नोबेल पुरस्कार समिति के अनुसार, अबी अहमद अली को अंतरराष्ट्रीय शांति एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए किए गए उनके प्रयासों तथा पड़ोसी इरिट्रिया के साथ सीमा संबंधी विवाद सुलझाने के वास्ते की गई उनकी पहल के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा।
गर्व की बात : अबी अहमद के कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि देश उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुने जाने पर गर्व महसूस करता है और यह देश में सुधार लाने एवं इरिट्रिया के साथ शांति कायम करने के प्रयासों का सबूत है। अहमद को इस पुरस्कार के लिए चुने जाने के बाद उनके कार्यालय ने ट्वीट किया, हम बतौर राष्ट्र गर्व महसूस करते हैं।
उनके कार्यालय ने यह कहते हुए इस फैसले की प्रशंसा की कि यह एकता, सहयोग और सह-अस्तित्व, जिनकी प्रधानमंत्री निरंतर वकालत करते रहे हैं, का कालातीत सबूत है। बयान में कहा गया है कि अप्रैल, 2018 में अबी अहमद ने राजनीतिक नेतृत्व संभालने के बाद से उन्होंने शांति, क्षमादान और मेलमिलाप को अपने प्रशासन का नीतिगत अंग बनाया है।
बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर हजारों राजनीतिक बंदियों की रिहाई, मीडिया निकायों एवं राजनीतिक दलों को क्षमादान एवं शांतिपूर्ण संवाद और राजनीतिक दलों के लिए दायरे का विस्तार कुछ उल्लेखनीय मील के पत्थर हैं। हालांकि अबी के शांति प्रयासों के बावजूद सीमांकन जैसे अहम मुद्दों पर उल्लेखनीय प्रगति नहीं होने के कारण इरिट्रिया करार का महत्व कमतर हुआ है।