोजो को बटालियन में लोग कारतूस साहब कहकर पुकारते थे, क्‍योंकि ज्‍यादातर लोग उनके नाम का उच्‍चारण नहीं कर पाते थे।
 
पाक युद्ध में बहादुरी के लिए उनको सेना मेडल नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्हें अति सेवा विशिष्ट सेवा मेडल भी दिया गया है। इयान कार्डोजो ने 2005 से 2011 तक भारतीय पुनर्वास परिषद के अध्यक्ष भी रहे।

अक्षय कुमार ने हाल ही में ‘गोरखा’ फि‍ल्‍म की घोषणा की है, इसकी कहानी खासतौर से जनरल इयान कार्डोजो की जिंदगी पर आधारित है। इसके साथ ही इसमें गोरखा रेजिमेंट की बहादुरी दिखाई गई है।

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