खबरों के अनुसार, बर्फ के इस टूटे हुए विशाल पहाड़ का साइज 1200 वर्ग किलोमीटर है। अगर इसे तुलनात्मक रूप से देखें तो ये राजधानी दिल्ली से थोड़ा ही छोटा है।सैटेलाइट तस्वीरों में दिखा कि 15 मार्च को ये पूरी तरह टूटकर अलग हो गया।
आइस शेल्फ बर्फ की ऐसी तैरती हुई चट्टानें होती हैं, जो बर्फ के पहाड़ों को समुद्र में जाने से रोकने में अहम भूमिका निभाती हैं। गौरतलब है कि पूर्वी अंटार्कटिका में पिछले कुछ समय से गर्मी में तेजी से इजाफा हो रहा है।
अंटार्कटिका में गर्मी का मौसम खत्म होते ही पारा तेजी से गिरने लगता है, लेकिन इस बार यहां काफी गर्मी है। वैज्ञानिक बताते हैं कि धरती का औसत तापमान 19वीं सदी में 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है और इसकी वजह जलवायु परिवर्तन है।