इंदौर। 'हमसाज' के दूसरे दिन 'धर्म और मानवाधिकार' विषय पर अपने विचार रखते हुए किन्नर महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा कि ब्राह्मण बहुत खतरनाक होता है। किन्नर समाज का इस्लाम ने भी काफी शोषण किया है।
त्रिपाठी ने कहा कि हमने धर्म को पुरुष प्रधान बना दिया, यहीं से सब समस्याओं की शुरुआत हुई। हकीकत में नारी में जितना पुरुषार्थ है, उतना नर में नहीं है। अपने-अपने तरीके से सभी धर्म को थोप रहे हैं, यही मानवाधिकार का सबसे बड़ा हनन है।
ब्राह्मणों को खतरनाक बताते हुए लक्ष्मी ने कहा कि मैं भी ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई, लेकिन मुझे सबसे ज्यादा कटाक्ष इसी परिवार से सहने पड़े। इस्लाम में भी हमारा शोषण हुआ, हिन्दू धर्म में भी हमारे लिए कोई खड़ा नहीं होता, लेकिन मेरे लिए भारत का संविधान सर्वोपरि है।
उन्होंने कहा कि मैं हिन्दू और मुसलमान बाद में हूं, पहले मातृभूमि के प्रति मेरा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि धर्म के ठेकेदार यूं ही बिकते रहे तो विनाश निश्चित है। मेरी आत्मा लैंगिकता से परे हैं। हम न पुरुष हैं न ही महिला, हम आत्मा हैं और परमात्मा में विलीन हो जाएंगे।
मोहब्बत से जुड़े एक सवाल पर किन्नर महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा कि मोहब्बत ही मजहब है। पीर फकीरों के दर पर सभी सजदा करते हैं, जबकि सत्ता की भूख के चलते समाज में कटुता बढ़ गई है। त्रिपाठी ने कहा कि भारत के टुकड़े नहीं होते तो आज देश में हिन्दू और मुसलमान की बात भी नहीं होती। यदि हम मोहब्बत करना शुरू कर देंगे तो सारे झगड़े ही खत्म हो जाएंगे।
उन्होंने किन्नर समुदाय की बात करते हुए कहा कि हमें प्यार देकर देखिए, हम निभाना भी जानते हैं। गीता, कुरान, बाइबल आदि धर्मग्रंथों के सार से एक नई किताब तैयार करने की बात पर त्रिपाठी ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो एक और दुकान खुल जाएगी। ज्यादा अच्छा है कि हम पुराना कचरा साफ करें। उन्होंने कहा कि समय के साथ धर्म का दृष्टिकोण भी बदल रहा है। त्रेता में राम ने आदिवासी शबरी के झूठे बेर खाए थे, लेकिन आज धर्म जात-पांत में बंटकर रह गया है।
किन्नर त्रिपाठी ने कहा कि आज के दौर में नारियों के वस्त्र हरण कर बलात्कार किए जा रहे हैं, फिर भी हम खुद को सभ्य समाज कहते हैं। मुस्लिम समुदाय से उन्होंने कहा कि यदि मुसलमान हुजूर (मोहम्मद पैगंबर) का एक प्रतिशत भी अपने जीवन में उतार लें तो सारे तमाशे बंद हो जाएंगे। त्रिपाठी ने कहा कि यदि समाज को आगे ले जाना है तो महिलाओं को उनका धार्मिक वजूद देना होगा।
जहालत सबसे बड़ी बीमारी : मौलाना गुलाम मोहम्मद वस्तानवी ने कहा कि कोई भी समाज तालीम के बिना आगे नहीं आ सकता। क्योंकि जहालत सबसे बड़ी बीमारी है। इसी बीमारी की दवा तालीम है। मुल्क में लूटपाट भी वही लोग करते हैं, जिनमें तालीम की कमी होती है।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज देश में शिक्षा के मामले में सबसे पिछडा है। मुस्लिम समाज को ही इसका समाधान ढूंढना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। कोई भी व्यक्ति यहां कलेक्टर और कमिश्नर बन सकता है। जामिया इस्लामिया इशतुल उलूम के डायरेक्टर वस्तानवी ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने करीबी और पड़ोसियों को शिक्षा से जोड़ना चाहिए। क्योंकि किसी भी समाज में तालीम के बिना तब्दीली नहीं आती।
कुरान की नहीं मानते : प्रो. अख्तर उल वासे मुस्लिम समाज पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुसलमान कुरान को तो मानते हैं, लेकिन कुरान की नहीं मानते। मदरसोंके बारे में प्रो. वासे ने कहा यहां गरीबों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। दुर्भाग्य से मुस्लिम इलाकों में थाने तो खोले गए, लेकिन स्कूल नहीं खोले गए। उन्होंने कहा मूसा, इब्राहिम और ईसा को पैगंबर नहीं मानते वाला मुसलमान हो ही नहीं सकता।
कश्मीरी आतंकवाद के मुद्दे पर प्रो. वासे ने कहा कि यहां आतंकवाद में स्थानीय मुसलमान शामिल नहीं है। सभी आतंकवादी बाहरी हैं। आतंकवाद मानवता से पहले इस्लाम और मुसलमानों का दुश्मन है। हम किसी भी कीमत पर देश का विभाजन नहीं होने देंगे।