श्री वैष्णव इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट के बीसीए पाठ्यक्रम के 35 छात्रों का एक समूह अपने अध्यापकों के साथ जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर पहुंचा। यहाँ उनके आने का मकसद सस्टेनेबल डेवलपमेंट (लंबे समय तक टिकने वाला विकास) की तरफ अपनी भूमिका जानना था।
इन छात्रों और उनके अध्यापकों का स्वागत सेंटर की डायरेक्टर जनक पलटा मगिलिगन ने गर्मजोशी के साथ किया। उन्होंने सभी छात्रसमूह को सेंटर घुमाया। छात्रों ने कहा उन्होंने पहली बार जीवन में इस तरह की कोई जगह देखी है। बायोडायवर्सिटी फॉर्म, इकोफ्रेंडली आर्किटेक्चर, किसी मकान में सारा दिन रोशनी और ताजी हवा रहने की इंजीनियिंग, किसी तरह की गन्दगी न होना, यहां का जीवन, प्राकृतिक चीजों का अधिक से अधिक उपयोग, पक्षियों की चहचाहट, गायों के परिवार, हर एक प्राणी का एकदूसरे के साथ प्रेम से रहना छात्रों के लिए अलग ही सुखद अनुभव रहा।
छात्र उस समय आश्चर्य से भर गए जब उन्होंने एक इस्तेमाल किए हुए न्यूजपेपर को सोलर कुकर के फोकल पॉइंट से आग पकड़ते देखा। कुकर की सीटी और 20 मिनिट में सब्जियों का पाक जाना, सोलर कुकर में मिट्टी की हांडी का इस्तेमाल, सेबफल का ड्रायफ्रूट बनाना, सोलर एनर्जी से ग्रीन टी की पत्तियां सूखना और नींबू के छिलकों से बर्तन धोने का सामान बनाने की कला से छात्र अभिभूत हो उठे।
एक पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन से जनक दीदी ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट से जुड़े संकल्प और भारत द्वारा 2030 तक अपनी भूमिका को लेकर सोच सभी कुछ छात्रों के साथ साझा किया। इसके अलावा जनक दीदी ने छात्रों को यह भी बताया कि वह कैसे सस्टेनेबल डेवलपमेंट के अपने मकसद को पूरा करने के लिए जीवन जीती हैं। उनका लोगों और निर्जीव चीजों के प्रति कैसा रूख है। उनके समाज के प्रति कैसी जिम्मेदारियां हैं जिन्हे वे इसलिए निभा पा रहे हैं क्योंकि उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति जिम्मी मगिलिगन से शादी की जिसने अपना सारा जीवन इसी में खपा दिया। अपना देश यूके छोड़कर जो यहाँ आकर बस गया ताकि लोगों की सेवा के साथ साथ सस्टेनेबल डेवलेपमेंट का मकसद पूरा किया जा सके।
सभी छात्र यहाँ आकर बेहद खुश नजर आए। छात्रों ने नए साल में सकल्प लिया कि वे प्लास्टिक रहित, पानी बर्बाद न करना, व्हाट्स एप पर वक्त बर्बाद न करने के साथ पेड़ लगाने और पेड़ बचाने के उद्देश्य के साथ जीवन जिएंगे।