शर्मनाक! 48 साल का पुलिस अधिकारी कर चुका है दर्जनों महिलाओं के साथ बलात्कार

राम यादव
सोमवार, 30 जनवरी 2023 (15:35 IST)
लंदन की महानगर पुलिस में व्याप्त काले कारनामों की खुलती कलई थमने का नाम नहीं ले रही। नया मामला एक ऐसे पुलिस अफ़सर का है, जो पिछले क़रीब दो दशको में दर्जनों महिलाओं की अस्मिता लूट चुका है और अब मुकदमे का सामना कर रहा है।
 
नाम है डेविड कैरिक। आयु है 48 साल। काम था लंदन में संसद एवं राजनयिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना। लेकिन, अभियोजन पक्ष और पुलिस विभाग के अनुसार, डेविड कैरिक यौन दुराचार के 70 से अधिक गंभीर अपराध करने में व्यस्त रहा, जिनमें से 49 को वह पहले ही स्वीकार कर चुका है। जनवरी के मध्य में उसके मुकदमे की पुनः सुनवाई थी। इस बार उसने महिलाओं के साथ मारपीट और बलात्कार के कई मामलों को भी स्वीकार किया। 
 
डेविड कैरिक के अपराधी कारनामों का इतिहास 2003 में शुरू हुआ था और 17 वर्षों तक निर्बाध चलता रहा। उसे अक्टूबर 2021 में गिरफ्तार किया गया। अभियोजक पक्ष का कहना है कि अपने ढंग का यह अब तक का एक सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण मुकदमा है। अपनी 'कामवासना की तृप्ति के लिए महिलाओं के साथ मानसिक एवं यौन शोषण वाले गंभीर अपराध' उसके लिए 'एक सतत अभियान जैसे' बन गए थे।
 
पुलिससेवा में अपने पद का लाभ उठाया : अभियोजक पक्ष के अनुसार, कैरिक ने जिन्हें अपना शिकार बनाया, उनमें से कुछ के साथ उसके निकट संबंध थे। अपने जाल में फंसाने के लिए पहले उसने उन्हें उनके मित्रों और परिवारों से अलग-थलग किया। जिन महिलाओं पर उसने निशाना साधा, उनसे सामाजिक स्तर पर वह मिलता-जुलता था पर उन्हें बहुत अच्छी तरह नहीं जानता था। उन्हें फंसाने और उनका विश्वास पाने के लिए वह पुलिस सेवा में अपने पद का लाभ उठाता था।
 
ब्रिटिश मीडिया का कहना है कि डेविड कैरिक इन महिलाओं को अपनी 'दासियां' बनाने के लिए उनसे अपनी दिनचर्या इस तरह बदलने के लिए कहा करता था कि वे हमेशा उसकी बात मानें और उसकी मुट्‍ठी में रहें। उदाहरण के लिए, उनसे कहता था कि उन्हें कब क्या पहनाना और क्या खाना-पीना चाहिए और कब क्या नहीं। एक महिला ने बताया कि उसे एक बार एक ऐसी आलमारी में बंद कर दिया गया, जो कुत्ते के पिंजरे जितनी ही बड़ी थी।
 
यह गोरखधंधा 2003 से ही चल रहा था : सबसे अजीब बात यह है कि डेविड कैरिक का यह गोरखधंधा 2003 से ही चल रहा था। पर, किसी को न तो कभी उसकी भनक लगी और न किसी महिला ने कहीं कोई शिकायत की। अक्टूबर, 2021 में उसकी गिरफ्तारी इस कारण हो पाई, क्योंकि हेर्टफ़ोर्डशायर काउऩ्टी की एक महिला ने वहां की पुलिस को बतया कि डेविड कैरिक ने उसके साथ बलात्कार किया है। वह महिला भी बात को आगे बढ़ाना और FIR  द्वारा कोई आरोप लगाना नहीं चाहती थी।
 
पुलिस ने इस संज्ञान के आधार पर अपनी तरफ़ से कैरिक को गिरफ्तार कर लिया। उसकी गिरफ्तारी की ख़बर फैलने के बाद 12 और ऐसी महिलाएं सामने आईं, जिनके साथ वह यौन दुराचार कर चुका था। अपने कारनामों का भंडफोड़ हो जाने पर कैरिक ने बलात्कार के 24 मामलों, यौन उत्पीड़न के 9 मामलों और अपने कुछ पुराने झूठे वक्तव्यों को भी स्वीकार किया।
 
पुलिस विभाग बना उपहास का विषय : डेविड कैरिक की गिरफ्तारी एक ऐसे समय में सामने आई, जब देश में क़ानून और व्यवस्था के प्रति ब्रिटिश जनता की आस्था रसातल की तरफ़ जा रही थी। गंभीर अपराधों के कई बड़े-बड़े मामलों ने, 'स्कॉटलैंड यार्ड' के नाम से प्रसिद्ध, लंदन की महानगर पुलिस के प्रति लोगों के गुस्से का पारा बहुत ऊपर चढ़ा दिया था। पुलिस विभाग उपहास का विषय बन गया था।
 
6 महीने ही पहले, मार्च 2021 में, लंदन के एक अन्य पुलिस अधिकारी द्वारा 33 वर्षीय मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव, सारा एवरार्ड के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। लोग इस हत्याकांड की वीभत्स कहानी को अभी भुला भी नहीं पाए थे कि लंदन की पुलिस के मुंह पर कालिख पोतने वाला, इससे भी बड़ा एक नया कांड आ धमका। लंदन की पुलिस ने कैरिक के कारनामों के पीड़ितों से माफ़ी मांगी। कैरिक को ऐसा "एक घोर सीरियल यौन अपराधी" कहा, जिसने महिलाओं को अपने वश में करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।
 
लंदन के पुलिस के कमिश्नर का बयान : लंदन के पुलिस के कमिश्नर मार्क रॉवली ने एक बयान में कहा, "हमने महिलाओं और लड़कियों को नीचा दिखाया है और लंदनवासियों को निराश किया है।" उन्होंने माना कि डेविड कैरिक को एक अधिकारी बनाकर पुलिस विभाग ने अपनी विफलता का ही परिचय दिया है। उनके शब्दों में, "हमने अपने कर्तव्यभाव की रक्षा के लिए दृढ़ता की उसी भावना का परिचय नहीं दिया है, जो हम अपराधियों का सामना करने के लिए नियमित रूप से अपनाते हैं।" 
 
कैरिक के कारनामों से शिक्षा लेते हुए लंदन की महानगर पुलिस ने एक विशेष जांच-टीम का गठन किया है। उसे पिछले 10 वर्षों के ऐसे सभी मामलों की फिर से समीक्षा करने के लिए कहा गया है, जिनमें इस समय सेवारत पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध यौन दुराचार आदि के आरोप लगाए गए हैं। जांच-टीम को एक हज़ार से अधिक कर्मियों के विरुद्ध शिकायतों के 1,633 मामलों की फिर से छानबीन करनी होगी। ये मामले ज़बानी कहा-सुनी से लेकर गंभीर क़िस्म के यौन-अपराधों तक के मामले हैं।
 
पुलिस विभाग की लापरवाही : 2021 में गिरफ्तारी के बाद डेविड कैरिक संबंधी फ़ाइलों में पुलिससेवा में भर्ती होने से पहले और बाद की किसी को तंग करने और मारपीट करने की कई शिकायतें मिलीं, पर वे किसी केस-मुकदमे का कारण नहीं बनीं। 2021 में भी कैरिक का कार्यकाल बढ़ा दिया गया होता, यदि हेर्टफ़ोर्डशायर काउऩ्टी की महिला ने मुंह नहीं खोला होता और उस महिला के  तुरंत बाद 12 अन्य महिलाओं ने भी आगे आकर अपनी आपबीती सुनाने का साहस नहीं दिखाया होता।
 
भारतीय मूल के जसवंत नरवाल और उनकी सहयोगी शिल्पा शाह इस सारे प्रकरण के वरिष्ठ अभियोक्ता हैं। अदालती सुनवाई के समय शिल्पा शाह ने शिकायती महिलाओं के "ज़बरदस्त साहस" की सराहना करते हुए कहा कि कैरिक के दुराचार की शिकार रहीं इन महिलाओं की गवाही ने ही अंततः मुकदमे के लिए महत्वपूर्ण सबूत प्रदान किए। दूसरे शब्दों में, ये महिलाएं यदि आगे न आतीं, तो डेविड कैरिक आज भी लंदन की महानगर पुलिस का एक अधिकारी होता और ब्रिटिश महिलाओं के साथ बलात्कार-दुराचार करना जारी रखता।
 
कुछ गंभीर प्रश्न भी हैं : डेविड कैरिक प्रकरण और मार्च 2021 में, लंदन के एक अन्य पुलिस अधिकारी द्वारा 33 वर्षीय मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव, सारा एवरार्ड के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या जैसी घटनाओं से कुछ गंभीर प्रश्न भी उठते हैं। एक तो यह कि यही, या ऐसा ही कुछ यदि भारत में हुआ होता, तो भारतीय मीडिया असमान सिर पर उठा लेता। किसी राज्य सरकार से अधिक केंद्र सरकार पर चौतरफा प्रहार कर रहा होता। भारतीय मीडिया की ही नकल करते हुए ब्रिटेन सहित सारा पश्चिमी मीडिया भी चीख-चिल्ला रहा होता कि भारत एक ऐसा महा-नारीविरोधी, पितृसत्तात्मक और बलात्कारी देश है, जिसे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का घमंड हो गया है।
 
दिल्ली में 2012 के ''निर्भया कांड'' के समय तो ब्रिटेन के ही एक बड़े अख़बार ने हिंदू धर्म को ''सड़ा-गला'' बताते हुए उसे ही भारत में बलात्कारों की जड़ घोषित कर दिया। भारत में हुई बलात्कार की घटनाओं को पश्चिमी मीडिया तभी से खूब चटखारे लेकर प्रकाशित करता है। लेकिन, जब पश्चिम में नारी-हत्या और बलात्कार के वहशी मामले होते हैं, तो भारत का अंग्रेज़ी मीडिया भी आंख-कान-नाक सब बंद कर लेता है।
 
नारी-समानता का खोखला दावा : दूसरा बड़ा प्रश्न यह उठता है कि दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र कहलाने वाले ब्रिटेन में, जो ताल ठोंककर अपने यहां नारी-समानता का बड़े गर्व के साथ दावा करता है, यह संभव कैसे है कि एक पुलिस अधिकारी 17 वर्षों तक कम से कम दो दर्जन महिलाओं के साथ बलात्कार करता है, पर नारी-समानता के अधिकरों से लैस कोई नारी शिकायत करने और शोर मचाने की हिम्मत तक नहीं कर पाती! जहां पुलिस ही अपराधी और बलात्कारी बन गई हो, वहां के आम आदमी के चरित्र का भला क्या हाल होगा? कुछ आंकड़े तो यह भी कहते हैं कि प्रति एक लाख जनसंख्या पर बलात्कारों की संख्या दृष्टि से ब्रिटेन इस समय दुनिया में पहले नंबर पर है। ब्रिटेन वाले इसे क्या अपने धर्म (ईसाइयत) से जोड़ना पसंद करेंगे? 
 

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