सेशेल्स में भारत के सैनिक अड्डे को लेकर विवाद के पीछे चीन
शुक्रवार, 23 मार्च 2018 (14:20 IST)
विक्टोरिया (सेशेल्स)। सेशेल्स में भारत अपना एक सैन्य अड्डा स्थापित करने की तैयारी कर रहा है, लेकिन इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। स्थानीय लोग भारत की पहल का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि सैन्य अड्डा बनने से सेशेल्स के पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा और इससे भारतीय कामगार बड़ी संख्या में वहां पहुंच जाएंगे। लेकिन इस मामले में भारत का तर्क है कि इसके पीछे चीन की कूटनीतिक सक्रियता है क्योंकि वह हिंद महासागर में भारत का कोई सैनिक अड्डा नहीं बनने देना चाहता है।
इस परियोजना के लिए सेशेल्स की नेशनल असेम्बली को पिछली जनवरी में पुष्टि करनी थी लेकिन यह अब तक नहीं हो सकी है। अब इसे अप्रैल, 2018 तक के लिए टाल दिया गया है। विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मार्च 2015 की सेशेल्स यात्रा के दौरान वहां भारतीय सैन्य अड्डा बनाने का बीस वर्षीय समझौता हुआ था। शुरुआत में विवाद के चलते वहां अड्डे के निर्माण की गति धीमी रही है लेकिन अब इस कदम का मुखर विरोध होने लगा है। जबकि इसी वर्ष जनवरी में सरकार को पता चला था कि इस संधि की नेशनल असेम्बली में अभी तक पुष्टि नहीं की गई है। अब कहा जा रहा है कि इसी वर्ष अप्रैल के माह में सदन की स्वीकृति ले ली जाएगी।
भारत हिंद महासागर में 115 द्वीपों वाले देश सेशेल्स में अपना सैनिक अड्डा बनाने को कीशिशों में जुटा है लेकिन भारत की इस कोशिश का सेशेल्स के राजनीतिक और नागरिक नेतृत्व ने विरोध शुरू दिया है और चीन की शह पर ये ताकतें विवाद को बढ़ावा दे रही हैं। जबकि भारत के लिए यह सैन्य अड्डा सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है और भारत द्वारा वित्त पोषित यह सैन्य बेस दोनों देशों द्वारा साझा किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत ने सेशेल्स के साथ 20 साल का अनुबंध किया है। इसके तहत सेशेल्स में भारतीय सेनाओं के लिए एक हवाई पट्टी और पानी के जहाजों को खड़ा करने के लिए जेटी का निर्माण किया जा रहा है। समाचार है कि हिंद महासागर में ही जिबूती में भी चीन ने अपना सैन्य अड्डा स्थापित कर लिया है और भारत की कोशिशो में अडंगा डाल रहा है। चीन के इस कदम से भारत सतर्क हो गया है। चीन की हरकतों के मद्देनजर भारत ने सेशेल्स में अपना सैन्य बेस तैयार करने का फैसला लिया था।
सेशेल्स सरकार के मुताबिक सैन्य बेस बनने से उसे फायदा होगा। देश के पूर्वोत्तर में 13 लाख वर्ग किलोमीटर तटवर्ती इलाके में आर्थिक क्षेत्र गश्त से अवैध मछली पकड़ने, नशीले पदार्थों की तस्करी और चोरी पर रोक लग सकेगी। सेशेल्स का कहना है कि वह अपनी शर्तों पर भारत को सुविधाएं दे रहा है।
वहां के विदेश राज्यमंत्री बैरी फॉरे के अनुसार 'भारत हमारी निशुल्क मदद कर रहा है। इसके बदले में हम भी उसे कुछ सुविधाएं दे रहे हैं लेकिन वे सभी सुविधाएं पूरी तरह सेशेल्स के नियंत्रण में हैं और उसके कानून के दायरे में रहेंगी। भारत को कुछ भी पट्टे पर नहीं दिया गया है।' उनका कहना है कि भारत से सेशेल्स को उसके 13 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले आर्थिक क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी।
विदित हो कि सरकार के इस बयान के बावजूद सेशेल्स के लोग भारत के सैन्य अड्डे का विरोध कर रहे हैं। वहां के लोग हर सप्ताह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सेशेल्स के लोगों को आशंका है कि भारतीय सैन्य गतिविधियों से वहां के पर्यावरण को हानि होगी। इसके अलावा सेना का बेस बनने से भारत के कामगार सेशेल्स पहुंचने लगेंगे। हालांकि हिंद महासागर में चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत का सेशेल्स में सैन्य अड्डा बनाना महत्वपूर्ण है लेकिन चीन और स्थानीय नेताओं के उकसावे के चलते इसके काम में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई है।
विदित हो कि हिंद महासागर में ही जिबूती में चीन ने भी अपना सैन्य अड्डा स्थापित कर लिया है। चीन ने मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश के बाद भारत के इस प्रोजेक्ट में अडंगे लगाना जारी रखा है। इस परियोजना के 1915 में हस्ताक्षरित होने के बाद वर्ष 2018 में एक और समझौता लाया गया है, जिनमें पहले की बहुत सारी शर्तों को भी बदल दिया गया है जोकि भारत के हित से समझी जाती थीं। समझा जाता है कि चीन की कोशिश है कि भारत यहां से अपना प्रोजेक्ट छोड़ दे ताकि चीन यहां भी चीन की दाल गल सके।